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निरंजनी अखाड़े के संतों ने किया वैष्णव अनी अखाड़ों की पेशवाई का भव्य स्वागत


हरिद्वार, निरंजनी अखााड़े के संतों ने तुलसी चैक पर वैष्णव अनी अखाड़ों की पेशवाई का भव्य स्वागत किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 6 अप्रैल। निरंजनी अखााड़े के संतों ने तुलसी चैक पर वैष्णव अनी अखाड़ों की पेशवाई का भव्य स्वागत किया। पेशवाई के तुलसी चैक पहुंचने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज, निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज, मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने पेशवाई में शामिल वैष्णव संतों का फूल माला पहनाकर व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस दौरान निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि पूरी दुनिया को आध्यात्मिक रूप से एकजुट करने वाला कुंभ मेला सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। कुंभ मेले की दिव्यता एवं भव्यता से प्रभावित होकर विदेशी श्रद्धालु भी गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ के दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र और एक ही स्थान पर सिद्ध संत महापुरूषों के दर्शन व आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर होती है। वैष्णव संतों का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में वैष्णव अखाड़ों की प्रमुख भूमिका है। अखाड़ों की गौरवशाली परंपराएं सनातन धर्म की महानता को पूरे विश्व में स्थापित करती हैं। कुंभ मेले में देशभर से आने वाले तपस्वी संतो के दर्शन मात्र से श्रद्धालु भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा के अमृतमयी जल में स्नान व आचमन करने का अवसर भाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। मां मनसा मंदिर देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि 12 वर्ष के पश्चात होने वाले कुंभ मेले के दौरान गंगा तट पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में गंगा तटों पर होने वाले धार्मिक अनुष्ठान विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के जप तप तथा आध्यात्मिक ज्ञान के चलते भारत की विश्व गुरू के रूप में विशेष पहचान है। संतो के आध्यात्मिक ज्ञान से पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है। स्वागत करने वालों में श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओंकार गिरी, महंत केशवपुरी, श्रीमहंत राधेगिरी, महंत शंकरानंद सरस्वती, महंत मनीष भारती आदि संतजन शामिल रहे।

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