Latest News

पौड़ी में वार्षिक कार्ययोजना तथा 2020-21 के कुल 804.10 लाख का बजट पर चर्चा


जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे की अध्यक्षता में आज जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चढ़ीगांव पौड़ी के सभागार में कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक दीप प्रज्वलित कर शुरू हुई।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

पौड़ी दिनांक 10 सितम्बर, 2021, जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे की अध्यक्षता में आज जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चढ़ीगांव पौड़ी के सभागार में कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक दीप प्रज्वलित कर शुरू हुई। आयोजित बैठक में समग्र शिक्षा, वार्षिक कार्ययोजना तथा 2020-21 के कुल 804.10 लाख का बजट पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने डायट में उपस्थित अधिकारी व अध्यापकों को ब्लैक बोर्ड पर शब्दों का लिखने का तरीका बताया। उन्होंने बताया कि बच्चों को पढ़ाने के समय पर छोटी-छोटी गलतियों को कैसे सुधारा जाए, इसके लिए विशेष ध्यान देना है की शब्दों को सही प्रयोग कर किस तरह लिखा जाता है। कहा कि अध्यापक समाज का दर्पण होते हैं, ओर बच्चों को किताब से ज्यादा पढ़ाने का तरीका पसन्द आता है। कहा कि हर व्यक्ति को पढ़ाते समय छोटी-छोटी बुरी आदतों से बचना है, जैसे लाइन के ऊपर हाथ रखकर पढ़ाना, शब्दों को मन मे दोहराना, अक्षरों को एक-एक कर पड़ना सहित अन्य का भी ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान डायट के प्राचार्य ने पानी की समस्या से जिलाधिकारी को अवगत कराया। जिलाधिकारी डॉ. जोगदण्डे ने कहा कि छोटे बच्चों को मौखिक संवाद से शिक्षा दी जानी चाहिए तथा जो बच्चों ने सिखा है वह भी मौखिक रुप में होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के टूल्स ऑफ लर्निंग अलग होने चाहिए, जिसमे बच्चों के लिए मोटीवेशनल बड़े खानों वाले नोट बुक होनी चाहिए। बैठक में रिसर्च एवं ट्रेनिंग, कोविड-19 के चलते लर्निग लॉस व लर्निग गेप, वेस्ट मेटेरियल से स्वदेशी खिलौनों का निर्माण तथा रोजगार परक शिक्षा पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि 1994 में पौड़ी में डायट बनने के बाद क्या उपलब्धि रही है, इस विषय पर भी चर्चा जरूरी है, जिससे लोगों को भी जानकारी मिल सकेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा के क्षेत्र में अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्बन्धित अधिकारी को निर्देशित किया कि स्कूलों में बालिकाओं के लिए एक विशेष मंच उपलब्ध कराया जाए, जिसके माध्यम से वह अपनी समस्याओं का आदान-प्रदान कर सके। कहा कि बालिकाओं को बालकों के समकक्ष लाना है तो उनसे भी बालकों जैसे कार्य करावना जरूरी है।

Related Post