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परमार्थ निकेतन की शाम देश के संगम, स्वच्छता, समरसता और सद्भाव के नाम


ऋषिकेश,परमार्थ निकेतन में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर दो दिवसीय संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इसमें उत्तराखण्ड, दिल्ली, बिहार, उत्तरप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के संगीतज्ञ पधारे।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश,परमार्थ निकेतन में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर दो दिवसीय संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इसमें उत्तराखण्ड, दिल्ली, बिहार, उत्तरप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के संगीतज्ञ पधारे। संगीत के माध्यम से परमार्थ निकेतन गंगा तट से देश के संगम, स्वच्छता, सद्भाव एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित किया। दो दिवसीय संगीत संध्या कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, पंडित उदय कुमार, सितार वादक, डाॅ चंद्रिमा मजूमदार, श्री भूवन चन्द्र भट्ट, भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ, श्री नीलेश जी, तबला वादक श्री संतोष कुमार जी, श्री सोमनाथ निर्मल जी, श्री मोहन सिंह रावत जी, श्री राज कुमार झा एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस कार्यक्रम का आयोजन पंडित चंदर कुमार मलिक, मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि आज परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर संगीत के माध्यम से स्वच्छता, समरसता, सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण का महासंगम हो रहा है। यहां से उठी संगीत की लहरें हमें वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश दे रही है। संगीत की लहरें माँ गंगा की तरंगों और लहरों के साथ मिलकर मिलन की संस्कृति का; एकत्व का और हम सब एक हैं, एक परिवार के सदस्य है का संगीत सुना रही हैं। स्वामी जी महाराज ने कहा कि संगीत दिलों को बदलता है। स्वामी जी ने कहा कि संगीत मन के भावों को व्यक्त करता है। संगीत के माध्यम से हम प्रकृति और परमात्मा से जुड़ सकते है। ंसंगीत वह दिव्य अनुभूति है जो मन को शान्ति प्रदान करती है। स्वामी जी ने कहा कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती यह तो मन के भाव है जिसके माध्यम से हम परमात्मा से जुड़ सकते है। नववर्ष की पूर्व संध्या पर आयोजित संगीत संध्या में संगीतज्ञों ने अविस्मर्णीय प्रस्तुति दी स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी गायकों और संगीतज्ञों को रूद्राक्ष की माला और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी का अभिनन्दन किया। परमार्थ निकेतन में संगीत का आनन्द लेने आये साधक और श्रद्धालु मधुर संगीत का श्रवण कर भाव विभोर हो उठे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी श्रद्धालुओं को एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प कराया।

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