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असाध्य रोगों के इलाज में भी कारगर है मर्म चिकित्सा-श्रीमहंत दुर्गादास


श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति मर्म चिकित्सा आज भी पूरी तरह प्रभावशाली है। मर्म चिकित्सा के द्वारा असाध्य रोगों का भी इलाज संभव है।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार, 1 जनवरी। श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति मर्म चिकित्सा आज भी पूरी तरह प्रभावशाली है। मर्म चिकित्सा के द्वारा असाध्य रोगों का भी इलाज संभव है। निरंजनी अखाड़ा मार्ग स्थित श्री जुगत निवास में मानव कल्याण समिति व एलांयस क्लब इन्टरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मर्म चिकित्सा एवं फिजियोथेरेपी शिविर का दीप प्रजवलित कर उद्घाटन करते हुए श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि पर्यावरण असंतुलन तथा बदलती जीवन शैली की वजह से लोग तमाम तरह के असाध्य रोगों से पीड़ित हो रहे हैं। चिकित्सा भी लगतार महंगी होती जा रही है। ऐसे में मर्म चिकित्सा के जरिए लोगों को इलाज की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराना प्रशसंनीय कार्य है। अन्य संस्थाओं को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। जुगत निवास आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी गंगादास उदासीन महाराज ने कहा कि 10 जनवरी तक चलने वाले शिविर में जैसे जोड़ों का दर्द, साईटिका, सरवाईकल, स्पोंडीलाइटिस तथा नाड़ी संबंधी सभी प्रकार के रोगों के निःशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की गयी है। सवेरे दस बजे से शाम पांच बजे तक कोई भी व्यक्ति शिविर में इलाज करा सकता है। उन्होंने कहा कि बदलती जीवनशैली, खानपान में लापरवाही तथा केमिकल के अत्यधिक प्रयोग के कारण बीमारियां लोगों को घेर रही हैं। जिनका समय पर इलाज ना कराया जाए तो रोग असाध्य हो जाता है। इसको देखते हुए मर्म चिकित्सा शिविर के आयोजन का निर्णय किया गया। मर्म चिकित्सा के माध्यम से असाध्य रोगों को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अधिक से अधिक शिविर का लाभ उठाने की अपील भी की। इस दौरान श्रीमहंत महेश्वरदास, महंत दामोदर दास, महंत प्रेमदास, महंत निर्मलदास, स्वामी जयेंद्र मुनि, हीरालाल खेटपाल, जय जसवनी, अनिल, रोहित, मनोज मखीजा, सुरेंद्र लुंड, दिनेश अठवानी, सुरेश अठवानी, जय लखानी, अश्वनी ठाकुर, इन्दमोहन मिश्रा, विश्वास सक्सेना, अमित वालिया, जगदीशलाल पाहवा आदि मौजूद रहे।

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