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मातृ सदन में प्रकृति और पर्यावरण से संबंधित नीतियों पर आयोजित बौद्धिक चर्चा और सेमिनार का प्रथम दिन संपन्न


हाइब्रिड (ऑनलाइन और ऑफलाइन) तरीके से आयोजित इस सेमिनार में उत्तराखंड और दिल्ली से पर्यावरणविद्यो ने भाग लिया। पूरे भारत वर्ष से लोगों ने जूम मीटिंग के माध्यम से भी भाग लिया।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

आज २३ दिसंबर २०२१ को मातृ सदन हरिद्वार में सरकार की प्रकृति और पर्यावरण से संबंधित नीतियों पर आयोजित बौद्धिक चर्चा और सेमिनार का प्रथम दिन संपन्न हुआ। हाइब्रिड (ऑनलाइन और ऑफलाइन) तरीके से आयोजित इस सेमिनार में उत्तराखंड और दिल्ली से पर्यावरणविद्यो ने भाग लिया। पूरे भारत वर्ष से लोगों ने जूम मीटिंग के माध्यम से भी भाग लिया। कार्यक्रम में जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह जी, सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर रवि चोपड़ा जी, जल विशेषज्ञ डॉक्टर मानसी बाल भार्गव ने ड्राफ्ट EIA २०२०, गंगा खनन और दोहन को पोषित करती सरकारी नीतियां, और लगातर बन रहे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स से हो रहे दुष्प्रभावों पर खेद व्यक्त किया और सभी ने एकमत होकर कहा कि प्रकृति के बचाव के लिए हर भारतीय नागरिक को बुलंद हो कर अपनी आवाज उठानी होगी। सभी ने ड्राफ्ट EIA २०२० को असंवैधानिक बताया। इसके साथ ही पिछले २ हफ्तों से कई जगह हरिद्वार में खनन की खबरें आ रही थी, जिसकी पुष्टि कई बार हरिद्वार प्रशासन द्वारा भी समय-समय पर की गयी थी । अवैध खनन के शासनादेश स्वयं प्रशासन के स्तर पर दिए गए, जिसपर मातृ सदन द्वारा कड़ी आपत्ति जताई गई थी और हमारे परम पूज्य श्री गुरुदेव जी द्वारा 25 दिसम्बर २०२१ से अपनी तपस्या शुरू करने की घोषणा भी की गयी है। इसी संदर्भ में आज सेमिनार के सांयकालीन सत्र के दौरान परम पूज्य श्री गुरुदेव जी के साथ मातृ सदन में मौजूद भारत के विभिन्न कोनों से आये बुद्धिजीवियों द्वारा अजीतपुर के बालकुमारी मंदिर के पास बन रहे घाट का औचक निरीक्षण किया गया। खबरें थी कि बालकुमारी में अवैध पीपा पुल के निर्माण हेतु संस्तुति दी गयी थी, जो घटनास्थल पर पहुँचने के उपरान्त बिल्कुल सही पाई गई। बालकुमारी मंदिर के समीप बन रहे घाट के लिए गंगा नदी में लगभग ५ फीट जलस्तर को घटा कर इस अवैध पीपा पुल का गंगा में पोकेलैंड से खनन करवाकर निर्माण करवाया जा रहा था । गंगा के प्रवाह को रोकने के लिए घाट के समीप दक्षिणी ओर बने बाँध को बीच से तोड़ कर जबरन पोकेलैंड घुसाया गया था। निरिक्षण के दौरान मौजूद ठेकेदार से जब परम पूज्य श्री गुरुदेव जी ने सवाल किया कि माननीय उच्चतम न्यायालय नयी दिल्ली और माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा गंगा के कुम्भ क्षेत्र में खनन पर पूर्ण प्रतिबन्ध है तो किस आदेश के तहत यह अवैध कार्य करवाया जा रहा है? तब ठेकेदार द्वारा धमकी भरे स्वर में कहा गया कि आप चाहे तो इसे बंद करवा ले लेकिन मेरे पास इसके लिए प्रशासन से परमिशन मौजूद है l यह परमिशन एक घंटा बीत जाने पर भी ठेकेदार प्रस्तुत नहीं कर सका। तब तक मौके पर जगजीतपुर चौकी इंचार्ज अपनी टीम के साथ पहुँच चुके थे। इनके द्वारा मातृ सदन की आपत्ति का संज्ञान लेकर पोकलैंड को बंद करवाने का आदेश दिया गया । इस अवैध खनन की शिकायत मातृ सदन द्वारा उपजिलाधिकारी से भी की गयी, जिससे दबाव में आकर उपजिलाधिकारी द्वारा तत्क्षण पोकेलैंड को बंद करने के आदेश दिए गए । उपजिलाधिकारी के आदेश की पुष्टि खुद ठेकेदार ने भी की । ठेकदार ने इसकी भी पुष्टि की कि उसने इस काम को करवाने के लिए शासन, प्रशासन और अन्य के विभिन्न अधिकारियों को साढ़े चार करोड़ रुपए दिए हैं। परम पूज्य श्री गुरुदेव जी द्वारा स्पष्ट रूप से इस बात का खंडन किया गया कि गंगा में किसी भी प्रकार का खनन करने का आदेश शासन खुद भी नहीं दे सकता। इन सब अवैध खनन के पीछे माफियापोश स्वामी यतिश्वरानंद, जो चुनाव के पहले अधिकारियों पर अनैतिक दबाव बनाकर माफियाओं से पैसे लेकर इस अवैध, अनैतिक गंगाद्रोही कार्य को करवा रहे हैं। घटनास्थल पर मातृ सदन के साथ जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह, समाजसेविका सुशीला भंडारी, कुमारी रिधिमा पाण्डेय, डॉ विजय वर्मा और दयाशंकर दास जी के नेतृत्व में फौजियों का दल भी मौजूद था जिन्होंने एक स्वर में गंगा के रक्षार्थ हेतु नारे लगाए । वहां मौजूद बुद्धिजीवियों द्वारा गांव वालों को समझाया गया कि आज तक इस अवैध खनन के व्यापार से किसी भी गाँव ने समृद्धि नहीं पाई है, और इसे करवाने वाले माफिया चंद दिनों के अन्दर ही, माँ गंगा को खोखला कर, अपना स्वार्थ साध कर, चम्पत हो जाते हैं। इसलिए इस अवैध कार्य को रोकने के लिए गाँव वालो को स्वयं माफियाओं के खिलाफ एक स्वर में आवाज़ उठानी होगी। उपजिलाधिकारी द्वारा पुनः आश्वासान देने पर पोकेलैंड मशीन को गंगा से बाहर निकाला गया, और शासन प्रशासन से तत्काल ऐसी गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगवाने के सख्त निर्देश दिए, क्योंकि ऐसा नहीं करना माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली और माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल की अवमानना होगी।  

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