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साधना के साथ आहार-विहार भी हो सात्विक:डॉ पण्ड्या


देसंविवि व शांतिकुंज में नवरात्र साधकों ने ‘इदं न मम्’ के भाव से की पूर्णाहुति, महाशक्ति की लोकयात्रा आडियो बुक का विमोचन|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार १५ अक्टूबर। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधकों को साधना काल में जप के साथ-साथ आहार विहार को भी सात्विक रखना चाहिए। सात्विक आहार का तन के साथ मन पर भी विशेष प्रभाव पड़ता है, जो साधना के लिए आवश्यक है। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या देश-विदेश से गायत्री साधना में जुड़े साधकों को आनलाइन संबोधित कर रहे थे। नौ दिन चले शारदीय नवरात्र में प्रत्येक दिन साधकों को साधना के विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने मार्गदर्शन दिया। हिन्दु आफ द ईयर से सम्माानित श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि जो भी व्यक्ति निष्काम भाव से पूर्ण श्रद्धा के साथ यज्ञ, तप व दान करता है, वह सात्विक प्रकृति का होता है। नवरात्र साधना के दिनों जप के साथ सात्त्विक अन्न लेने से साधकों में विशेष शक्ति का जागरण होता है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र साधना करने से सात्विक साधक को सत्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है और वह साधक सकारात्मक ऊर्जा से भी अनुप्राणित होता है। इंद्रियों को संयमित करने में भी नवरात्र साधना की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। गीता मर्मज्ञ डॉ पण्ड्या ने श्रीमद् भागवत गीता के विभिन्न श्लोकों के माध्यम से सामूहिक साधना से होने वाले लाभों की विस्तार से जानकारी दी। नवरात्र के साधना के अंतिम दिन गायत्री परिवार प्रमुख ने देश-विदेश के साधकों के विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए साधना काल में प्राप्त ऊर्जा को समाज के विकास में लगाने के प्रेरित किया तथा स्वर्ण जयंती वर्ष के कार्यक्रम के अंतर्गत घर-घर युगसाहित्य पहुंचाने के लिए संकल्पित कराया। इस मौके पर डॉ पण्डया ने महाशक्ति की लोकयात्रा आडियो बुक का विमोचन किया। नौ दिनों तक चले इस साधना सत्र के साधकों को कई विषय विशेषज्ञों ने भी विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया। इससे पूर्व संगीत विभाग ने पूज्यवर वह शक्ति हमें देना... गीत प्रस्तुत किया। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के युवाओं एवं शिक्षक, शिक्षिकाओं सहित अन्य पदाधिकारियों ने नवरात्र साधना का सामूहिक जप, स्वाध्याय के क्रम को ‘इदं न मम्’ के भाव से पूर्णाहुति कर समापन किया। वहीं शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्त्ताओं एवं देश-विदेश से आये साधकों ने भी २७ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में अनुष्ठान की पूर्णाहुति की। इसके पश्चात कन्या भोज एवं प्रसाद वितरण किया गया।

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