परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने गà¥à¤°à¥‚ गोबिनà¥à¤¦ सिंह जी के पूरे परिवार के बलिदान सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के अवसर पर à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास में यह सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के रूप में सदा याद किया जायेगा।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 27 दिसमà¥à¤¬à¤°à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने गà¥à¤°à¥‚ गोबिनà¥à¤¦ सिंह जी के पूरे परिवार के बलिदान सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के अवसर पर à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास में यह सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के रूप में सदा याद किया जायेगा। यह गà¥à¤°à¥‚ गोबिनà¥à¤¦ सिंह जी के पूरे परिवार के शहादत का सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ है जो यह संदेश देता है कि ‘देश हमें देता है सब कà¥à¤› हम à¤à¥€ तो कà¥à¤› देना सीखें’’ ‘देश पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤¥à¤®, देश पà¥à¤°à¥‡à¤® सरà¥à¤µà¤¥à¤¾â€™ ‘राषà¥à¤Ÿà¥à¤° है तो हम हैं’ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के हर यà¥à¤µà¤¾ को अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होने का संदेश देेता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि ‘मानवता के रकà¥à¤·à¤•â€™ गà¥à¤°à¥ गोबिनà¥à¤¦ सिंह जी à¤à¤• महान शिकà¥à¤·à¤•, उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ योदà¥à¤§à¤¾, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ विचारक और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤ थे, सिख धरà¥à¤® के दसवें गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह के खालसा और मà¥à¤—लों तथा राजपूत पहाड़ी सरदारों की गठबंधन सेना के बीच लड़ा गया था। इसी दौरान बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को जिंदा दीवार में चà¥à¤¨à¤µà¤¾ दिया गया था। हिदू धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये दशम गà¥à¤°à¥ ने अपने पूरे परिवार और अपने 4 बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ कर दिया। उनका यह बलिदान सदियों तक याद किया जायेगा। गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी ने अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने हेतॠयà¥à¤µà¤¾à¤“ं से अपने जीवन को आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ करने का आगà¥à¤°à¤¹ किया था इसमें पाà¤à¤š सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवकों ने आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ किया था, यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास को आकार देने और अपने धरà¥à¤® को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करने में महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ वाले वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• पंज पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के बलिदानों को हमेंशा याद किया जायेगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि गà¥à¤°à¥‚ गोबिंद सिंह जी और अनà¥à¤¯ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• योदà¥à¤§à¤¾à¤“ं ने न केवल यà¥à¤¦à¥à¤§ के मैदान में विरोधियों को परासà¥à¤¤ किया बलà¥à¤•à¤¿ आंतरिक दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨, अहंकार का मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ करने तथा जाति उनà¥à¤®à¥‚लन के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के साथ-साथ मानवता की सेवा हेतॠà¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने न केवल à¤à¤• समूह, à¤à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ बलà¥à¤•à¤¿ पूरे राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के संरकà¥à¤·à¤£ के लिये अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का बलिदान किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में यà¥à¤µà¤¾à¤“ं में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, समानता व बंधà¥à¤¤à¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करना होगा। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में निहित “वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बकमà¥â€ का संदेश संपूरà¥à¤£ विशà¥à¤µ को à¤à¤• परिवार मानने की शिकà¥à¤·à¤¾ देता है। ‘बंधà¥à¤¤à¥à¤µâ€™ से आशय à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾; विविधता में à¤à¤•à¤¤à¤¾ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ आपसी सौहारà¥à¤¦à¥à¤° की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ विकसित करने का संदेश देता है। à¤à¤•-दूसरे का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ और अखंडता को बनाये रखना हम सब का परम करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि दसवें गà¥à¤°à¥‚ ‘गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी’ महाराज के चारों साहबजादे अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°, धरà¥à¤®, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और देश की असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ को बचाने के लिये कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ हो गये। दोनों नाबालिग छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंहजी को दीवारों में चà¥à¤¨à¤µà¤¾ दिया गया तथा दोनों बड़े साहिबजादों ने लड़ाई में अपनी कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ दी। उनके इस बलिदान की याद में 14 नवमà¥à¤¬à¤° का दिन हमें उन ननà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जो बलिदान था उसकी याद में मनाया जाये। इससे यà¥à¤µà¤¾à¤“ं और आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा।