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महाकुंभ 2021 का अमृत मंथन गंगा नदी की नीलधारा में होगा।


मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली महाकुंभ 2021 के आयोजन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की 13 जून को हुई बैठक में हर की पैड़ी से कुंभ का विस्तार नीलधारा में करने का निर्णय लिया गया है । यह निर्णय तीर्थ यात्रियों की बढ़ती भीड के दृष्टिगत लिया गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी उपस्थित थे।

रिपोर्ट  - 

महाकुंभ 2021 का अमृत मंथन गंगा नदी की नीलधारा में होगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली महाकुंभ 2021 के आयोजन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की 13 जून को हुई बैठक में हर की पैड़ी से कुंभ का विस्तार नीलधारा में करने का निर्णय लिया गया है । यह निर्णय तीर्थ यात्रियों की बढ़ती भीड के दृष्टिगत लिया गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी उपस्थित थे। इसकी अटकलबाजी तभी शुरू हो गई थी जब हरीश रावत सरकार ने बाकायदा शासनादेश देश जारी कर घोषित किया था कि हर की पैड़ी पर गंगा नहीं स्कैप चैनल (नहर ) का पानी आता है। इसके बाद जब हिंदू धर्मावलंबियों की पंसदीदा केंद्र सरकार ने गंगा नदी नीलधारा में नमामि गंगे मिशन में करोड़ों रुपए की लागत से आलीशान सुविधा युक्त स्नानघाट का निर्माण शुरू कराया तो लगभग तय हो गया था कि कुंभ-अर्द्धकुंभ ही नहीं वर्ष भर में पड़ने वाले बड़े भीड़ वाले गंगा स्नान हर की पैड़ी के नहर के पानी में नहीं गंगा नदी की नीलधारा पर बने घाट पर होंगे। बीते कांवड़ मेला में इसकी रिहर्सल भी हो चुकी है। कुंभ नीलधारा में होगा 12 दिसंबर को लगभग तय हो चुका था। 12 दिसंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली महाकुंभ 2021 के आयोजन के लिए गठित एम्पावर्ड कमेटी की सीसीआर में हुई कार्ययोजना समीक्षा बैठक में सिंचाई खंड हरिद्वार ने नीलधारा में मछलाकुंड के पास हर की पैड़ी जैसा ब्रह्मकुंड घाट व कांगड़ी स्नान घाट बनाने का प्रस्ताव पेस कर कुंभ हर की पैड़ी से ले जाने की सरकारी योजना पर मानों मुहर ही लगा दी थी।हालांकि ब्रह्मकुंड बनाने का प्रपोजल अभी अधर में है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 13 जून को हुई बैठक में महाकुंभ 2021 का विस्तार हर की पैड़ी से गंगा की नीलधारा में करने पर सर्वोच्च कमेटी ने पक्की मुहर लगा दी है। इस कवायद को पार लगाने की कार्यवाही मेलाधिकारी, शहरी विकास विभाग और सिंचाई विभाग संयुक्त रूप से करेंगे। याद रहे हरीश रावत सरकार ने आश्रमधारी मठाधीशों, बड़े होटल मालिकों, भूमाफियाओं के दबाव तथा गांधी जी के चक्कर में हर की पैड़ी पर आने वाली गंगा की अविच्छिन्न धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि होई कोर्ट ने 2000 के बाद हुए अवैध निर्माण हटाने और एनजीटी ने गंगा से 200 मीटर की परिधि में किसी प्रकार की निर्माण गतिविधि को अनुमन्य नहीं करने का आदेश दिया था। राज खुलने पर उन्हीं लोगों में से कुछ ने जो बड़े माफिया तो थे पर भाजपाई भी थे विरोध की राजनीति शुरू कर दी। विरोध होने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत तब फोन कर मुझे बताया था कि कैसे-कैसे लोग उनसे मिले थे। हर की पैड़ी पर बहनें वाली गंगा की धारा को स्कैप चैनल घोषित करने को उन्होंने बड़ा जनहित में लिया गया निर्णय बताया था।उनका यह कहना बिल्कुल ठीक था कि एनजीटी व हाईकोर्ट का आदेश लागू किया जाए तो 200 मीटर की परिधि में पूरा हरिद्वार आ जाएगा।लेकिन विरोध करने वालों को राजनीति करनी थी, उन्होंने की। प्रदेश में हरीश रावत सरकार के बाद हिंदू धर्मावलंबियों की पंसद की भाजपा सरकार बनने के बाद हरीश रावत सरकार का विरोध करने, राजनीतिक गाली देने वालों को सांप सूंघ गया और हर की पैड़ी पर नहर होने से उन्हें फर्क नहीं पड़ रहा है।पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कई बार कहा भी है कि उनकी सरकार ने गलत निर्णय लिया था तो अब आपकी सरकार है आदेश को बदलवा क्यों नहीं देते।इसके बाद भी उनके तिलक पर खाज नहीं मारी। मुझे पद्मश्री साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी की कही बात याद आ रही है।वह उत्तर प्रदेश में सूचना विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर और कुंभ मेला में सूचना जनसंपर्क विभाग के नोडल अधिकारी थे।उन्होंने कहा था कि कलांतर में हर की पैड़ी नीलधारा की ओर रही होगी। जिसका अखाड़ों के साधु संतों ने कड़ा विरोध किया था।जगूड़ी जी ने भी लफड़े में पड़ना ठी नहीं समझा लिहाजा बात दो चार दिन में ही आई-गई हो गई थी।लेकिन बात निकलती है तो दूर तक जाती ही है। वर्तमान में सरकार की तैयारी तथा हर की पैड़ी क्षेत्र की जो दुर्दशा तिलक धारियों, जींसधारी पंडों ने कर रखी है उसको देखते हुए मैं व्यक्तिगत रूप से सरकार के प्रयास का समर्थन करता हूं। नमामि गंगे के आर एस एस की पंसद के घाट पर कुंभ हो इससे अच्छी बात क्या हो सकता है। रतनमणि डोभाल जी की कलम से

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