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मातृ सदन, हरिद्वार में प्रकृति और पर्यावरण संबंधित सरकारी नीतियों पर आयोजित चर्चा का द्वितीय दिन संपन्न


दो दिवसीय इस सभा में पर्यावरण सम्बन्धी नीतियों पर चर्चा हुई कि किस प्रकार राज, समाज और संत मिलकर भी गंगा की अविरलता और उसके जल की विशिष्टता को नहीं बचा पा रहे हैं | सभा की शुरुआत में मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद जी महाराज ने गंगा नदी में हो रहे खनन के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि पूर्व के अधिकारी दूरदृष्टि रखते हुए कुंभ का आयोजन करते थे और समझते थे कि हरिद्वार की शान गंगा के पत्थरों में ही है, इसलिए वे खनन के पूर्ण विरोधी थे ।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

आज २४ दिसंबर २०२१ को मातृ सदन, हरिद्वार में प्रकृति और पर्यावरण संबंधित सरकारी नीतियों पर आयोजित चर्चा का द्वितीय दिन संपन्न हुआ। दो दिवसीय इस सभा में पर्यावरण सम्बन्धी नीतियों पर चर्चा हुई कि किस प्रकार राज, समाज और संत मिलकर भी गंगा की अविरलता और उसके जल की विशिष्टता को नहीं बचा पा रहे हैं | सभा की शुरुआत में मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद जी महाराज ने गंगा नदी में हो रहे खनन के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि पूर्व के अधिकारी दूरदृष्टि रखते हुए कुंभ का आयोजन करते थे और समझते थे कि हरिद्वार की शान गंगा के पत्थरों में ही है, इसलिए वे खनन के पूर्ण विरोधी थे । गंगा के पत्थर शिव की जटाओं के समान है जो गंगा के तेज़ बहाव को संतुलित रखते हैं। आज तरह-तरह के आयाम से गंगा में खनन हो रहा है जैसे चुगान, रिवर ट्रेनिंग, तलाब और मछली पालन इत्यादि। तलाब जब खुदता है तब उसका पत्थर उसके चारो बगल में होना चाहिए लेकिन अब वह पत्थर क्रशर को दिए जाते है। जिस तरह से खनन बढ़ता जा रहा है, उत्तराखंड तो नष्ट हो ही जाएगा, क्योंकि भूस्खलन, बादल फटने की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जाएंगी। हिमालय और गंगा भारत के मस्तक हैं । यदि यह मस्तक बचा रहेगा तभी तो भारत देश बचेगा। गंगा तट जगजीतपुर कनखल हरिद्वार में आयोजित इस सभा में जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह द्वारा सुझाव दिया गया कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के संरक्षण हेतु गंगा संसद विधान का निर्माण किया जायेगा, जिसे परम पूज्य श्री गुरुदेव जी ने अपनी संस्तुति प्रदान की। इस संसद का उद्देश्य व्यवसायिक शक्तियों द्वारा गंगा में हो रहे शोषण, प्रदूषण एवं अतिक्रमण को रोकना तथा सरकार से गंगा की रक्षा के लिए सही कानून बनवाना है। इसके साथ ही संसद गंगा में बन रहे बांधों और खनन को रुकवाने के लिए भी कार्य करेगी। गंगा संसद उन्हीं लोगों को सदस्य बनाएगी जो निस्वार्थ भाव से माँ गंगा की सेवा का कार्य करेंगे। यह संसद सभी को सदस्य बनने का समान अवसर प्रदान करेगी, लेकिन माँ गंगा से अपने लोभ-लालच के लिए काम करने वाले व्यक्ति को न तो सदस्य बनाएगी, और यदि ऐसा कोई व्यक्ति सदस्य बनता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त कर देगी। यह गंगा संसद गंगा के गंगत्व को पुनः प्रदान करने हेतु सभी ज़रूरी कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। सभा के सभी सदस्यों ने एकमत होकर परम पूज्य श्री गुरुदेव जी को संसद का अध्यक्ष घोषित किया। सभा में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी प्रशांत राय , ग्राम प्रधान अजीतपुर मायाराम , किसान नेता भोपाल सिंह जी, सुखदेव विर्क , वीर सिंह चौहान जी, सुरेंद्र सिंह रावत , मनोज ध्यानी, संदीप खत्री के साथ समाज सेविका सुशीला भंडारी आदि मौजूद थे।

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