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महावीर सेवा सदन पुनर्वास एवं अनुसंधान केन्द्र का शिलान्यास


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कलकत्ता में महावीर सेवा सदन पुनर्वास एवं अनुसंधान केन्द्र के शिलान्यास में मुख्य अतिथि के रूप में सहभाग कर इस श्रेष्ठ कार्य के लिये आशीर्वाद प्रदान किया।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 20 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कलकत्ता में महावीर सेवा सदन पुनर्वास एवं अनुसंधान केन्द्र के शिलान्यास में मुख्य अतिथि के रूप में सहभाग कर इस श्रेष्ठ कार्य के लिये आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर अध्यक्ष अखिल भारतीय इमाम संगठन, डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी जी, भिक्खु संघसेना, मुफ्ती नसीहुर रहमान जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। समाज और संसार में सेवा ही श्रेष्ठ धर्म है। दीन-हीन, असहाय, अभावग्रस्त, आश्रित, वृद्ध, विकलांग, जरूरतमंद व्यक्तियों की सेवा और सहायता कर ही समाज को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। सेवा ही मानव जीवन का सौंदर्य और श्रृंगार है। सेवा न केवल मानव जीवन को श्रेष्ठ बनाती है बल्कि यही भगवान की सच्ची पूजा भी है। स्वामी जी ने कहा कि पीड़ितों और अभावग्रस्तों की सेवा से ही संतोष और असीम शांति प्राप्त होती है। सेवा और परोपकार एक ऐसी भावना है, जिससे दूसरों का तो भला होता है, खुद को भी आत्म-संतोष मिलता है इसलिये सौ हाथों से कमाएं और हजार हाथों से बांटे जिस प्रकार प्रकृति बिना किसी अपेक्षा के अपने कार्य में लगी है और इसी से संसार-चक्र चल रहा है वैसे ही हम भी परोपकार करते रहें इससे ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। महावीर सेवा सदन एक गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1985 में जयपुर फुट टेक्नोलॉजी और कैलीपर्स पर आधारित कृत्रिम अंग प्रदान करने के उद्देश्य से, शारीरिक रूप से विकलांग/पोलियो पीड़ितों की मदद और सम्मान प्रदान करने के लिये की गयी थी। यह उच्च श्रेणी के कृत्रिम अंग, कैलिपर, मोल्डेड/सर्जिकल जूते इत्यादि बनाने वाली एक अत्याधुनिक कार्यशाला है। महावीर सेवा सदन की इस अद्भुत यात्रा में अभी तक वास्तव में 4,00,000 से अधिक शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को कृत्रिम पैर, हाथ, कैलीपर्स प्रदान करने के साथ पूरी हो रही है। वर्ष 2013 में सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चों की विशेष देखभाल के लिए एक इकाई शुरू की थी। तब से अब तक 800 से अधिक बच्चों का पंजीकरण किया जा चुका है और इन बच्चों को बेहतर सुविधाओं प्रदान की जा रही है। बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये व्यापक सुविधायें देने के साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण भी इस अनूठी परियोजना के माध्यम से किया जा रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विनोद बागढ़ोड़िया जी और महावीर सेवा सदन पुनर्वास एवं अनुसंधान केन्द्र की पूरी टीम को इस श्रेष्ठ कार्य के लिये शुभकामनायें प्रदान की। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन से गंगा नन्दिनी , आचार्य दीपक शर्मा और ऋषिकुमारों ने सहभाग किया।

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