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महात्मा गांधी जी की 74 वीं पुण्यतिथि पर नमन भावपूर्ण श्रद्धाजंलि


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने गांधी मंडेला फाउंडेशन द्वारा आयोजित ’ग्लोबल प्रेयर’ आनलाइन कार्यक्रम में सहभाग कर महात्मा गांधी जी के जीवन मूल्य प्रत्येक युग में प्रासंगिक विषय पर उद्बोधन दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 30 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने गांधी मंडेला फाउंडेशन द्वारा आयोजित ’ग्लोबल प्रेयर’ आनलाइन कार्यक्रम में सहभाग कर महात्मा गांधी जी के जीवन मूल्य प्रत्येक युग में प्रासंगिक विषय पर उद्बोधन दिया। ग्लोबल प्रेयर आनलाइन प्लेटफार्म पर वैश्विक वक्ताओं ने सहभाग कर अपने श्रद्धासुमन महात्मा गांधी जी को समर्पित किये। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महात्मा गांधी जी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक शक्ति थे। उनके आदर्श व सिद्धान्त एक अमिट इबारत की तरह है। गांधी जी एक सृजनशील व्यक्तित्व के धनी थे। वे स्वंय अहिंसक थे और सम्पूर्ण विश्व को भी अहिंसा का पाठ पढ़ाया। वर्तमान समय में हमारे युवाओं को सत्य और अहिंसा को समझने के लिये गांधी जी को समझना होगा तथा गांधी जी के आदर्शो को समझना होगा। महात्मा गांधी जी कहते थे कि ‘सत्य और अहिंसा को केवल व्यक्तिगत जीवन के प्रयोग की वस्तुयें नहीं समझनी चाहिए, बल्कि संगठन, समुदाय और राष्ट्र को इसके प्रयोग के लिए प्रेरित करना चाहिए, तभी सम्पूर्ण विकास सम्भव है। वास्तव में आज इस सूत्र की नितांत आवश्यकता भी है। स्वामी जी ने कहा कि गांधी जी का जीवन आत्म-अनुशासन के सिद्धान्त पर आधारित था। उन्होंने पूरी दुनिया में शांति, प्रेम, अहिंसा, सत्य, ईमानदारी, मौलिक शुद्धता जैसे अनमोल हथियारों का सफल व उत्कृष्ट प्रयोग किया और इन्हीं हथियारों के बल पर भारत को आजाद कराने में मुख्य भूमिका निभाई। वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर चारों ओर जो वातावरण है वह काफी हद तक मानवता और प्रकृति के लिए खतरा बनता जा रहा है। ऐसे में गांधी दर्शन अत्यंत उपयोगी है। गांधी जी का दर्शन व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिये जीवन के नैतिक मूल्यों को महत्व देता है।

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