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योग व आयुर्वेद को प्रचारित-प्रसारित करने का कार्य अभुतपूर्व: केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रताप सा


पतंजलि योगपीठ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का शुभारंभ हुआ। बैठक का उद्घाटन माननीय केन्द्रीय लघु एवं मध्यम उद्योग व पशुपालन राज्य मंत्री प्रताप साडंगी ने किया। उद्घाटन सत्र पर उन्होंने स्वामी रामदेव द्वारा चलाए जा रहे वैश्विक योग आंदोलन, आचार्य बालकृष्ण द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में किए गए अभुतपूर्व कार्य तथा स्वामी विवेकानंद जी के उन कार्यों की चर्चा की जो भौतिकवाद की चकाचौंध में पीछे छूट गए थे।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ भारत

हरिद्वार, 28 दिसम्बरः पतंजलि योगपीठ-2 स्थित श्रद्धालयम ऑडिटोरियम में पतंजलि योगपीठ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का शुभारंभ हुआ। बैठक का उद्घाटन माननीय केन्द्रीय लघु एवं मध्यम उद्योग व पशुपालन राज्य मंत्री प्रताप साडंगी ने किया। उद्घाटन सत्र पर उन्होंने स्वामी रामदेव द्वारा चलाए जा रहे वैश्विक योग आंदोलन, आचार्य बालकृष्ण द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में किए गए अभुतपूर्व कार्य तथा स्वामी विवेकानंद जी के उन कार्यों की चर्चा की जो भौतिकवाद की चकाचौंध में पीछे छूट गए थे। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव ने योग के माध्यम से भारत के स्वाभिमान को जाग्रत किया है। मंत्रीजी ने बैठक में उपस्थित युवाओं को पुरुषार्थ का महत्त्व बताते हुए, स्वस्थ व समृद्ध जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया। इस अवसर पर साडंगी ने भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा धारा 370 तथा 35-ए को हटाए जाने की प्रशंसा करते हुए भारत के विभाजन को विनाशकारी बताया। उन्होंने एनआरसी, सीएए तथा एनपीए के संदर्भ में लोगों को जाग्रत करते हुए कहा कि राष्ट्र को बाँटने की मानसिकता फैलाने वाले लोग भ्रम फैलाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण द्वारा योग व आयुर्वेद को प्रचारित-प्रसारित करने का कार्य अभुतपूर्व है। इसके पश्चात साडंगी आचार्य बालकृष्ण से मिलने पतंजलि योगपीठ स्थित उनके कार्यालय पहुँचे जहाँ आचार्य जी ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने कहा कि आचार्य जी द्वारा वैश्विक स्तर पर किए जा रहे अनुसंधानात्मक प्रयास निश्चित ही सराहनीय हैं। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय ऋषियों की धरोहर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को जितना प्रश्रेय मिलना चाहिए था, हमारी कमजोर सोच के कारण उतना नहीं मिला तथा यह वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में ही प्रयोग होता रहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के क्षेत्र में जितना अनुसंधान होना चाहिए था, वह नहीं हो सका। दुनिया में 3-6 लाख प्रजातियों के पौधे हैं किन्तु उनमें से औषधीय पौधों की पूरी गणना अभी तक मौजूद नहीं है। पहली बार पतंजलि ने अनुसंधान कर एक चेकलिस्ट बनाई है जो बताती है कि दुनिया में करीब 62 हजार औषधीय पौधे हैं। इन पर अभी पतंजलि अनुसंधान संस्थान के माध्यम से शोध किया जा रहा है। पतंजलि के प्रयासों से ही विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य पत्रिकाओं जैसे नेचर इत्यादि में प्रथम बार आयुर्वेद को स्थान मिला है। उल्लेखनीय है कि श्री प्रताप साडंगी जी राष्ट्रीय राजनीति में स्वामी रामदेव की सद्प्रेरणा से ही आगे आए हैं।

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