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समाज व परिवार की मूल्यों के विकास में समान भागीदारी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व अंतर्मुखी दिवस दिवस के अवसर पर देश के युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि पूरे विश्व ने नये वर्ष में प्रवेश किया है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व अंतर्मुखी दिवस दिवस के अवसर पर देश के युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि पूरे विश्व ने नये वर्ष में प्रवेश किया है। जनवरी माह का प्रथम सप्ताह हमें चिंतन करने का अवसर देता है कि हम सब विगत वर्ष के बारे में क्या सोचते हैं, जो वर्ष बिता क्या हमने उसे संतोष की भावना से जिया हैं? हमारे विगत वर्ष के जो लक्ष्य थे उसे हमने पूरा किया या नहीं अगर नही ंतो नव वर्ष में अपने लक्ष्यों को पूरा करने व समय को सार्थक करने हेतु आज से ही प्रयत्न करना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जब हम समाज के परिवर्तन के बारे में बात करते हैं, तो परिवर्तन वास्तव में सबसे पहले अपने अंदर करना होगा तभी हम बाहर भी परिवर्तन देख सकते है और एक अंतर्मुखी व्यक्ति बाहरी स्रोतों के बजाय आंतरिक भावनाओं में परिवर्तन कर अपने अन्दर ही ध्यान केंद्रित करता है। आज का दिन सभी हो शांन्ति के साथ आत्मनिरीक्षण करने की प्रेरणा देता है। स्वामी जी ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि शांति, न्याय, सहिष्णुता, आनंद, ईमानदारी, समयबद्धता, अनुशासन, राष्ट्र का सम्मान आदि मूल्यों के साथ जीवन में आगे बढ़ते रहे क्योंकि मूल्य ही युवाओं के लिये सबसे गहरे आदर्शों हो सकते हैं। मूल्य सामाजिक जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिये आवश्यक हैं। इनके माध्यम से ही युवाओं के चरित्र का निर्माण के साथ ही राष्ट्र के चरित्र का निर्माण भी होता है। स्वामी जी ने कहा कि मूल्यों के निर्माण में परिवार पहली सीढ़ी है जिस के आधार पर ही मानवता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है परन्तु यही से नागरिकों के मूल्य, स्वभाव, विचार, आचरण, व्यवहार के माध्यम से राष्ट्र के चरित्र का निर्माण होता है। प्राथमिक मूल्यों का विकास परिवार से ही होता है यथा अच्छे-बुरे, सही-गलत का ज्ञान, सामाजिक-रीतिरिवाज, परंपरा, धर्म, राष्ट्रीयता, दया, करुणा, अनुशासन आदि। व्यावहारिक एवं चारित्रिक मूल्यों का बोध परिवार से ही होता है और सामाजिक परिवेश में रहकर नैतिक मूल्यों में परिपक्वता आती है इसलिये समाज व परिवार मूल्य विकास में बराबर की भागीदारी निभाते हैं।

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