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जल संरक्षण हेतु समेकित प्रयास नितांत आवश्यक-स्वामी चिदानन्द सरस्वती |


परमार्थ निकेतन पधारा दिल्ली और केरल के साधकों का दल। उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता कर आशीर्वाद लिया।

रिपोर्ट  - 

ऋषिकेश, 2 अगस्त। परमार्थ निकेतन पधारा दिल्ली और केरल के साधकों का दल। उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंटवार्ता कर आशीर्वाद लिया। केरल और दिल्ली से आये साधकों के दल ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया तथा उन्हें स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सत्संग करने का अवसर प्राप्त हुआ। साधकों ने अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान स्वामी जी से प्राप्त किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने साधकों से जलवायु परिवर्तन, दिल्ली और देश के अन्य राज्यों में बढ़ते प्रदूषण और घटते जल स्तर पर भी विस्तृत चर्चा करते हुये कहा कि देश को प्रदूषण मुक्त करने के लिये समेकित प्रयासों की जरूरत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि केरल राज्य का संम्बंध हिन्दुत्व और अद्वैत दर्शन से है। आदि शंकराचार्य जी का सम्बंध भी केरल राज्य से है। केरल राज्य में ही आदिगुरू शंकराचार्य जी का प्राकट्य हुआ और उन्होने केरल से केदारनाथ और कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा कर भारतीय एकता और समरसता का संदेश दिया। उन्होेने कहा कि भले ही भारत में बहुत सारी चीजों में एकरूपता नहीं है परन्तु जो एकात्मकता है वह अद्भुत है। एकात्मकता और विभिन्नता में एकता का संदेश, हम सभी एक परिवार है तथा शरीर के तल पर हम सभी अलग-अलग हो सकते है परन्तु आत्मा के तत्व पर हम सभी एक है और इसी एकात्मतत्व की आज इस देश को जरूरत है, इससे जातिवाद, आतंकवाद, छोटे-बड़े की दीवारें टूट जायेंगी, तब केवल देश में ही नहीं बल्कि व्यक्ति के जीवन में भी शान्ति की स्थापना हो सकती है यही संदेश आदि गुरू शंकराचार्य जी ने दिया। स्वामी जी महाराज ने कहा कि केरल में शिशुओं की मृत्युदर भारत के राज्यों में सबसे कम है तथा स्त्रियों की संख्या पुरूषों से अधिक है वास्तव में यह आंकड़े भारत के दूसरे राज्यों के लिये अनुकणीय है। केरल से आये साधकों ने कहा कि केरल की सुन्दरता, संस्कृति और परम्परायें अद्भुत है। केरल वास्तव में बेहद खुबसूरत राज्य है परन्तु स्वामी जी के सान्निध्य में परमार्थ गंगा आरती में सहभाग करना वास्तव में अविस्मरणीय क्षण है। परमार्थ प्रवास का अनुभव भी विलक्षण और अध्यात्म से ओतप्रोत है। उस प्रदेश से आये लोगों, उत्तराखण्ड की शान्ति देखकर अभिभूत हो उठे उन्होने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा तट पर हमने जो अध्यात्म, भारतीय संस्कृति और संस्कारों का दर्शन किया है यह हमें सदैव प्रेरणा देता रहेंगा। स्वामी जी महाराज ने कहा कि जल है तो जीवन है अतः जल की संस्कृति को समझकर जल स्रोतों एवं नदियों को अविरल एवं दीर्घजीवी बनाना होगा तभी मानव का कल सुरक्षित रह सकता है अन्यथा जल के बिना कल कोय भविष्य को इतिहास में परिवर्तित होते देर नहीं लगेगी। उन्होने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि अब जल संरक्षण क्रान्ति की आवश्यकता है। कल को सुरक्षित करने के लिये जल को सुरक्षित करना नितांत आवश्यक है। इसी परिपेक्ष्य में सभी ने विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया तथा जल संरक्षण का संकल्प लिया।

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