परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डाॅ जगदीश चनà¥à¤¦à¥à¤° बसॠजी की पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डाॅ जगदीश चनà¥à¤¦à¥à¤° बसॠका बायोफिजिकà¥à¤¸ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बहà¥à¤¤ बड़ा योगदान यह था की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों से दिखाया की पौधो में ऊरà¥à¤œà¤¾ का संचार वैदà¥à¤¯à¥à¤¤à¤¿à¤• (इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤•à¤² ) माधà¥à¤¯à¤® से होता है न कि केमिकल माधà¥à¤¯à¤® से। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबसे पहले माइकà¥à¤°à¥‹à¤µà¥‡à¤µ के वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ के टिशà¥à¤¯à¥‚ पर होने वाले असर का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था।
रिपोर्ट - आल नà¥à¤¯à¥‚ज़ à¤à¤¾à¤°à¤¤
ऋषिकेश, 23 नवमà¥à¤¬à¤°à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डाॅ जगदीश चनà¥à¤¦à¥à¤° बसॠजी की पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डाॅ जगदीश चनà¥à¤¦à¥à¤° बसॠका बायोफिजिकà¥à¤¸ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बहà¥à¤¤ बड़ा योगदान यह था की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों से दिखाया की पौधो में ऊरà¥à¤œà¤¾ का संचार वैदà¥à¤¯à¥à¤¤à¤¿à¤• (इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤•à¤² ) माधà¥à¤¯à¤® से होता है न कि केमिकल माधà¥à¤¯à¤® से। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबसे पहले माइकà¥à¤°à¥‹à¤µà¥‡à¤µ के वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ के टिशà¥à¤¯à¥‚ पर होने वाले असर का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था। साथ ही पौधों पर बदलते हà¥à¤ मौसम से होने वाले असर के साथ रासायनिक इनà¥à¤¹à¤¿à¤¬à¤¿à¤Ÿà¤°à¥à¤¸ का पौधों पर असर और बदलते हà¥à¤ तापमान से होने वाले पौधों पर असर का à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था। अलग अलग परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सेल मेमà¥à¤¬à¥à¤°à¥‡à¤¨ पोटेंशियल के बदलाव का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करके वे इस नतीजे पर पहà¥à¤‚चे कि पौधे संवेदनशील होते हैं वे ‘दरà¥à¤¦ महसूस कर सकते हैं और सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ का à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ कर सकते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि विकास के नाम पर जंगलों को काटा जा रहा है और जिन पौधों का रोपण किया जा रहा है, कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर उनका सही तरीके से संरकà¥à¤·à¤£ नहीं हो रहा। जंगल को पूरà¥à¤£ रूप से विकसित करने के लिये 200 से 300 वरà¥à¤· लग जाते हैं और जिस गति से जंगल काटे जा रहे हैं वह वासà¥à¤¤à¤µ में चिंता का विषय है। जनसमà¥à¤¦à¤¾à¤¯, यà¥à¤µà¤¾à¤“ं और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पेड़-पौधों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदना जगाने के लिये डाॅ बसॠके पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से जोड़ना होगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा किसी à¤à¥€ पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤• तंतà¥à¤° में पौधों और मानव समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में घनिषà¥à¤ अंतरà¥à¤¸à¤‚बंध पाठजाते हैं। पौधों का महतà¥à¤µ समà¤à¥‡à¤‚गे तो ही हम पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤• तंतà¥à¤° के संरकà¥à¤·à¤£ व सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान दे सकते हैं। यह समय की मांग है कि हम सब को पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संरकà¥à¤·à¤£ के लिये आगे आना होगा तà¤à¥€ जैव विविधता संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो पाà¤à¤—ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जनà¤à¤¾à¤—ीदारी के बिना इस कारà¥à¤¯ को कर पाना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ से पधारे जैन सनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤¯à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि आप जनमानस को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करें कि परà¥à¤µà¥‹à¤‚ को इस तरह से मनायें जिससे परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ à¤à¥€ बचे और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ à¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रह सके अतः हम सब मिलकर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के अनà¥à¤•à¥‚ल परà¥à¤µà¥‹ को मनायंे, जिससे हवा की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ बनी रहेगी। आईये सà¤à¥€ संकलà¥à¤ª लें कि हम हर परà¥à¤µ हरित परà¥à¤µ-सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ परà¥à¤µ के रूप में मनायेंगे तथा परà¥à¤µà¥‹ के अवसर पर पौधों का रोपण करेंगे व जल का संरकà¥à¤·à¤£ करेंगे। आईये हम सà¤à¥€ डाॅ बसॠकी पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ पर पेड़-पौधों के दरà¥à¤¦ को समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करें उनकीं संवेदना को जाने और पौधों के रोपण और संवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ हेतॠयोगदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करे।