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गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने समाज से कायरता व क्रूरता का दूर कर लोगों के मन को जागृत किया-जसविन्द


श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा है कि गुरू गोविंद सिंह महाराज एक अवतारी महापुरूष थे। जिन्होंने संतत्व और धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार का बलिदान दिया और मानवता को एकता व सौहार्द का संदेश दिया। उक्त उद्गार उन्होंने कनखल स्थित अखाड़े में गुरू गोविन्द सिंह महाराज के 353वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

हरिद्वार, 2 जनवरी। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा है कि गुरू गोविंद सिंह महाराज एक अवतारी महापुरूष थे। जिन्होंने संतत्व और धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार का बलिदान दिया और मानवता को एकता व सौहार्द का संदेश दिया। उक्त उद्गार उन्होंने कनखल स्थित अखाड़े में गुरू गोविन्द सिंह महाराज के 353वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने समाज से कायरता व क्रूरता का दूर कर लोगों के मन को जागृत किया और गरीब असहाय किसानों को भी बल प्रदान कर धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया। वे सर्वसमाज के गुरू थे। उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह महाराज के अवतरण स्थल गुरूद्वारा बाल लीला मैनीसंगत पटना साहिब में निर्मल संप्रदाय के संत महापुरूषों द्वारा सेवा का कार्य किया जाता था। जहां गुरू महाराज ने अपनी बाल लीलाओं द्वारा राजा फतेहचंद मैनी और रानी बिशम्बरा देवी को भी अपना शिष्य बनाया। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने अपने सात वर्षीय पुत्र फतेहंिसंह व नौ वर्षीय पुत्र बाबा जारोबार सिंह का भी बलिदान कर दिया। राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान सदैव अतुलनीय रहेगा। महंत खेमसिंह महाराज ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह महाराज महान लेखक, मौलिक चिंतक थे। उन्होंने सदैव प्रेम एकता व भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उनकी वाणी में सादगी, सौजन्यता एवं वैरागय की भावना कूट कूट कर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन यही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है। मंहत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि इतिहास में गुरू गोविन्द सिंह एक विलक्षण क्रांतिकारी संत व्यक्तित्व हैं। गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने समूचे राष्ट्र के उत्थान के लिए संघर्ष के साथ-साथ निर्माण का रास्ता अपनाया। वे केवल सिक्ख धर्म के ही नही बल्कि पूरी मानवता के प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह केवल आदर्शवादी नहीं थे। बल्कि वे एक आध्यात्मिक गुरू थे। जिन्होंने मानवता को शांति, प्रेम, एकता, समानता एवं समृद्धि का रास्ता दिखाया। वे व्यवहारिक एवं यथार्थवादी भी थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को धर्म की पुरानी और अनुचित परंपराओं से नहीं बांधा। बल्कि उन्हें नए रास्ते बताते हुए अध्यात्मिकता के प्रति व्यवहारिक दृष्टिकोण दिखाया। महंत सतनाम सिंह व महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह एक महान कर्म प्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक के साथ ही वीर योद्धा भी थे। मानव समाज का उत्थान और धर्म एवं राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओतप्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अदभूत प्रधानता की प्रतिमूर्ति थे। ऐसे महान व्यक्तित्व के आदर्श सदैव हमारे जीवन प्रसंग में निहित रहने चाहिए। संत समाज ऐसे महापुरूष को नमन करता है। इस अवसर पर महंत सतनाम सिंह, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, संत रामस्वरूप सिंह, संत सुखमन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत विष्णु सिंह, संत सुरजीत सिंह, संत जरनैल सिंह, संत रोहित सिंह, महंत गुरूभक्त सिंह, महंत मलकीत सिंह आदि उपस्थित रहे।

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