बलवीर गिरि अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अखाड़ा परिषद के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· नरेंदà¥à¤° गिरि के करीबी शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में शामिल रहे। 1998 में वह निरंजनी अखाड़े के संपरà¥à¤• में आà¤à¥¤ नरेंदà¥à¤° गिरि से उनका संपरà¥à¤• 2001 में हà¥à¤†à¥¤ उस वकà¥à¤¤ नरेंदà¥à¤° गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे। इसके बाद बलवीर गिरि ने अखाड़े में नरेंदà¥à¤° गिरि से दीकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की और उनके शिषà¥à¤¯ हो गà¤à¥¤
रिपोर्ट - रामेशà¥à¤µà¤° गौड़
पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज बगमà¥à¤¬à¤°à¥€ गदà¥à¤¦à¥€ को लेकर अखाड़े के पंच परमेशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤‚ ने संत बलबीर गिरि को बाघंबरी पीठऔर लेटे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर की गदà¥à¤¦à¥€ सौंपने पर अपनी मंजूरी दे दी है। बलबीर गिरि की ताजपोशी की तैयारियां à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हो गई हैं। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त नरेंदà¥à¤° गिरि की षोडशी के बाद पांच अकà¥à¤¤à¥‚बर को बलबीर गिरि की ताजपोशी की जाà¤à¤—ी। शà¥à¤°à¥€ निरंजनी अखाड़े के शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रविंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ सहित पांच संतों का सà¥à¤ªà¤°à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤°à¥€ बोरà¥à¤¡ बनेगा। बता दें कि अकबर के शासनकाल में बाबा बालकेसर गिरि ने 1582 में मठकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कराई थी। संगम के पास तब किला बन रहा था। आज जहां लेटे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी हैं उधर किले की दीवार बननी थी। खोदाई में विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ निकली, मजदूरों ने उठाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। वह जितना उठाते पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ उतना धंसती। अकबर ने इसे अलौकिक शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª माना और उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को छोड़ने का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया। लेटे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की पूजा की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤°à¤‚जनी अखाड़ा के शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त बाबा बालकेसर देदी । और आसपास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की सैकड़ों à¤à¤•à¥œ जमीन देदी। इसे संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने के लिठबाबा बालकेसर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मठबाघमà¥à¤¬à¤°à¥€ गदà¥à¤¦à¥€ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कराई गयी। तब से शà¥à¤°à¥€ मठबाघमà¥à¤¬à¤°à¥€ गदà¥à¤¦à¥€ का महंत ही लेटे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर की देखरेख करता आ रहा है। महंत नरेंदà¥à¤° गिरि ने तीन वसीयत बनाई थी. पहले वसीयत में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बलवीर गिरि को उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनाया था. इसके बाद 2011 में à¤à¤• दूसरी वसीयत बनवाई,जिसमें आनंद गिरि को उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनाया। लेकिन आनंद गिरि से विवाद के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी पहले की दोनों वसीयतों को रदà¥à¤¦ करते हà¥à¤ तीसरी वसीयत बनाई जिसमें à¤à¤• बार फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बलवीर गिरि को उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनाया |अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अखाड़ा परिषद के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त नरेंदà¥à¤° गिरि का 20 सितंबर को पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज बाघंबरी पीठमें संदिगà¥à¤§ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में निधन हो गया। नरेंदà¥à¤° गिरि का शव कमरे में पंखे पर लटका हà¥à¤† मिला। उसके बाद शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त नरेंदà¥à¤° गिरि का कथित सà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ लेटर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया था। कई पेज के कथित सà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ नोट में शिषà¥à¤¯ संत बलबीर गिरि को ही उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनाठजाने का जिकà¥à¤° किया था। बलवीर गिरि अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अखाड़ा परिषद के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· नरेंदà¥à¤° गिरि के करीबी शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में शामिल रहे। 1998 में वह निरंजनी अखाड़े के संपरà¥à¤• में आà¤à¥¤ नरेंदà¥à¤° गिरि से उनका संपरà¥à¤• 2001 में हà¥à¤†à¥¤ उस वकà¥à¤¤ नरेंदà¥à¤° गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे। इसके बाद बलवीर गिरि ने अखाड़े में नरेंदà¥à¤° गिरि से दीकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की और उनके शिषà¥à¤¯ हो गà¤à¥¤ धीरे-धीरे नरेंदà¥à¤° गिरि के घनिषà¥à¤ और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤ªà¤¾à¤¤à¥à¤° सहयोगी के तौर पर पहचान बनी। नरेंदà¥à¤° गिरि जब निरंजनी अखाड़े की ओर से बाघंबरी गदà¥à¤¦à¥€ के पीठाधीशà¥à¤µà¤° बन कर पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज आà¤, तो बलवीर à¤à¥€ उनके साथ यहां आ गà¤à¥¤ सहयोगी के तौर पर नरेंदà¥à¤° गिरि ने बलवीर को जो à¤à¥€ जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ सौंपी, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूरी करà¥à¤®à¤ ता और निषà¥à¤ ा से उसे निà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ नरेंदà¥à¤° गिरि उन पर पूरी तरह निरà¥à¤à¤° थे और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते थे। कà¥à¤‚ठऔर बड़े परà¥à¤µ के दौरान अखाड़े व मठकी ओर से खरà¥à¤š को आने वाले लाखों रà¥à¤ªà¤ बलवीर के पास ही रहते थे, रà¥à¤ªà¤ बलवीर की देख-रेख में खरà¥à¤š किठजाते थे, इस साल हà¥à¤ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° कà¥à¤‚ठके दौरान à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस à¤à¥‚मिका को बखूबी निà¤à¤¾à¤¯à¤¾, आनंद गिरि से विवाद और बà¥à¤¤à¥€ दूरी ने बलवीर को नरेंदà¥à¤° गिरि का और करीबी बना दिया, 5 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को मठऔर अखाड़े के सà¤à¥€ साधà¥-संत बलवीर गिरि को चादर ओढ़ाकर महंत के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे ।