शिक्षा व संस्कारों के लिए आवश्यकता है बड़े स्तर पर अनुसंधान की: महाराज


अध्यात्म को जानने के लिए गुरू के पास जाना पड़ता है। गुरू ही अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उत्तराखंड हमारी देव भूमि और संस्कार भूमि है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। अध्यात्म को जानने के लिए गुरू के पास जाना पड़ता है। गुरू ही अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उत्तराखंड हमारी देव भूमि और संस्कार भूमि है। हमारे यहाँ मां के गर्भ से ही बच्चे को संस्कारों की नींव पड़ जाती है। उक्त बात शनिवार को प्रेमनगर आश्रम में तीन दिवसीय अखिल भारतीय विस्तारक आभ्यास वर्ग के समापन अवसर पर प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने अपने संबोधन में कही। प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने शनिवार को प्रेमनगर आश्रम में 19 से 21 अगस्त तक चले अखिल भारतीय विस्तारक अभ्यास वर्ग के समापन अवसर पर प्रतिभाग किया। देश के विभिन्न हिस्सों से आये विस्तारकों को सम्बोधित करते हुए श्री सतपाल महाराज ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल शिक्षकों को सशक्त, आत्मनिर्भर तथा आलोकित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है। श्री महाराज ने कहा कि अध्यात्म और संस्कार के बल पर ही हम विश्व गुरू बन सकते हैं। इसलिए हमें ऐसे विषयों पर अनुसंधान करना चाहिए जिसमें कहा गया कि वीर अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने का ज्ञान अपनी माँ के गर्म में ही प्राप्त कर लिया था। अखिल भारतीय विस्तारक अभ्यास वर्ग के समापन सत्र के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए भारतीय शिक्षक मंडल अनुसंधान प्रकोष्ठ एवं ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. कमल घनशाला के मध्य एक अनुबंध भी किया गया। अभ्यास वर्ग के समापन सत्र को को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुरेश चंद ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु एवं प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज का सदैव हमें आशीर्वाद मिलता रहता है। हमें इस बात की प्रसन्नता है कि भारतीय शिक्षक मंडल अपने कार्यों के बल पर लगातार आगे बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर पूज्य डॉक्टर हेडगेवार जी के काम को आगे बढ़ा रहा है।

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