बचà¥à¤šà¥‡ के जनà¥à¤® लेने से बचà¥à¤šà¥‡ के तीन महीने तक होने तक- बचà¥à¤šà¥‡ के जनà¥à¤®Â लेने के बाद जितनी जलà¥à¤¦à¥€ हो सके बचà¥à¤šà¥‡ को मां का दूध पिलाना चाहिà¤à¥¤ बचà¥à¤šà¥‡ को मां का पहला दूध (कोलोसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤®) पीने से जीवन जीने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है और मां के दूध में पाये जाने वाले ततà¥à¤¤à¥à¤µ पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ देने के साथ-साथ बचà¥à¤šà¥‡ को कई रोगों और रोग को फैलने से बचाते हैं। बचà¥à¤šà¥‡ को पहले दिन से ही दो-तीन घंटे के बाद ही दूध पिला देना चाहिà¤à¥¤
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
बचà¥à¤šà¥‡ के जनà¥à¤® लेने से बचà¥à¤šà¥‡ के तीन महीने तक होने तक- बचà¥à¤šà¥‡ के जनà¥à¤®Â लेने के बाद जितनी जलà¥à¤¦à¥€ हो सके बचà¥à¤šà¥‡ को मां का दूध पिलाना चाहिà¤à¥¤ बचà¥à¤šà¥‡ को मां का पहला दूध (कोलोसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤®) पीने से जीवन जीने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है और मां के दूध में पाये जाने वाले ततà¥à¤¤à¥à¤µ पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ देने के साथ-साथ बचà¥à¤šà¥‡ को कई रोगों और रोग को फैलने से बचाते हैं। बचà¥à¤šà¥‡ को पहले दिन से ही दो-तीन घंटे के बाद ही दूध पिला देना चाहिà¤à¥¤ जब बचà¥à¤šà¤¾ रोने लगे तब उसको मां का दूध पिलाना सबसे अचà¥à¤›à¤¾Â आहार है। तीन महीने तक के बचà¥à¤šà¥‡ को जब तक वह मां का दूध पीता है, उस समय बचà¥à¤šà¥‡ को पानी पीने की जरूरत नहीं पड़ती है। मां का दूध ही बचà¥à¤šà¥‡ के पूरे à¤à¥‹à¤œà¤¨ का काम करता है। फिर à¤à¥€ उस समय पानी पिलाने में कोई नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ नहीं है। शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में दो-तीन महीने बचà¥à¤šà¤¾ दूध पीकर अगर उलà¥à¤Ÿà¥€Â कर देता है तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। जब तक बचà¥à¤šà¤¾ मां का दूध पीता है तब तक दूध को हजम करने के लिठबचà¥à¤šà¥‡ को किसी घà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ या पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤ªà¤µà¤¾à¤Ÿà¤° की जरूरत नहीं है। जब तक बचà¥à¤šà¤¾ मां का दूध पीà¤, तब तक मां को चाहिठकि वह खाना खाने के बाद पानी न पीà¤, बलà¥à¤•à¤¿ बचà¥à¤šà¥‡ को दूध पिलाने से 15 मिनट पहले थोड़ा सा पानी पी लें, इसके बाद ही बचà¥à¤šà¥‡ को सà¥à¤¤à¤¨à¤ªà¤¾à¤¨ (अपना दूध पिलायें) करायें। à¤à¤¸à¤¾ करने से बचà¥à¤šà¥‡ को उलà¥à¤Ÿà¥€-दसà¥à¤¤Â नहीं होते हैं। मां को सदा खà¥à¤¶ होकर और हर दो से तीन घंटे के अंतर पर बचà¥à¤šà¥‡ को दूध पिलाना चाहिà¤à¥¤ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ या दिमागी परेशानी में बचà¥à¤šà¥‡ को सà¥à¤¤à¤¨à¤ªà¤¾à¤¨Â नहीं कराना चाहिà¤à¥¤ नहाने के बाद या सिर धोने के तà¥à¤°à¤‚त बाद à¤à¥€ दूध नहीं पिलाना चाहिà¤à¥¤ दूध पिलाने के बाद बचà¥à¤šà¥‡ को अपने कंधे से लगाकर गोद में लें और धीरे-धीरे उसकी पीठपर थपकी दें। इससे बचà¥à¤šà¥‡ के पेट की हवा डकार के रूप में बाहर निकल जायेगी और बचà¥à¤šà¤¾ अपने आपको हलà¥à¤•à¤¾ महसूस करेगा और अपच (à¤à¥‹à¤œà¤¨ न पचना) से à¤à¥€ बचा रहेगा। बचà¥à¤šà¥‡ को नौवें महीने तक मां अपना दूध पिला सकती है। कमजोर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को मां का दूध à¤à¤• से ढाई साल तक पिलाया जा सकता है। *चौथे महीने से छठे महीने तक-* *दूध :* *मां को अपने बचà¥à¤šà¥‡ को अपना दूध पिलाते रहना चाहिà¤à¥¤ *शहद :* *4 बूंदे शहद की रोजाना सà¥à¤¬à¤¹ उठते ही बचà¥à¤šà¥‡ को चटाने से बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सà¤à¥€ रोगों से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ हो जाती है। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का वजन à¤à¥€ बॠजाता है। शहद को चटाने से बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के दांत निकलते समय कोई परेशानी नहीं होती है। *बादाम :* *बादाम की à¤à¤• गिरी को रात में पानी में à¤à¤¿à¤—ोकर रख दें। सà¥à¤¬à¤¹ उठने पर बादाम को किसी साफ पतà¥à¤¥à¤° पर चंदन की तरह बिलà¥à¤•à¥à¤² बारीक पीसकर अपनी अंगà¥à¤²à¥€ से धीरे-धीरे बचà¥à¤šà¥‡ को चटा दें। इससे बचà¥à¤šà¥‡ का दिल-दिमाग अचà¥à¤›à¤¾ बना रहता है और बचà¥à¤šà¤¾ खà¥à¤¶à¤®à¤¿à¤œà¤¾à¤œ रहता है (नोट : बादाम कड़वा नहीं होना चाहिà¤) *संतरा :* *4 महीने के उमà¥à¤° के बचà¥à¤šà¥‡ को रोजाना दोपहर में à¤à¤• पूरे संतरे का रस निकालकर और छानकर पिलाना चाहिà¤à¥¤ अगर जरूरत पडे़ तो 4 सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के बचà¥à¤šà¥‡ को संतरे का रस और पानी बराबर मातà¥à¤°à¤¾ में मिलाकर दो चमà¥à¤®à¤š दिया जा सकता है। धीरे-धीरे पानी की मातà¥à¤°à¤¾ कम कर दी जाये और रस की मातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤¾ दी जाये। यह रस पिलाने से बचà¥à¤šà¤¾ सेहतमंद होता है और उसका रंग à¤à¥€ साफ हो जाता है। *सूप :* *धीरे-धीरे बचà¥à¤šà¥‡ को फलों के रस के अलावा हरी-सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सूप  (टमाटर, गाजर, पालक, धनिया, हरी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚) या मूंग की दाल का पानी आदि पीने वाले पदारà¥à¤¥ थोड़ी थोड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में पिला सकते हैं। *बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के सीने को चौड़ा करना :* *तीन महीने तक की उमà¥à¤° के बचà¥à¤šà¥‡ को शà¥à¤°à¥‚ में दिन में तीन मिनट उलà¥à¤Ÿà¤¾ जरूर लिटायें। उसके बाद जैसे-जैसे बचà¥à¤šà¤¾ बड़ा होता चला जाता है उसको उलà¥à¤Ÿà¤¾ लिटाने का समय बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ जायें। इससे बचà¥à¤šà¥‡ की छाती चौड़ी होगी और उसकी पाचनशकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ बà¥à¥‡à¤—ी। इसके साथ ही बचà¥à¤šà¥‡ के पेट में कोई तकलीफ नहीं होगी। *सरसों का तेल:* *हफà¥à¤¤à¥‡ में कम से कम 2 से 3 बार सरसों या जैतून के तेल की मालिश करके बचà¥à¤šà¥‡ को नहलाना चाहिà¤à¥¤ इससे बचà¥à¤šà¥‡ मोटे और सेहतमंद बन जाते हैं। बचà¥à¤šà¥‡ का वजन जनà¥à¤® होने पर लगà¤à¤— ढाई किलो होता है, चार महीने के बाद उस बचà¥à¤šà¥‡ का वजन जनà¥à¤® से दो गà¥à¤¨à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ लगà¤à¤— 5 किलो होना चाहिठऔर साल à¤à¤° के बचà¥à¤šà¥‡ का वजन कम से कम जनà¥à¤® से तिगà¥à¤¨à¤¾ या साà¥à¥‡ सात किलो के आसपास होना चाहिà¤à¥¤ *सातवें महीने से à¤à¤• साल तक-* *जनà¥à¤® के छह महीने के बाद बचà¥à¤šà¥‡ को मां के दूध के अलावा दूसरे à¤à¥‹à¤œà¤¨ की जरूरत à¤à¥€ होती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तब केवल मां का दूध ही बॠरहे बचà¥à¤šà¥‡ के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होता है। अत: मां का दूध जारी रखते हà¥à¤ 6 महीने के बचà¥à¤šà¥‡ को जब खाने को दें तो पका केला मसलकर देना सबसे अचà¥à¤›à¤¾ है। उसके अंदर आधी इलायची का चूरà¥à¤£ मिलाकर दें तो बचà¥à¤šà¥‡ को केला आसानी से हजम होता है। इससे बचà¥à¤šà¥‡ को कबà¥à¤œÂ à¤à¥€ नहीं होगी। इस उमà¥à¤° के बचà¥à¤šà¥‡ को मां के दूध के साथ-साथ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥Â गाय का ताजा दूध (डिबà¥à¤¬à¥‡ का दूध नहीं) शà¥à¤°à¥‚ किया जा सकता है। बचà¥à¤šà¥‡ को पीने के लिठजो à¤à¥€ दूध दें यदि उसको पिलाने से बचà¥à¤šà¥‡ को कोई नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ हो तो इसमें दूध के बराबर मातà¥à¤°à¤¾ में पानी मिलाकर बचà¥à¤šà¥‡ को पिलायें और धीरे-धीरे पानी की मातà¥à¤°à¤¾ कम करते जायें। इससे दूध हलà¥à¤•à¤¾ और पचने लायक हो जाता है। दूध के अंदर कà¥à¤›Â सौंफ के दाने अथवा à¤à¤•Â छोटी पीपर डालकर उबालने से à¤à¥€ दूध हलà¥à¤•à¤¾ होकर बचà¥à¤šà¥‡ को हजम होने लगता है। बचà¥à¤šà¥‡ को दूध बोतल से नहीं पिलाना चाहिठबलà¥à¤•à¤¿ कटोरी या चमà¥à¤®à¤š की मदद से पिलाना चाहिà¤à¥¤ अगर किसी मजबूरी के कारण बोतल से दूध देना जरूरी है तो बोतल को किसी पाउडर से साफ न करें बलà¥à¤•à¤¿ दूध पिलाकर बोतल को गरà¥à¤® पानी में डालकर उबाल लें। दूध पिलाने से पहले शीशी का साफ होना जरूरी है जरूरत हो तो ऊपर का दूध 6 महीने से पहले à¤à¥€ दिया जा सकता है। बचà¥à¤šà¥‡ के दूध में बराबर या कà¥à¤› कम जौ का पानी मिलाकर पिलाना चाहिà¤à¥¤ *जौ का पानी बनाने की विधि-* *500 मिलीलीटर पानी में दस गà¥à¤°à¤¾à¤® जौ के दाने डालकर उबाल लें। दो-तीन बार उबाल आने पर बरà¥à¤¤à¤¨ को आग से उतारकर पानी को छानकर रख लें। इस जौ के पानी को छानकर दूध में मिलाने से दूध अधिक पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• बन जाता है, आसानी से पच à¤à¥€ जाता है और पेट दरà¥à¤¦ से à¤à¥€ बचाता है। दूध से आधा उबला पानी और उससे आधा जौ का पानी मिलाकर चार महीने तक के बचà¥à¤šà¥‡ को à¤à¥€ दिया जा सकता है। मां के दूध के साथ-साथ गाय-à¤à¥ˆà¤‚स का दूध, फलों का रस, हरी सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सूप आदि दें। अरà¥à¤¦à¥à¤§-ठोस आहार जैसे चावल, पतली खीर, आलू और सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, पतली खिचड़ी आदि देना शà¥à¤°à¥‚ करें। गाजर, आलू को उबालकर खूब मसलकर दें। केला दूध में फेंटकर, चावल के मà¥à¤°à¤®à¥à¤°à¥‡, पटोलिया आदि à¤à¥€ दे सकते हैं। इस बीच नौवें महीने में धीरे-धीरे थोड़ा सा ठोस आहार दें जैसे खिचड़ी, दलिया, बिना मसाले की दाल और सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, दाल, à¤à¤¾à¤¤,  छाछ, दही, सूजी, इडली, साबूदाना, बिना मसाले की दाल में रोटी के छोटे-छोटे टà¥à¤•à¥œà¥‡ करके खिलाना चाहिà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥‚ में कम मातà¥à¤°à¤¾ में और धीरे-धीरे उमà¥à¤° और बचà¥à¤šà¥‡ की à¤à¥‚ख के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° खाने की चीजों की मातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ जायें तथा दिन में 2 से 3 बार खाने को दें। अब धीरे-धीरे फल (जैसे केला, चीकू, पपीता, आदि) छोटे टà¥à¤•à¥œà¥‹à¤‚ में काटकर दें ताकि बचà¥à¤šà¤¾ कà¥à¤› चबाकर à¤à¥€ खा सके। धीरे-धीरे बड़े बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ, गाजर आदि पकड़कर खाने को दें पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे कि बचà¥à¤šà¥‡ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¤¸à¤¾ न हो कि गले में अटक जाये। *1 वरà¥à¤· से 3 वरà¥à¤· तक-* *à¤à¤• वरà¥à¤· से तीन वरà¥à¤· तक की उमà¥à¤° के बचà¥à¤šà¥‡ को संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ आहार देना बहà¥à¤¤ ही जरूरी है। शà¥à¤°à¥‚ के दो वरà¥à¤· में बचà¥à¤šà¤¾ जितनी तेजी से बà¥à¤¤à¤¾ है बाद के वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में उसकी बà¥à¤¤ उतनी नहीं होती। सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¤: उसकी à¤à¥‚ख à¤à¥€ अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ कम हो जाती है। इससे परेशान नहीं होना चाहिà¤à¥¤ चार महीने के बचà¥à¤šà¥‡ को शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में 24 घंटों में 200 मिलीलीटर दूध देते हैं तो अब à¤à¤• साल के बचà¥à¤šà¥‡ को वजन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° धीरे-धीरे मातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤¾à¤•à¤° 750 मिलीलीटर  से à¤à¤• लीटर तक दी जा सकती है। 15 महीने की उमà¥à¤° हो जाने पर बचà¥à¤šà¥‡ को परिवार के बाकी सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह दाल, चावल चपातियां, दूध और दूध से बने पदारà¥à¤¥, सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ फल आदि दिये जा सकते हैं। बचà¥à¤šà¥‡ को चाकलेट, टॉफी या आइसकà¥à¤°à¥€à¤®, तले हà¥à¤ आलू के चिपà¥à¤¸ आदि न दें। इन बातों का पालन करने से आपका बचà¥à¤šà¤¾Â सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥Â और निरोगी होगा। *शिशॠके विकास के सूचक जानने योगà¥à¤¯ सामानà¥à¤¯ लकà¥à¤·à¤£ :* *बचà¥à¤šà¤¾ छठे सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में थोड़ा-थोड़ा मà¥à¤¸à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लगता है। तीसरे से चौथे महीने में गरà¥à¤¦à¤¨Â समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ लगता है। चौथे महीने में जिधर से आवाज आती है उस तरफ सिर घूमाकर देखने लगता है। चीजों को पकड़ने की कोशिश करता है। चौथे से पांचवे महीने में बिसà¥à¤¤à¤° में लेटा-लेटा पलटने लगता है। पांचवे महीने में चीजों को देखकर उस तरफ पहà¥à¤‚चने की कोशिश करता है।छठे महीने में जो मिल जाये उसे कà¥à¤¤à¤°à¤¨à¥‡ लगता है *Vaid Deepak Kumar* *Adarsh Ayurvedic pharmacy* *Daksh Mandir Road* *Kankhal Haridwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com* *9897902760*