उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पà¥à¤·à¥à¤•à¤° सिंह धामी जी से à¤à¥‡à¤‚ट कर 22 वें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस पर उनके माधà¥à¤¯à¤® से राजà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¤‚े और बधाई देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®, आननà¥à¤¦, शानà¥à¤¤à¤¿ और शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली à¤à¥‚मि है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 9 नवमà¥à¤¬à¤°à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस के अवसर पर उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पà¥à¤·à¥à¤•à¤° सिंह धामी जी से à¤à¥‡à¤‚ट कर 22 वें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस पर उनके माधà¥à¤¯à¤® से राजà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¤‚े और बधाई देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®, आननà¥à¤¦, शानà¥à¤¤à¤¿ और शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली à¤à¥‚मि है। इस पावन धरती में à¤à¥€à¤¤à¤°à¥€ और बाहरी दोनों परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ और समृदà¥à¤§ रखने की अपार कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने माननीय मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जी से गà¥à¤°à¥€à¤¨ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने के विषय में चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, यà¥à¤µà¤¾ नेतृतà¥à¤µ में आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करेगा जिससे रोजगार के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अवसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि हमारा उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¥à¤œà¤° लैणà¥à¤¡ à¤à¥€ है और सà¥à¤ªà¤¿à¤°à¤¿à¤šà¥à¤…ल लैणà¥à¤¡ à¤à¥€ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहां पर माठगंगा है और हिमालय à¤à¥€ है इसलिये यह पूरे विशà¥à¤µ को अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर सकता है। यहां पर हरित परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विकसित करने की अपार समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की à¤à¤• और विशेषता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सीमाओं की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये यहां से सैनिक à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤°à¤¾ में आते हैं। उन सब सैनिकों की माताओं को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सीमाओं की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये अपने बेटे और बेटियों को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया हैं तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये हिमालय की गोद और माठगंगा के तट पर ऋषियों और पूजà¥à¤¯ संतों को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ वातावरण पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° ने जल, वायॠऔर पवितà¥à¤° नदियों, पहाड़ों और जंगलों से समृदà¥à¤§ बनाया है, इसकी नैसरà¥à¤—िक समृदà¥à¤§à¤¿, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ और शानà¥à¤¤à¤¿ को बनायें रखना तथा पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण मà¥à¤•à¥à¤¤ बनाने में सहयोग करना हम सà¤à¥€ का परम करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है ताकि हमारा पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सदैव नवीन विचारों, नई ऊरà¥à¤œà¤¾ और हरियाली से परिपूरà¥à¤£ रहे।