Latest News

विलुप्त होती पक्षी गौरैया को बचाने के लिये प्रयासरत है विज्ञान चौपाल।


आवासीय ह्रास, अनाजों में कीटनाशकों का इस्तेमाल, मोबाइल टावरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिये खतरा बन रही हैं । निरंतर कम होती जा रही गौरैया की संख्या चिंता का विषय है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

आवासीय ह्रास, अनाजों में कीटनाशकों का इस्तेमाल, मोबाइल टावरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिये खतरा बन रही हैं । निरंतर कम होती जा रही गौरैया की संख्या चिंता का विषय है। वैज्ञानिको के अनुसार गौरैया की आबादी में साठ से अस्सी प्रतिशत तक की कमी आयी है। मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगों को गौरैया के लिये हानिकारक माना जाता है, ये तरंगें चिडिया की दिशा खोजने वाली प्रणाली को प्रभावित करती है जिससे इनके प्रजनन पर भी विपरीत प्रभाव पडता है । यह कहना है विज्ञान चौपाल के संयोजक व रा0इ0का0 चौरास में कार्यरत जीव विज्ञान प्रवक्ता डा0 अशोक कुमार बडोनी का । विज्ञान चौपाल विगत दो वर्षों से उत्तराखंड में गौरैया संरक्षण के लिये छात्र छात्राओं और स्थानीय लोगों को जागरूक कर रहा है। विगत वर्ष 20 मार्च को विज्ञान चौपाल के संयोजक डॉ0 बडोनी और थौलधार के विज्ञान समन्वयक व विज्ञान चौपाल के संरक्षक राजेश चमोली की पहल पर विज्ञान चौपाल के अन्तर्गत गौरैया संरक्षण हेतु विश्व गौरैया संरक्षण दिवस पूरे उत्तराखंड के विद्यालयों में मनाया गया जो कि एक सराहनीय प्रयास है। विज्ञान चौपाल विज्ञान शिक्षकों का एक सम्मिलित मंच है जिसके अन्तर्गत विज्ञान के विविध नवीन प्रयोग किये जाते हैं और समाज को विज्ञान से जोडने का कार्य किया जाता है। विज्ञान को समाज तक पहुंचाने का एक अनूठा प्रयास है विज्ञान चौपाल।

Related Post