परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज विशà¥à¤µ अंतरà¥à¤®à¥à¤–ी दिवस दिवस के अवसर पर देश के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को संदेश देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि पूरे विशà¥à¤µ ने नये वरà¥à¤· में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया है।
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
ऋषिकेश। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने आज विशà¥à¤µ अंतरà¥à¤®à¥à¤–ी दिवस दिवस के अवसर पर देश के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को संदेश देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि पूरे विशà¥à¤µ ने नये वरà¥à¤· में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया है। जनवरी माह का पà¥à¤°à¤¥à¤® सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ हमें चिंतन करने का अवसर देता है कि हम सब विगत वरà¥à¤· के बारे में कà¥à¤¯à¤¾ सोचते हैं, जो वरà¥à¤· बिता कà¥à¤¯à¤¾ हमने उसे संतोष की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से जिया हैं? हमारे विगत वरà¥à¤· के जो लकà¥à¤·à¥à¤¯ थे उसे हमने पूरा किया या नहीं अगर नही ंतो नव वरà¥à¤· में अपने लकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरा करने व समय को सारà¥à¤¥à¤• करने हेतॠआज से ही पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना होगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि जब हम समाज के परिवरà¥à¤¤à¤¨ के बारे में बात करते हैं, तो परिवरà¥à¤¤à¤¨ वासà¥à¤¤à¤µ में सबसे पहले अपने अंदर करना होगा तà¤à¥€ हम बाहर à¤à¥€ परिवरà¥à¤¤à¤¨ देख सकते है और à¤à¤• अंतरà¥à¤®à¥à¤–ी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बाहरी सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के बजाय आंतरिक à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं में परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर अपने अनà¥à¤¦à¤° ही धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ करता है। आज का दिन सà¤à¥€ हो शांनà¥à¤¤à¤¿ के साथ आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥€à¤•à¥à¤·à¤£ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने यà¥à¤µà¤¾à¤“ं का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि शांति, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯, सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾, आनंद, ईमानदारी, समयबदà¥à¤§à¤¤à¤¾, अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ आदि मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ जीवन में आगे बà¥à¤¤à¥‡ रहे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मूलà¥à¤¯ ही यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के लिये सबसे गहरे आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ हो सकते हैं। मूलà¥à¤¯ सामाजिक जीवन को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बनाने के लिये आवशà¥à¤¯à¤• हैं। इनके माधà¥à¤¯à¤® से ही यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के चरितà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के साथ ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के चरितà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ होता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में परिवार पहली सीà¥à¥€ है जिस के आधार पर ही मानवता के लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है। परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है परनà¥à¤¤à¥ यही से नागरिकों के मूलà¥à¤¯, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, विचार, आचरण, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के चरितà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का विकास परिवार से ही होता है यथा अचà¥à¤›à¥‡-बà¥à¤°à¥‡, सही-गलत का जà¥à¤žà¤¾à¤¨, सामाजिक-रीतिरिवाज, परंपरा, धरà¥à¤®, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾, दया, करà¥à¤£à¤¾, अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ आदि। वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ चारितà¥à¤°à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का बोध परिवार से ही होता है और सामाजिक परिवेश में रहकर नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में परिपकà¥à¤µà¤¤à¤¾ आती है इसलिये समाज व परिवार मूलà¥à¤¯ विकास में बराबर की à¤à¤¾à¤—ीदारी निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं।