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लोक सभा अध्यक्ष ने देहरादून में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाà¤


लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने देहरादून में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में, श्री बिरला ने कहा कि यह सम्मेलन पीठासीन अधिकारियों को देश में लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से अनुभवों और नए विचारों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज भारत

देहरादून, 18 दिसम्बर 2019: आज लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने देहरादून में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में, श्री बिरला ने कहा कि यह सम्मेलन पीठासीन अधिकारियों को देश में लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से अनुभवों और नए विचारों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस बात पर जोर देते हुए कि सभा में वाद-विवाद, असहमति और चर्चा होनी चाहिए परन्तु 'व्यवधान नहीं' होना चाहिए, उन्होंने कहा कि सभा का कार्य सुचारु रूप से चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विरोध करते समय भी गतिरोध नहीं होना चाहिए; यही लोकतंत्र की गरिमा और परंपरा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गतिरोध से लोकतंत्र की मूल भावना आहत होती है, क्योंकि इससे सदस्यों के अधिकारों का हनन होता है। इस संदर्भ में, उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 17वीं लोक सभा के पहले सत्र के दौरान, व्यवधानों और गतिरोधों के कारण समय की जरा भी बर्बादी नहीं हुई थी और 37 बैठकों में 35 विधेयकों को पारित किया गया था जिससे सभा की उत्पादकता में वृद्धि हुई थी। इसी प्रकार, दूसरा सत्र भी इसी प्रकार उत्पादक रहा था और दोनों सत्रों में नव-निर्वाचित सदस्यों को सभा में मामलों को उठाने के लिए अधिकाधिक अवसर प्रदान किए गए थे। बिरला ने कहा कि हालांकि विधानमंडल अपने कार्यकरण के संबंध में स्वतंत्र हैं, फिर भी समय की मांग है कि विधानमंडलों का कार्यकरण एक समान हो । ऐसा इसलिए भी है क्योंकि विधानमंडलों को लोगों की आकांक्षाओं और आस्था का मंदिर माना जाता है । इसलिए यह आवश्यक है कि हमारी संस्थाओं में लोगों के विश्वास को सुदृढ़ किया जाए और इसे और मजबूत बनाया जाए । श्री बिरला ने यह भी कहा कि वर्ष 2021 में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे और इस विशेष अवसर पर यह सुनिश्चित करने के सभी संभव प्रयास किए जाने चाहिए कि विधायिका के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही को पूरी तरह सुनिश्चित किया जाए । श्री बिरला ने यह भी कहा कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उनकी शिकायतों के समाधान के लिए विधायिकाओं की एक वर्ष में निर्धारित बैठकें सुनिश्चित होनी चाहिए। इस बात का उल्लेख करते हुए कि पीठासीन अधिकारियों की दिल्ली में हुई बैठक के दौरान 28 अगस्त 2019 को उन्होंने निम्नलिखित तीन समितियों का गठन किया था, श्री बिरला ने प्रतिनिधियों को जानकारी दी कि इन समितियों के प्रतिवेदन इस सम्मेलन के दौरान सभापटल पर रखे जाएंगे : (i)विधान मंडलों के कार्यकरण में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का मूल्‍यांकन करने तथा सुझाव देने हेतु समिति;(ii)सभा के सुचारु कार्यकरण संबंधी मामले पर विचार करने संबंधी समिति; और (III)विधान मंडल सचिवालयों की वित्‍तीय स्वायत्तता के मामले की जांच हेतु समि‍ति । उन्होने अपने साथी पीठासीन अधिकारियों से इन समितियों की सिफ़ारिशों को अपने-अपने विधानमंडलों में लागू करने का आग्रह किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पीठासीन अधिकारी सुदृढ़ और सशक्त लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह उल्लेख करते हुए कि अध्यक्ष कक्षा अध्यापकों या अभिभावकों के रूप में कार्य करते हैं, उन्होंने कहा कि सभा का सुचारू रूप से संचालन करना अध्यक्ष का कर्तव्य और दायित्व है। इस संबंध में, उन्होंने कहा कि 17 वीं लोक सभा के दौरान, बजट सत्र में लोक सभा की कार्य-उत्पादकता 135% और शीतकालीन सत्र में 116% थी, जिससे स्पष्ट होता है कि लोक सभा अध्यक्ष ने सभा में कितनी कुशलता से कार्यवाही का संचालन किया है।

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