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गुरू गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार के बलिदान का सप्ताह


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गुरू गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार के बलिदान सप्ताह के अवसर पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि भारतीय इतिहास में यह सप्ताह ऐतिहासिक कुर्बानी सप्ताह के रूप में सदा याद किया जायेगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 27 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गुरू गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार के बलिदान सप्ताह के अवसर पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि भारतीय इतिहास में यह सप्ताह ऐतिहासिक कुर्बानी सप्ताह के रूप में सदा याद किया जायेगा। यह गुरू गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार के शहादत का सप्ताह है जो यह संदेश देता है कि ‘देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें’’ ‘देश प्रेम प्रथम, देश प्रेम सर्वथा’ ‘राष्ट्र है तो हम हैं’ भारत के हर युवा को अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का संदेश देेता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ‘मानवता के रक्षक’ गुरु गोबिन्द सिंह जी एक महान शिक्षक, उत्कृष्ट योद्धा, श्रेष्ठ विचारक और राष्ट्र भक्त थे, सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के खालसा और मुगलों तथा राजपूत पहाड़ी सरदारों की गठबंधन सेना के बीच लड़ा गया था। इसी दौरान बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। हिदू धर्म की रक्षा के लिये दशम गुरु ने अपने पूरे परिवार और अपने 4 बच्चों को कुर्बान कर दिया। उनका यह बलिदान सदियों तक याद किया जायेगा। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी संस्कृति को संरक्षित करने हेतु युवाओं से अपने जीवन को आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया था इसमें पाँच स्वयंसेवकों ने आत्मसमर्पण किया था, यह भारत के इतिहास को आकार देने और अपने धर्म को परिभाषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वास्तविक पंज प्यारों के बलिदानों को हमेंशा याद किया जायेगा। स्वामी जी ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह जी और अन्य आध्यात्मिक योद्धाओं ने न केवल युद्ध के मैदान में विरोधियों को परास्त किया बल्कि आंतरिक दुश्मन, अहंकार का मुकाबला करने तथा जाति उन्मूलन के प्रयासों के साथ-साथ मानवता की सेवा हेतु भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने न केवल एक समूह, एक समुदाय बल्कि पूरे राष्ट्र के संरक्षण के लिये अपने प्राणों का बलिदान किया। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं में राष्ट्र भक्ति, समानता व बंधुत्व की भावना को प्रतिपादित करना होगा। भारतीय संस्कृति में निहित “वसुधैव कुटुंबकम्” का संदेश संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने की शिक्षा देता है। ‘बंधुत्व’ से आशय भाईचारे की भावना; विविधता में एकता की भावना आपसी सौहार्द्र की भावना विकसित करने का संदेश देता है। एक-दूसरे का सम्मान के साथ देश की एकता और अखंडता को बनाये रखना हम सब का परम कर्तव्य है। स्वामी जी ने कहा कि दसवें गुरू ‘गुरु गोबिंद सिंह जी’ महाराज के चारों साहबजादे अपने राष्ट्र, धर्म, संस्कृति और देश की अस्मिता को बचाने के लिये कुर्बान हो गये। दोनों नाबालिग छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंहजी को दीवारों में चुनवा दिया गया तथा दोनों बड़े साहिबजादों ने लड़ाई में अपनी कुर्बानी दी। उनके इस बलिदान की याद में 14 नवम्बर का दिन हमें उन नन्हें बच्चों का अपने राष्ट्र के प्रति जो बलिदान था उसकी याद में मनाया जाये। इससे युवाओं और आने वाली पीढ़ियों को भी मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

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