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माता अनसूया का दो दिवसीय मेला पूरे विधि विधान व पूजा-पाठ के साथ बुधवार से शुरू


संतानदायिनी शक्ति शिरोमणि माता अनसूया का दो दिवसीय मेला पूरे विधि विधान व पूजा-पाठ के साथ बुधवार से शुरू हो गया। जिला पंचायत अध्यक्षा रजनी भंडारी ने मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर माता अनसूया मंदिर को फूल मालाओं से सजाया गया। माॅ अनसूया मंदिर में दत्तात्रेय जयंती पर सम्मपूर्ण भारत से हर वर्ष निसंतान दंपत्ति और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पहुॅचते है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

चमोली, संतानदायिनी शक्ति शिरोमणि माता अनसूया का दो दिवसीय मेला पूरे विधि विधान व पूजा-पाठ के साथ बुधवार से शुरू हो गया। जिला पंचायत अध्यक्षा रजनी भंडारी ने मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर माता अनसूया मंदिर को फूल मालाओं से सजाया गया। माॅ अनसूया मंदिर में दत्तात्रेय जयंती पर सम्मपूर्ण भारत से हर वर्ष निसंतान दंपत्ति और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पहुॅचते है। इस बार संतान कामना के लिए 150 बरोहियों (निसंतान दंपति) ने मंदिर में रात्रि जागरण के लिए पंजीकरण कराया है। मेले के दौरान पूरे पैदल मार्ग में सुरक्षा के भी कडे इंतेजाम किए गए है। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया, मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे एवं अपर जिलाधिकारी एमएस बर्निया ने बुधवार को अनसूया मंदिर पहुॅचकर मां अनसूया के दरवार में पूजा अर्चना की। इस दौरान जिलाधिकारी ने अनसूया मेला ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष बीएस झिक्वांण से मेले की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष को यात्रियों की सुविधा के लिए कंबल, रैनबसेरा आदि जरूरी आवश्यकता के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराने की बात कही। कहा कि जिला प्रशासन की ओर से श्रद्वालुओं के लिए अनसूया मंदिर में जरूरी सुविधाएं जुटाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। इस दौरान जिलाधिकारी ने अनसूया पैदल मार्ग पर यात्रा व्यवस्था का जायजा लेते हुए सुरक्षा हेतु आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। मंदिर परिसर में व्यवस्थाओं को जायजा लेने के बाद जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी तथा अपर जिलाधिकारी देर रात को अनसूया से वापस गोपेश्वर पहुॅचे। इस दौरान जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी नन्द किशोर जोशी भी मौजूद रहे। विदित हो कि पौराणिक काल से दत्तात्रेय जंयती पर हर वर्ष सती माता अनसूया में दो दिवसीय मेला लगता है। माॅ अनुसूया मेले में निसंतान दंपत्ति और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पहुूचते है। मान्यता है कि मां के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। मां सबकी झोली भरती है। इसलिए निसंतान दंपत्ति पूरी रात जागकर मां की पूजा अर्चना कर करते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जप और यज्ञ करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है। इसी मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुनः उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुख वाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना भी की गई है। बताते है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेनी चाही थी, तब उन्होंने तीनों को शिशु बना दिया। यही त्रिरूप दत्तात्रेय भगवान बने। उनकी जयंती पर यहां मेला और पूजा अर्चना होती है।

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