चमोली जनपद में कृषि विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नवाचार गतिविधियों के तहत चेन लिंक फेनà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग को पाॅयलेट पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के तौर पर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया। जिसके अब अचà¥à¤›à¥‡ परिणाम सामने आने लगे है।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
चमोली 04 अगसà¥à¤¤,2021, जंगली जानवरों से फसलों की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में चेन लिंक फेनà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग तकनीक कारगर साबित हो रही है। चमोली जनपद में कृषि विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नवाचार गतिविधियों के तहत चेन लिंक फेनà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग को पाॅयलेट पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के तौर पर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया। जिसके अब अचà¥à¤›à¥‡ परिणाम सामने आने लगे है। दरअसल जंगली जानवर फसलों को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¥…चाकर किसानों को हर साल लाखों की चपत लगा देते है। जंगली जानवरों से कृषक हर रोज परेशान और चिनà¥à¤¤à¤¿à¤¤ रहते है। कृषकों की इस गंà¤à¥€à¤° समसà¥à¤¯à¤¾ को देखते हà¥à¤ वरà¥à¤· 2019-20 में कृषि विà¤à¤¾à¤— के माधà¥à¤¯à¤® से जिला योजना के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त नवचार गतिविधियों के रूप में चेन लिंक घेरवाड तकनीक अपनाई गई। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤‚चायत बैरांगना के सैकोट, कोटेशà¥à¤µà¤° तथा दà¥à¤°à¥à¤®à¥€ गांवों को इस कारà¥à¤¯ हेतॠपाॅयलेट पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ के रूप में चयनित कर पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया। मà¥à¤–à¥à¤¯ कृषि अधिकारी राम कà¥à¤®à¤¾à¤° दोहरे ने बताया कि इन गांवों में जंगली जानवरों से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ हेतॠ17.94 लाख लागत से 1200 मीटर लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ में लगà¤à¤— 10 हैकà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤° कृषि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² की चेन लिंक घेरबाड़ की गई। साथ ही कृषि विà¤à¤¾à¤— की आतमा à¤à¤µà¤‚ पीकेवीआई योजना के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त कृषकों को तकनीकि सहयोग दिया गया। यहां पर किसानों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धान, गेहूॅ, मंडà¥à¤µà¤¾, साॅवा आदि नगदी फसलों का वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तरीके से आज सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया जा रहा है। जिससे किसानों को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· 1.50 लाख से 2.00 लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ तक की आमदनी हो रही है। जंगली जानवरों से निजात दिलाने के लिठविà¤à¤¾à¤— की इस पहल से किसान बेहद खà¥à¤¶ है और नगदी फसलों के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ को लेकर खासे उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ à¤à¥€ है। जानवरों से फसलों की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ हेतॠचेन लिंक घेरवाड तकनीक टिकाऊ, ससà¥à¤¤à¥€ à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विशेष हेतॠकाफी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• है। इसको देखते हà¥à¤ किसानों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अब पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता इसकी मांग की जाने लगी है।