रूदà¥à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤•, गौसेवा, वनवासी शà¥à¤°à¥€ राम व à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता का पूजन, वंदेमातरमॠगायन, हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ शंखनाद, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£, नदियों के संरकà¥à¤·à¤£ के विषयों पर किया विचार मंथन, 11 सौ बटà¥à¤•à¥‹à¤‚ ने शंखनाद कर हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ महाकà¥à¤®à¥à¤ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया और विशà¥à¤µ रिकारà¥à¤¡ बनाया
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
सर संघसंचालक, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤‚य सेवक संघ शà¥à¤°à¥€ मोहन à¤à¤¾à¤—वत जी, शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥‚काषà¥à¤°à¥à¤£à¤¿ पीठाधीशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥‚शरणाननà¥à¤¦ जी महाराज, गोरकà¥à¤·à¤¾à¤ªà¥€à¤ ाधीशà¥à¤µà¤°, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज, जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ वासà¥à¤¦à¥‡à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी महाराज, परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी महाराज, संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• आरà¥à¤Ÿ आफ लिविंग, शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ रविशंकर जी महाराज, मलूकपीठाधीशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ राजेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¸ देवाचारà¥à¤¯ जी महाराज, शà¥à¤°à¥€ रमेश à¤à¤¾à¤ˆ शà¥à¤°à¥€, आचारà¥à¤¯ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° दास जी, शà¥à¤°à¥€ चिनà¥à¤¨à¤¾à¤œà¤¿à¤¯à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज, गोवा से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज, शà¥à¤°à¥€ लोकेश मà¥à¤¨à¤¿ जी, डा चिनà¥à¤®à¤¯ पाणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ जी, साधà¥à¤µà¥€ ऋतमà¥à¤à¤°à¤¾ दीदी जी, शà¥à¤°à¥€ विजय कौशल जी, जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ निबांरà¥à¤•à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¶à¤°à¤£ देवाचारà¥à¤¯ जी महाराज, आदि अनेक पूजà¥à¤¯ संतों ने सहà¤à¤¾à¤— किया मनà¥à¤¦à¤¾à¤•à¤¿à¤¨à¥€, यमà¥à¤¨à¤¾ और अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ नदियों की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ और अविरलता हेतॠकराया संकलà¥à¤ª हड़पने की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से हरित संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की ओर जनसंखà¥à¤¯à¤¾ नियंतà¥à¤°à¤£ पर किया धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ संविधान है समाधान, समाधान अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ समान विधान-सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ऋषिकेश, 15 दिसमà¥à¤¬à¤°à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट में आयोजित हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ महाकà¥à¤®à¥à¤ में सहà¤à¤¾à¤— कर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और नदियों के संरकà¥à¤·à¤£ के विषय पर उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ दिया। इस दिवà¥à¤¯ मंच से मनà¥à¤¦à¤¾à¤•à¤¿à¤¨à¥€ और यमà¥à¤¨à¤¾ आदि नदियों की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ और अविरलता के विषयों पर विशद चरà¥à¤šà¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ इस दिवà¥à¤¯ महाकà¥à¤®à¥à¤ का कà¥à¤¶à¤² संचालन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज ने किया। हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ महाकà¥à¤®à¥à¤ के अवसर पर माननीय सर संघसंचालक, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤‚य सेवक संघ शà¥à¤°à¥€ मोहन à¤à¤¾à¤—वत जी के उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ ने सब के अनà¥à¤¦à¤° मानों पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¤à¤¤à¥à¤µ ही डाल दिया। उनके संकलà¥à¤ª ने सà¤à¥€ को à¤à¤• सूतà¥à¤° में बांध दिया। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ सà¤à¥€ ने à¤à¤• नई ऊरà¥à¤œà¤¾, उमंग, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ देखना जैसा था। à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय और वंदे मातरमॠके उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ से पूरा सà¤à¤¾à¤—ार गूंज गया। शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥‚कारà¥à¤·à¥à¤£à¤¿ पीठाधीशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥‚शरणाननà¥à¤¦ जी महाराज ने à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम जी की वाणी और आचरण को अतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करने का संदेश दिया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी महाराज ने कहा कि समाज में अनेक तरह के पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण है-à¤à¥€à¤¤à¤°, बाहर, वैधानिक, वैचारिक, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¦à¥‚षणों को दूर करने के लिये सोच को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण मà¥à¤•à¥à¤¤ करना होगा तथा जनसंखà¥à¤¯à¤¾ नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करनी होगी। हमें हम दो हमारे दो, सबके दो, जिसके दो उसी को दो का सूतà¥à¤° लागू करना होगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने 1999 में काशी के पवितà¥à¤° घाट पर शà¥à¤°à¥‚ की विशà¥à¤µ विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ गंगा आरती का जिकà¥à¤° करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि हमारे धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤‚थों हमें परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और नदियों के संरकà¥à¤·à¤£ का संदेश देते है। हमारे शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में बड़ी ही दिवà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से कहा गया है माता à¤à¥‚मिः पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤½à¤¹à¤‚ पृथिवà¥à¤¯à¤¾à¤ƒà¥¤ यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में à¤à¥€ कहा गया है- नमो मातà¥à¤°à¥‡ पृथिवà¥à¤¯à¥‡, नमो मातà¥à¤°à¥‡ पृथिवà¥à¤¯à¤¾à¤ƒà¥¤ पृथà¥à¤µà¥€ हमारी माता है और हम उनकी संतान हैं इसलिये हम समाधान का हिसà¥à¤¸à¤¾ बनें समसà¥à¤¯à¤¾ का नहीं। हमारे धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤‚थ हमें वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¤®à¥ का à¤à¥€ संदेश देते है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤• परिवार है और इसमें केवल मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ समसà¥à¤¤ जीव-जंतॠहमारा परिवार हैं। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में दà¥à¤¯à¥Œà¤ƒ शांतिरंतरिकà¥à¤·à¤‚’ शांतिपाठके माधà¥à¤¯à¤® से हमारे ऋषियों ने सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ से समसà¥à¤¤ पृथà¥à¤µà¥€, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿, परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सतà¥à¤¤à¤¾, संपूरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड और कण-कण में शांति की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की हैं। अतः हम हड़पने की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से हरित संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की ओर बà¥à¥‡à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हमें मानवीय मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को विकसित करने का संदेश देती है इसलिये हमें यà¥à¤µà¤¾à¤“ं में उपà¤à¥‹à¤— करो और फेंक दो की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ उपà¤à¥‹à¤— करो और उगाओं की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विकसित करनी होगी तà¤à¥€ हम à¤à¤• उजà¥à¤œà¤µà¤², सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤, सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, हरित à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर सकते है और इसके लिये हमें लोकल के लिठवोकल और सोशल बनाना होगा। शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ रविशंकर जी ने कहा कि जहां पर हिनà¥à¤¦à¥‚ संत à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होते हैं वहां अà¤à¤¯ होता है। हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सà¤à¥€ को अपनाने की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है, सब को अपनाना यही पà¥à¤°à¥‡à¤® का मंतà¥à¤° है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और देव à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• सिकà¥à¤•à¥‡ के दो पहलू है। जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ निबांरà¥à¤•à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¶à¤°à¤£ देवाचारà¥à¤¯ जी महाराज ने कहा कि हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ को विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ करने वाली संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को विराम लगाना आवशà¥à¤¯à¤• है। साधà¥à¤µà¥€ ऋतमà¥à¤à¤°à¤¾ दीदी जी ने कहा कि हमें शिकà¥à¤·à¤¾, नारी शकà¥à¤¤à¤¿, संसà¥à¤•à¤¾à¤° और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये कारà¥à¤¯ करने की जरूरत है। निरà¥à¤®à¤²à¤ªà¥€à¤ ाधीशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ सिंह जी महाराज ने कहा कि हिमालय के परà¥à¤µà¤¤ से लेकर कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ तक पूरा राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤• है। सब के घट में शà¥à¤°à¥€ राम है। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤ªà¥€à¤ ाधीशà¥à¤µà¤° जी ने कहा कि हमें अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और गौ रकà¥à¤·à¤¾ के साथ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पाठशाला की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये कारà¥à¤¯ करना होगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार से निवेदन किया कि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को अनिवारà¥à¤¯ करना जरूरी है और इसके लिये संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ को तैयार करना होगा। आचारà¥à¤¯ लोकेश मà¥à¤¨à¤¿ जी ने कहा कि हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है। गरà¥à¤µ से कहो हम हिनà¥à¤¦à¥‚ है। हमारी à¤à¤•à¤¤à¤¾ और अखंडता बनी रहे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज ने कहा कि चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट पर जो चितà¥à¤° अंकित हà¥à¤† है वही à¤à¤•à¤¤à¤¾ का चितà¥à¤° पूरे देश में à¤à¥€ बनाना है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सिंगल यूज पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का उपयोग न करने का व जल शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का संकलà¥à¤ª करवाया। हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤¤à¤¾ महाकà¥à¤®à¥à¤ के मंच से सà¤à¥€ पूजà¥à¤¯ संतों ने अपने अनमोल और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• विचार रखे।