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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में संविधान दिवस के अवसर पर एकदिवसीय वेबिनार


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में संविधान दिवस के अवसर पर एकदिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. राकेश नेगी ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय संविधान हमारे शासन संचालन का अमूल्य दस्तावेज है जिसे लगातार सहेजे जाने की आवश्यकता है ।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

राजनीति विज्ञान विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में संविधान दिवस के अवसर पर एकदिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. राकेश नेगी ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय संविधान हमारे शासन संचालन का अमूल्य दस्तावेज है जिसे लगातार सहेजे जाने की आवश्यकता है । कार्यक्रम की रूपरेखा और सभी का स्वागत करते हुए राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एम एम सेमवाल ने कहा कि वर्तमान समय में बंधुत्व तथा भाईचारे की विशेष आवश्यकता है तथा उन्होंने इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा संवैधानिक प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश होने के नाते सभी के प्रतिनिधित्व की बात संविधान को बंधुत्व और भागीदारी की तरफ ले जायेगा। उन्होंने कहा कि एक मजबूत कि नेशन -स्टेट के लिए "बंधुत्व "एक महत्वपूर्ण तत्व है ,जो अनेक प्रकार की विविधता वाले भारत को एक सूत्र में जोड़ सकता है। समाज में अब भी बहुत से वर्ग है जिन्हे उनकी आबादी के अनुपात में उचित स्थान नहीं मिला है। महिला प्रतिनिधित्व के विषय को विशेषतः उल्लेखित किया तथा कहा कि संविधान के रास्ते से चलकर इसे प्राप्त किया जाना चाहिए। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया तथा उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम ,संविधान निर्माण तथा संविधान दिवस के विशेष महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने संविधान में वर्णित उद्देश्यों ,अधिकारों ,कर्तव्यों तथा मूल्यों से सबको अवगत कराया। और कहा कि हमें संविधान के मूल्यों पर चलने की आवश्यकता है इसी से बेहतर समाज का सपना पूर्ण हो जायेगा। एक नागरिक के रूप में अधिकारों के साथ हमारी जिम्मेदारी भी आती है जिसे हमें समझना होगा तभी हम सच्चे नागरिक बन सकते है। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो के० एन० जैना ने संविधान दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए संविधान निर्माण के इतिहास ,संविधानवाद तथा भारतीय संदर्भों में इसके विशेष स्थान को बताया तथा इसके माध्यम से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संविधान लोगों की आशाओं ,आकांक्षाओं,भावनाओं, संवेगों तथा आवश्यकताओं का प्रतिफल है। यह सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि आजादी के आंदोलनकारियों का सपना है जिसे वो इस देश के लिए देखते थे। उन्होंने संविधान निर्माण के सन्दर्भ में डॉ अम्बेडकर के योगदान को भी उल्लेखित किया है। डॉ जेना ने विभिन्न उदाहरणों के द्वारा संविधान के तत्वों तथा इसकी बारीकियों को उजाकर किया इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय एकीकरण, साम्प्रदायिक, भाषायी तथा क्षेत्रों की सद्भावना पर विशेष बल दिया तथा इसके माध्यम से सामाजिक पूंजी के संवर्धन का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मानविकी एवम् समाज विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो० आर० एन० गैरोला ने संविधान के विभिन्न तत्वों तथा इसकी ऐतिहासिक यात्रा पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संविधान भारत की 130 करोड़ जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है जिसका महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। संविधान को समझने और असल मायने में आत्मार्पित करने की आवश्यकता है ताकि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ लोकतांत्रिक समाज को भी बना सके।

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