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वैक्सीन’ का प्रयोग 600 प्रतिशत बढ़ा!


कुछ साल पहले तक जो शब्द मेडिकल जगत या कुछ खास लोगों तक ही सीमित थे, वे अब आम लोगों के व्यवहार का हिस्सा बन गए हैं। नए शब्दों की आमद के साथ-साथ पुराने शब्दों को नए संदर्भाें के साथ प्रयुक्त किए जाने का क्रम भी सतत गतिमान है।

रिपोर्ट  - à¤¸à¥à¤¶à¥€à¤² उपाध्याय

यूं तो शब्दों और भाषाविज्ञान का किसी बीमारी से कोई सीधा संबंध नहीं होता, लेकिन उसकी गंभीरता और उसके प्रति आम लोगों में जागरूकता का अहसास शब्दों के जरिये ही होता है। कोरोना महामारी के फैलाव के बाद कुछ शब्दों के प्रयोग की प्रकृति और आवृत्ति में उल्लेखनीय बदलाव आया है। और यह क्रम अब भी अनवरत जारी है। कुछ साल पहले तक जो शब्द मेडिकल जगत या कुछ खास लोगों तक ही सीमित थे, वे अब आम लोगों के व्यवहार का हिस्सा बन गए हैं। नए शब्दों की आमद के साथ-साथ पुराने शब्दों को नए संदर्भाें के साथ प्रयुक्त किए जाने का क्रम भी सतत गतिमान है। इसी कड़ी में इस साल ‘वैक्सीन’ को वर्ड ऑफ द ईयर चुना गया है। मरियम-वेबस्टर डिक्शनरी ने ‘पैनडेमिक’ यानी महामारी को पिछले वर्ष (2020) का शब्द करार दिया था। इस शब्दकोश संपादक-मंडल के अनुसार, वर्ष 2020 के मुकाबले इस वैक्सीन शब्द को करीब 600 प्रतिशत अधिक खोजा गया है। कोई अन्य शब्द इसके आसपास नहीं आ सका। इसे मोटे तौर पर इस तरह भी समझ सकते हैं कि आम व्यवहार में इस शब्द की आमद छह गुना बढ़ी है। ऐसा महामारी के फैलाव के कारण ही हुआ और यह कहा जा सकता है कि आने वाले महीनों, बल्कि वर्षाें में इस शब्द के प्रयोग में बड़ी कमी देखने को नहीं मिलेगी। इस शब्द से जुड़े कई आयामों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ वैक्सीन-डिप्लोमैसी, वैक्सीन-पॉलीटिक्स, वैक्सीन-थ्रेट जैसे शब्द भी चलन का हिस्सा रहे। साथ ही, वैक्सीन-डोज, बूस्टर डोज, वैक्सीन हैजीटेंसी भी बातचीत का हिस्सा बने रहे। वैक्सीन-पासपोर्ट की चर्चा लगभग पूरी दुनिया में हुई और अब भी हो रही है। मेडिकल जगत ने वैक्सीन के जरिये सफलता की एक अलग ही कहानी गढ़ी है। यह विज्ञान-जगत की ऐयी कहानी है, जो बताती है कि कितनी शानदार तेजी से वैक्सीन विकसित हुई है। मानव इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। महामारी के वैश्विक फैलाव के बाद लोगों का ध्यान वैक्सीन पर अटक गया था। हर कोई वैक्सीन के बारे में ही बात कर रहा था। इस शब्द का प्रयोग वर्ष 2019 से बढ़ने लगा था। महीने-दर-महीने इसके प्रयोग में बढ़ोत्तरी होती गई। अगर 2019 से तुलना की जाए तो मरियम-वेबस्टर डिक्शनरी पर वैक्सीन शब्द को खोजने में 1000 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। यानि बीते दो साल में वैक्सीन शब्द को औसतन 5 गुना अधिक ढूंढा गया है। इस शब्द को लेकर लगभग ऐसी ही स्थिति अन्य माध्यमों पर भी देखने को मिली। रेडियो डायचे वैले की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘वैक्सीन शब्द का जन्म एक दिन में या किसी एक महामारी के कारण नहीं हुआ था। इस शब्द का शुरुआती इस्तेमाल वर्ष 1882 में मिलता है, लेकिन उससे पहले के भी कुछ संदर्भ मौजूद हैं, जब इसे काओपॉक्स से निकलने वाले द्रव्य के मामले में इस्तेमाल किया गया था। वैक्सीन शब्द को लैटिन भाषा के वैक्सीना (vaccina) से लिया गया माना जाता है. वैक्सीना की उत्पत्ति वैसीनस से होती है, जिसका अर्थ है ‘गाय से’ संबंधित।’’ आगामी दिनों में वैक्सीन शब्द को एक नया शब्द ‘ओमीक्रोन‘ टक्कर देता दिख रहा है। ये कोरोना का नया वेरिएंट है जो साल 2021 के आखिर में चर्चा में आया। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी भी नए वेरिएंट का नाम ग्रीक वर्णमाला के वर्णाें के मुताबिक निर्धारित है। ओमीक्रोन ग्रीक वर्णमाला का 15वां वर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूर्व में सार्स कोवल-2 के वेरिएंट के लिए 12 ग्रीक अक्षरों का उपयोग कर लिया है। नए वेरिएंट के लिए ‘ओमीक्रोन‘ नाम तय करते वक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्रीक वर्णमाला के 13वें और 14वें शब्द को छोड़ दिया है। इन शब्दों को न्यू और शी (Nu, Xi) की तरह उच्चारित किया जाता है। इन दोनों के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हो रही थी। न्यू से नया का अर्थ ध्वनित होने और शी से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नाम की समानता के कारण इन शब्दों को को छोड़ा गया है। वैसे भी कोरोना महामारी के लिए चीन और उसके राष्ट्रपति पहले से ही चर्चा में हैं और दुनिया के एक हिस्से में इसे चीनी-वायरस तक कहा जाता रहा है। ऐसे में नए वेरिएंट का नाम ‘शी’ होने से राजनीतिक विवाद खड़ा होना तय था। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्माें पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, ओमीक्रोन अंग्रेजी वर्णमाला में स्मॉल ओ अक्षर का ग्रीक रूप है। ग्रीक वर्णमाला में ओमेगा वर्ण अंग्रेजी के कैपिटल ओ को प्रदर्शित करता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ओमीक्रोन और ओमेगा के उच्चारण में फर्क भी है। इसके अलावा ओमीक्रोन ग्रीक संख्याओं में 70 की संख्या को भी प्रदर्शित करता है। भाषा की दृष्टि से देखें तो कोरोना संक्रमण के प्रसार के बाद लोगों में ग्रीक वर्णमाला को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है। संख्यात्मक रूप से यह जिज्ञासा कितने प्रतिशत बढ़ी है, इसका कोई डेटा अभी सामने नहीं आया है। भाषा के रूप-परिवर्तन के सामान्य नियमों को ध्यान में रखें तो कह सकते हैं कि आगामी समय में ग्रीक वर्णमाला के शब्द केवल साइंस तक सीमित नहीं रहेंगे, इसके प्रयोग बाजार के उत्पादों के लिए भी किया जाने लगेगा। (जारी)

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