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लावारिस अस्थियों का हुआ, गंगा में विसर्जन


मरणोपरांत मोक्ष कामना से मृतक के परिजन उनका अंतिम संस्कार करने के साथ ही उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित करते हैं। लेकिन कई ऐसे अभागे हैं जिनका वंशज ना होने के चलते उनकी अस्थियां लावारिस पड़ी रहती है। ऐसी लावारिस हलावारिस अस्थियों का हुआ, गंगा में विसर्जन

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। मरणोपरांत मोक्ष कामना से मृतक के परिजन उनका अंतिम संस्कार करने के साथ ही उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित करते हैं। लेकिन कई ऐसे अभागे हैं जिनका वंशज ना होने के चलते उनकी अस्थियां लावारिस पड़ी रहती है। ऐसी लावारिस हलावारिस अस्थियों का हुआ, गंगा में विसर्जन हरिद्वार। मरणोपरांत मोक्ष कामना से मृतक के परिजन उनका अंतिम संस्कार करने के साथ ही उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित करते हैं। लेकिन कई ऐसे अभागे हैं जिनका वंशज ना होने के चलते उनकी अस्थियां लावारिस पड़ी रहती है। ऐसी लावारिस हस्तियों को गंगा में पहुंचाने का कार्य कई संस्थाएं करती आ रही है। जिसमें धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड (रजि) के तत्वावधान में कनखल के सती घाट पर लावारिस अस्थियों का विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के उपरांत गंगा में विसर्जन किया गया। इस मौके पर संस्था के प्रांतीय महामंत्री एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने बताया कि गुजरात में सदविचार परिवार संस्था सामूहिक अस्थि विसर्जन का काम करती है। धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड के सहयोग सेयह सतीघाट पर सम्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में प्रायः अपने पितृगण के व्यक्तिगत अस्थि विसर्जन की परंपरा नहीं है। लेकिन गुजराती लोग अपने पितृगण की अस्थियां सदविचार परिवार संस्था को दे देते हैं और यह संस्था सामूहिक रूप से अस्थि विसर्जन कार्य करती है‌। धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड के सहयोग से यह कार्यकम मंगलवार को सतीघाट पर सम्पन्न हुआ। वरिष्ठ पत्रकार रजनी कांत शुक्ला ने कहा की श्राद्ध पक्ष में पित्र विसर्जन का कार्य किया जाता है। ऐसे समय में संस्था की ओर से लावारिस वस्तुओं का विसर्जन किया गया। इससे निश्चित ही मृतकों की आत्मा को शांति मिलेगी एवं उन्हें मोक्ष भी प्राप्त होगा। ‌ उन्होंने कहा करो ना काल में अनेक लोगों को असमय काल का ग्रास बनना पड़ा। कई लोगों के परिजन उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सके। ऐसे में सद्विचार परिवार की ओर से किये गये कार्य के सर्वत्र सराहना की जानी चाहिए ऐसा करने से अन्य लोगों के उत्साह में वृद्धि होती है। कार्यक्रम में काशीनाथ आशा गुप्ता डाक्टर रजनीकांत शुक्ला डाक्टर काला डाक्टर उपेन्द्र गुप्ता जानकी प्रसाद पत्रकार कमल अग्रवाल मनोज गुप्ता पं चंद्रप्रकाश शुक्ला ललिता मिश्रा, सुषमा मिश्रा अशोक अग्रवाल एडवोकेट आदि अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे। अस्थियों को गंगा में विसर्जन का कार्य कई संस्थाएं करती चली आ रही है। जिसमें धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड (रजि) के तत्वावधान में कनखल के सती घाट पर लावारिस अस्थियों का विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के उपरांत गंगा में विसर्जन किया गया। इस मौके पर संस्था के प्रांतीय महामंत्री एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने बताया कि गुजरात में सदविचार परिवार संस्था सामूहिक अस्थि विसर्जन का काम करती है। धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड के सहयोग सेयह सतीघाट पर सम्पन्न होगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में प्रायः अपने पितृगण के व्यक्तिगत अस्थि विसर्जन की परंपरा नहीं है। लेकिन गुजराती लोग अपने पितृगण की अस्थियां सदविचार परिवार संस्था को दे देते हैं और यह संस्था सामूहिक रूप से अस्थि विसर्जन कार्य करती है‌। धर्मयात्रा महासंघ उत्तराखंड के सहयोग से यह कार्यकम मंगलवार को सतीघाट पर सम्पन्न हुआ। उन्होंने कहा तीर्थ पुरोहित पंडित जितेंद्र शास्त्री ने विधि विधान से अस्थि विसर्जन का कार्य संपन्न कराया। वरिष्ठ पत्रकार रजनी कांत शुक्ला ने कहा की श्राद्ध पक्ष में पित्र विसर्जन का कार्य किया जाता है। ऐसे समय में संस्था की ओर से लावारिस वस्तुओं का विसर्जन किया गया। इससे निश्चित ही मृतकों की आत्मा को शांति मिलेगी एवं उन्हें मोक्ष भी प्राप्त होगा। ‌ उन्होंने कहा करो ना काल में अनेक लोगों को असमय काल का ग्रास बनना पड़ा। कई लोगों के परिजन उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सके। ऐसे में सद्विचार परिवार की ओर से किये गये कार्य के सर्वत्र सराहना की जानी चाहिए ऐसा करने से अन्य लोगों के उत्साह में वृद्धि होती है। कार्यक्रम में काशीनाथ आशा गुप्ता डाक्टर रजनीकांत शुक्ला डाक्टर काला डाक्टर उपेन्द्र गुप्ता जानकी प्रसाद पत्रकार कमल अग्रवाल मनोज गुप्ता पं चंद्रप्रकाश शुक्ला ललिता मिश्रा, सुषमा मिश्रा अशोक अग्रवाल एडवोकेट आदि अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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