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हैल्थ, हैप्पीनैस और होलीनेस का संगम ही जीवन स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘‘आरोग्यम रोड टू हेल्दी हिंदुस्तान कॉन्क्लेव’’ में ’स्वस्थ जीवन-खुशहाल जीवन’ ’ आपका स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है, इसका अहसास तब होता है जब आप इसे खो देते हैं, खोने के पहले जागिए’ विषय पर अत्यंत प्रेरणादायी उद्बोधन दिया।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, दिसम्बर 23। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘‘आरोग्यम रोड टू हेल्दी हिंदुस्तान कॉन्क्लेव’’ में ’स्वस्थ जीवन-खुशहाल जीवन’ ’ आपका स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है, इसका अहसास तब होता है जब आप इसे खो देते हैं, खोने के पहले जागिए’ विषय पर अत्यंत प्रेरणादायी उद्बोधन दिया। आज की चर्चा योग, आयुर्वेद और सनातन धर्म के माध्यम से स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित थी। इस विशेष कार्यक्रम में इरा त्रिवेदी, योग शिक्षिका, डा. महेश शर्मा एम. डी., आचार्य प्रतिष्ठा योग गुरू, तेज कटपिटिया - निदेशक और सीईओ श्री श्री तत्व ने सहभाग कर अपने उत्कृष्ठ विचार व्यक्त किये। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ‘ऋग्वेद’ भारतीय संस्कृति और जीवन पद्धति की सबसे प्राचीनतम रचनाओं में से एक है, जिसमें आयुर्वेद को चिकित्सा पद्धति के साथ जीवन पद्धति और स्वस्थ जीवन का आधार भी कहा गया है और आयुर्वेद का युगों से एक अपना महत्व है। आयुर्वेद का अर्थ है ‘जीवन का विज्ञान’ ‘दीर्घ आयु’ या आयु और वेद का अर्थ हैं ‘विज्ञान। आयुर्वेद के अनुसार जीवन के उद्देश्यों यथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिये स्वास्थ्य का उत्तम होना नितांत आवश्यक है। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन स्वस्थ और खुशहाल होता है। स्वामी जी ने कहा कि स्वस्थ रहने से तात्पर्य केवल शरीर के स्वास्थ्य से ही नहीं है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से भी है इसलिये हमें शरीर के साथ मन, मस्तिष्क और दिल से भी स्वस्थ रहना है। हैल्थ, हैप्पीनैस और होलीनेस का संगम ही जीवन है। अपने जीवन में अध्यात्म, दैवीय अनुग्रह और दिव्यता का अनुभव करना प्रसन्नता का आधार है। जीवन में होलीनेस से हैल्थ और हैप्पीनैस अपने आप आ जायेगी; हमारे अन्दर हर परिस्थतियों को स्वीकार करने का भाव आ जायेगा जिससे जीवन से तनाव कम होगा और हम स्वस्थ और प्रसन्न रहेगें। जीवन में गहरी प्रसन्नता अध्यात्म के मार्ग पर चलने से आती है। प्रसन्न रहने से हमारा प्रतिरक्षा तंत्र भी मजबूत होगा। स्वस्थ और प्रसन्न रहने का सबसे बड़ा आधार है हमारी धरती माँ। धरती स्वच्छ, वायु और जल शुद्ध तो हम भी स्वस्थ और प्रसन्नचित रह सकते है। कोविड-19 ने हमें बताया कि अगर हमारा पर्यावरण स्वच्छ है तो हम स्वस्थ है।

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