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विभिन्न प्रकार की हस्त मुद्राएं स्वास्थ्य रक्षा के लिए कारगर साबित हो रही हैं- डॉ परिहार


एटॉमिक एनर्जी हैवी वाटर प्लांट रावतभाटा कोटा न्यूक्लियर फ्यूल कांपलेक्स परमाणु ऊर्जा विभाग के परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर एम एल परिहार ने कहा कि135 तरह की वैकल्पिक चिकित्साए दुनिया भर में प्रचलित है और इनमें से सबसे ज्यादा एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति प्रचलित है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज भारत

हरिद्वार 9 दिसंबर। एटॉमिक एनर्जी हैवी वाटर प्लांट रावतभाटा कोटा न्यूक्लियर फ्यूल कांपलेक्स परमाणु ऊर्जा विभाग के परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर एम एल परिहार ने कहा कि135 तरह की वैकल्पिक चिकित्साए दुनिया भर में प्रचलित है और इनमें से सबसे ज्यादा एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति प्रचलित है। जो आज दुनिया की तीसरी सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली चिकित्सा पद्धति बन चुकी हैै। डॉक्टर परिहार नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स(एनयूजे) हरिद्वार जनपद इकाई द्वारा आयोजित "आधुनिक मानव जीवन एवं रोगों के निदान"विषय पर आधारित एक कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मानव शरीर के मर्म बिंदुओं पर प्रेशर दिया जाता है तो उनसे क्या प्रभाव पड़ता है इसी के ऊपर कुछ वैज्ञानिक ने शोध किया है। उन्होंने लोगों से आवाहन किया कि वे ऋषि मुनियों द्वारा प्रदत्त भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को अपनाएं क्योंकि वे वैज्ञानिक तथ्यों पर पूर्ण उतरते हैं। चाहे वह हस्त मुद्रा हो या आंख देखकर रोग को पहचानने की कला जिसे आज आइरिस थेरेपी कहा जाता है। डॉ. परिहार ने कहा कि जो कान पकड़ कर शिक्षक बच्चों को याद दिलाने के लिए सजा देते थे,वह भी वैज्ञानिक पद्धति थी। इससे बच्चों की मानसिक शक्ति का विकास होता है। उन्होंने कहा कि शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होना पानी की कमी को दर्शाता है। दर्द को पर्याप्त मात्रा में यानी 4 से 6 लीटर पानी विविध तरीके से पी कर दूर किया जा सकता है। हस्त मुद्राओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ परिहार ने कहा की विभिन्न प्रकार की हस्त मुद्राएं स्वास्थ्य रक्षा के लिए कारगर साबित हो रही हैं वायु मुद्रा के द्वारा शरीर के लगभग 80 फीसद दर्द को दूर किया जा सकता है कानों की मालिश करके तथा हाथों की ताली बजाकर स्वस्थ रहा जा सकता है। एक दिवसीय चिकित्सा कार्यशाला में आरोग्य प्राप्ति की विभिन्न क्रियाओं पंचतत्व चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, मेरिडियोनोलॉजी, चुंबकीय चिकित्सा ,आहार-विहार ,आचार-विचार चिकित्सा सहित कई वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर डॉ परिहार ने प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पतंजलि योगपीठ के संस्थान दिव्य फार्मेसी हरिद्वार के मानव संसाधन विकास विभाग के महाप्रबंधक एनसी शर्मा ने कहा कि आज मनुष्य एलोपैथी पद्धति से चिकित्सा करा कर और उसके दुष्प्रभावों से अत्यधिक पीड़ित है ।इसलिए वह भारतीय प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा खोजी गई चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद और अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेकर राहत महसूस करता है उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति में अनेक विधाएं विद्यमान है जो आज बेहद प्रचलित हो रही हैं। उन्होंने एनयूजे द्वारा आयोजित चिकित्सा कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए कहा कि पत्रकारों द्वारा इस तरह की सामाजिक गतिविधियां संचालित करके समाज सेवा का एक बड़ा कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. राधिका नागरथ ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से होने वाले फायदों के लिए चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन किया गया है। अतिथियों का आभार जताते हुए एनयूजे के प्रदेश अध्यक्ष बृजेंद्र हर्ष ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला समाज के लिए बहुत अधिक उपयोगी हैं। प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि मनुष्य का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। तभी हम स्वस्थ समाज और स्वस्थ देश का निर्माण कर सकते हैं। इस अवसर पर एनयूजे द्वारा प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश शर्मा को कुंभ मेला हरिद्वार उच्चाधिकारी मेला कमेटी का सदस्य बनााए जाने पर उनका शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया और पत्रकार जगत के लिए इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया गया। एनयूजे के प्रदेश अध्यक्ष बृजेंद्र हर्ष, कार्यकारी अध्यक्ष गुलशन नैयर, प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शर्मा, महामंत्री महेश पारीक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रवण झा, अविक्षित रमन, अवधेश शिवपुरी, एनयूजे के जिला अध्यक्ष बालकृष्ण शास्त्री, महामंत्री संजीव शर्मा, दीपक नौटियाल, सुभाष कपिल, धर्मेंद्र चौधरी,नरेश गुप्ता, ठाकुर शैलेंद्र सिंह, मुदित अग्रवाल, विकास चौहान, मनोज खन्ना, आशीष मिश्रा, देवेंद्र शर्मा, लव शर्मा, कुमकुम शर्मा, सचिन तिवारी, सुनील पांडे, प्रदीप शर्मा, कुलभूषण शर्मा ,अनूप कुमार ने अतिथिय

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