परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦à¤œà¥€ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी महाराज और रामसनेही धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ रायण अरà¥à¤µà¤¾à¤šà¥€à¤¨ पीठसंसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤·à¥à¤•à¤° के अधिषà¥à¤ ाता सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ à¤à¤—वानदास शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी महाराज की हà¥à¤ˆ à¤à¥‡à¤‚टवारà¥à¤¤à¤¾
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
ऋषिकेश, 17 दिसमà¥à¤¬à¤°à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦à¤œà¥€ महाराज और रामसनेही धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ रायण अरà¥à¤µà¤¾à¤šà¥€à¤¨ पीठसंसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤·à¥à¤•à¤° के अधिषà¥à¤ ाता सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ à¤à¤—वानदास जी शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराज की 40 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद परमारà¥à¤¥ निकेतन में à¤à¥‡à¤‚टवारà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ दोनों पूजà¥à¤¯ संतों ने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ व नदियों के संरकà¥à¤·à¤£, ऋषिकेश की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ व दिवà¥à¤¯à¤¤à¤¾, वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£, योग नगरी ऋषिकेश और माठगंगा की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ को बनाये रखने के लिये पूजà¥à¤¯ संतों के योगदान के विषय में विशद चरà¥à¤šà¤¾ की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने माठगंगा और अनà¥à¤¯ नदियों के किनारों पर वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ के विषय में चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि जहाठवन होते हैं, वहाठवरà¥à¤·à¤¾ अधिक होती है, जिससे नदियों का जलसà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ बॠजाता है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में देखे तो देश की अनेक नदियाठमृत हो रही है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¨à¤ƒ जीवित करने के लिये वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ वृहद सà¥à¤¤à¤° पर करना होगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड जैसे पहाड़ी राजà¥à¤¯ में बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में जंगल हैं। इन जंगलों के पेड़ों से गिरने वाली पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और छाल नीचे गिरने से वरà¥à¤·à¤¾ जल को तेज़ी से बहने नहीं देती और वह जल धीरे-धीरे ज़मीन के अंदर रिसता जाता है, इससे à¤à¥€ जल संरकà¥à¤·à¤£ और जल चकà¥à¤° पूरा होता है इसलिये नदियोेेेेेेें के किनारों पर वृ़कà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है। साथ ही नदियों के किनारों पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ घने जंगल व पेड़-पौधे नदियों को सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ साफ रखने में मदद करते है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि ऋषिकेश योगनगरी है और योग को तो वेदों में à¤à¥€ विशेष सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£ में à¤à¥€ कहा गया है कि ‘‘जीवातà¥à¤®à¤¾ तथा परमातà¥à¤®à¤¾ का पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ मिलन ही योग है।’’अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर योग की बà¥à¤¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिये गौरव का विषय है। इस अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने परमारà¥à¤¥ निकेतन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आयोजित अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ योग महोतà¥à¤¸à¤µ के विषय में जानकारी पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। रामसनेही धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ रायण अरà¥à¤µà¤¾à¤šà¥€à¤¨ पीठसंसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤·à¥à¤•à¤° के अधिषà¥à¤ ाता सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ à¤à¤—वानदास शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी महाराज ने कहा कि पूजà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज से 40 वरà¥à¤·à¥‹ बाद मिलकर à¤à¤• दिवà¥à¤¯ अनà¥à¤à¥‚ति हो रही है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी नदियों और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अदà¥à¤à¥à¤¤ कारà¥à¤¯ कर रहे है वासà¥à¤¤à¤µ में यही वसà¥à¤§à¥ˆà¤µà¤•à¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤•à¤®à¥ का मूल मंतà¥à¤° à¤à¥€ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने माठगंगा के किनारों पर हरीतिमा संरà¥à¤µà¤¦à¥à¤§à¤¨ का संकलà¥à¤ª कराया।