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आंग्ल नववर्ष पर अपनी संस्कृति से जुड़ें, जाने और राष्ट्र की सेवा करें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन में आंग्ल नव वर्ष के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में वैश्विक परमार्थ परिवार ने माँ गंगा के पावन तट पर विश्व शान्ति हवन के माध्यम से विश्व शान्ति की प्रार्थना की।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 1 जनवरी। परमार्थ निकेतन में आंग्ल नव वर्ष के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में वैश्विक परमार्थ परिवार ने माँ गंगा के पावन तट पर विश्व शान्ति हवन के माध्यम से विश्व शान्ति की प्रार्थना की। स्वामी जी ने कहा कि आंग्ल नव वर्ष सभी के लिये मंगलमय हो! सभी के जीवन में बहुत सारी खुशियाँ, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये ऐसी प्रभु से प्रार्थना है। यह वर्ष सभी के लिये सौभाग्य, समृद्धि और शान्ति से युक्त हो। ऐसी माँ गंगा से प्रार्थना है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नये वर्ष में हमें खुद को भी नया होना चाहिए। प्रकृति, पर्यावरण और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में जैसे हर पल नव निर्माण हो रहा है उसी प्रकार हमें भी नए साल में प्रवेश करते हुये अपने विचारों से, अपनी सोच से नित नूतन होना है। हम सब अपने पिछले वर्ष को देखें, हमने क्या किया और क्या महसूस किया है और क्या नहीं, हम आने वाले वर्ष में अपने साथ और दूसरों के साथ भी करूणा, सद्भाव और सौहार्द से रहने का संकल्प लें। नव वर्ष में विशेष का युवा अपनी जड़ों को जाने और जड़ों से जुडे़ं। जीवन को भ्रम और भय में नहीं बल्कि भाव से जियंे। स्वामी जी ने कहा कि नव वर्ष के अवसर पर आत्म-सुधार के साथ सामंजस्यपूर्ण, हर पल होश और करुणा से जीने का संकल्प करें। अपने आप को गहराई से सुनें और इसके लिये ध्यान (मेडिटेशन) का अभ्यास करें साथ ही नए वर्ष में खुद से और गहराई से जुड़ने का अभ्यास करें तथा अपने व दूसरों के प्रति दयालुता का अभ्यास करते रहे क्योंकि हमारी सोच ही हमारी सृष्टि है। हमारी सोच ही हमारा संसार है और हमारा पूरा विस्तार है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सभी को नव वर्ष की शुभकामनायें देते हुये कहा कि नये वर्ष में नव संकल्पों के साथ प्रवेश करें। उन्होंने नए संकल्प कैसे बनाएं, संकल्प लेने और पूरा करने का सही तरीका क्या है? इस पर उद्बोधन दिया। साध्वी जी ने कहा कि अक्सर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव करने का अवसर चूक जाते हैं क्योंकि हम उचित अवसर की तलाश में होते हैं या हम तेजी से आगे बढ़ने के लिए इतना ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करते हैं जिसे प्राप्त करने में कई बार हम असफल हो जाते है इसलिये संकल्पों को पूरा करने के लिये अपने लक्ष्यों को निर्धारित कर छोटे-छोटे कदमों के साथ आगे बढ़ना होगा।

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