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सद्भावना ही संभावना-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने ‘वैश्विक आतकंवाद बनाम मानवीयता, शान्ति और संभावनायें’ अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर सम्बोधित किया।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज भारत

12 दिसम्बर, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने ‘वैश्विक आतकंवाद बनाम मानवीयता, शान्ति और संभावनायें’ अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर सम्बोधित किया। सम्मेलन के समापन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने उपस्थित सभी विद्वत जनों से हाथ खड़े कर संकल्प कराया कि भारत अखंड था, अखंड है और रहेगा, आईये अखंड भारत बनाये रखने के लिये सब मिलकर प्रयत्न करेंगे। सभी ने हाथ खड़े करके संकल्प किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जब सोच दूषित होती है तो भीतर भी और बाहर भी सब कुछ प्रदूषित हो जाता हैं इसलिये हमें अपनी सोच को बदलना होगा और दिव्य संस्कारों से जुड़ना होगा। वर्तमान समय में परिवारों में संस्कारों की और संस्थाओं में सोच को बदलना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि सोच को बदले तो सितारे बदल जायेंगे, नज़र को बदले तो नज़ारे बदल जायेंगे। आज हम एक नये भारत में सांस ले रहे हैं; खुले वातावरण युक्त भारत में सांस ले रहे हैं। हमें भारत को हर तरह के वादों और विवादों से मुक्त रखना होगा तथा संवाद की इस नई ज्योति को जलाये रखना होगा, इसी से ही सम्मान और समाधान के रास्ते खुले रहेंगे तथा आने वाला भविष्य और आने वाली पीढ़ियां इससे प्रेरणा ले सकें। युवा भाई-बहन एक नई सोच, दृष्टि व नजरिया लेकर केवल भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को योगदान प्रदान कर सकंे। स्वामी जी ने सम्मेलन के समापन अवसर पर सभी को सम्बोधित करते हुये कहा कि हम सब में आपस में प्यार हो, परिवार में संस्कार हो, जीवन में श्रेष्ठ विचार हो और हमारी शिक्षा में पर्यावरण संरक्षण का संदेश हो क्योंकि शिक्षा के माध्यम से श्रेष्ठ सोच और बेहतर संवाद स्थापित किया जा सकता है। संघ के वरिष्ठ नेता माननीय इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि भारत तो वसुधैवकुटुम्बकम् की संस्कृति को मानने, जीने और स्वीकार करने की संस्कृति को आत्मसात करता है। श्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने नये भारत में सभी को उन्मुक्त रूप से सांस लेने के लिये एक श्रेष्ठ वातावरण तैयार करने हेतु बहुत ही सारगर्भित उद्बोधन देकर सभी को प्रभावित किया। शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉ सुभाष सरकार जी ने भारत की नई शिक्षा नीति के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि शिक्षा क्षेत्र में कई पहलों और पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गयी है जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी जी, कई बार पहले भी और आज भी कहा कि ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे शब्दों को हटाना चाहिये क्योंकि कुछ संगठनों द्वारा इन शब्दों के माध्यम से इस्लाम का गलत ढंग से प्रयोग किया जा रहा है। हम सब आपस में शान्ति से मिलकर कर प्यार से रहे यही सभी धर्मो का संदेश है। इस्लाम भाईचारा, एकता और सद्भाव का संदेश देता है, इस्लाम किसी भी कट्टरता के खिलाफ है। हमें देश में कट्टरवाद और नफ़रत नहीं बल्कि मोहब्बत का पैगाम प्रसारित करना चाहिये। सम्मेलन के समापन अवसर पर श्री प्रवेश खन्ना जी, डा गीता सिंह और उनकी पूरी टीम का स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अभिनन्दन करते हुये कहा कि आपने समाज में नई चेतना को जागृत रखने के लिये जो आयोजन किया उसकी मशाल को हमेशा जीवंत और जागृत बनाये रखना। पूरी टीम ने स्वामी से अपने भावी कार्यो के लिये आशीर्वाद लिया।

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