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रास के लिए श्री वृंदावन धाम की भूमि का होना अत्यंत आवश्यक हैः गौरदास जी महाराज


भगवान ने 24 अवतार लिए किसी भी अवतार में गोपियों के साथ रास नहीं किया क्योंकि रास के लिए वृंदावन धाम की भूमि का होना अत्यंत आवश्यक है। रास केवल श्री वृंदावन धाम में ही हो सकता है इसके अलावा कहीं नहीं हो सकता।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। अवधूत मंडल आश्रम, निकट शंकर आश्रम, ज्वालापुर, हरिद्वार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस में गौरदास महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की गिरिराज छप्पन भोग लीला, रासलीला एवं भगवान की मंगलमय विवाह लीलाओं का का वर्णन करते हुए बताया भगवान ने श्री कृष्ण वाले रूप में ही रास किया राम जी वाले रूप में भगवान ने गोपियों के साथ रास नहीं किया। इसके अलावा भगवान ने 24 अवतार लिए किसी भी अवतार में गोपियों के साथ रास नहीं किया क्योंकि रास के लिए वृंदावन धाम की भूमि का होना अत्यंत आवश्यक है। रास केवल श्री वृंदावन धाम में ही हो सकता है इसके अलावा कहीं नहीं हो सकता। कथा व्यास ने बताया कि ठाकुर जी को छप्पन भोग ही क्यों लगता है क्योंकि भगवान को प्रतिदिन 8 बार भोग लगता है और भगवान ने 7 दिन तक गिरिराज उठाया तो 1 दिन का 8 बार भोग तो 7 दिन तक भोग नहीं लगा तो 8 सत्ते 56 हुआ इसलिए प्रभु को छप्पन भोग लगता है। भगवान की मंगलमय विवाह की लीलाओं का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया भगवान का एक विवाह नहीं हुआ अभी तो भगवान के 16108 विवाह हुए और भगवान ने किसी और उद्देश्य से विवाह नहीं किया। भगवान ने इसलिए विवाह किया कि उन सब स्त्रियों का कोई नहीं था उनको राजा की कैद से छुड़वा कर भगवान ने सबको स्वीकार किया। आज की कथा में भागवत पूजन अश्वनी चौहान, प्रगति गुप्ता, रमेश उपाध्याय, रामचंद्र पांडेय, पूनम शर्मा, मधू जैन, कुसुम कुलश्रेष्ठ, शशी उपाध्याय, सुकेस, एस के कुलश्रेष्ठ, परमानंद सरस्वती, रमेश पाठक, दिनेश भारद्वाज, वीरेन्द्र पाल सिंह, विजय शर्मा, अजय शर्मा, राकेश भारद्वाज, मंजू शर्मा ने किया।

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