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प्रयागराज में भजन-कीर्तन एवं आत्मा-ईश्वर-ब्रह्म का साक्षात् दर्शन कार्यक्रम


सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस द्वारा संस्थापित संस्था सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के तत्त्वावधान में 15 जनवरी से 5 फरवरी तक प्लाॅट नं 91 सेक्टर नं 2 अपर संगम मार्ग स्थित पण्डालमें माघ मेला के अवसर पर धर्म -धर्मात्मा-धरती रक्षार्थ सत्संग कार्यक्रम का आयोजना किया जा रहा है।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज भारत

दि0 15 जनवरी, माघ मेला प्रयाग । सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस द्वारा संस्थापित संस्था सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के तत्त्वावधान में 15 जनवरी से 5 फरवरी तक प्लाॅट नं 91 सेक्टर नं 2 अपर संगम मार्ग स्थित पण्डालमें माघ मेला के अवसर पर धर्म -धर्मात्मा-धरती रक्षार्थ सत्संग कार्यक्रम का आयोजना किया जा रहा है जिसमें जिज्ञासु जनो को आत्मा-ईश्वर-ब्रह्म का साक्षात् दर्शन करवाया जायेगा, 26 जनवरी को सत्य-धर्म संस्थापनार्थ धर्म-धर्मात्मा-धरती रक्षार्थ भगवान श्री विष्णु जी-श्री राम जी-श्री कृष्ण जी-सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस जी के तत्त्वज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने तथा जनमानस को धर्म के नाम पर फैले आडम्बर-ढोंग-पाखंड से बचाने हेतु भगवद शोभा यात्रा निकाली जाएगी। संस्था के प्रमुख कमल जी ने कहा आज अगर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार किसी क्षेत्र में है तो वह धर्म क्षेत्र में ही है । उन्होंने कहा - भगवान् एक था एक है एक ही रहने वाला परम सत्ता शक्ति है जो दो भी नहीं होता परन्तु आज हर महत्वाकांक्षी गुरु जी लोग सद्गुरु, जगतगुरु, श्री श्री श्री 108 श्री अनंत श्री आदि आदि पदवी ले लेकर अपने शिष्यों में भगवान् बन रहे हैं और उनके धन और धर्म भाव का शोषण कर रहे हैं , जब की ये गुरु जी लोग शरीर में रहने वाले चेतन जीव को भी नहीं जानते और न परमात्मा को ही जानते हैं , नाजानकर आत्मा को ही जीव और आत्मा को ही परमात्मा घोषित करने कराने में लगे हैं, महात्मा दशरथ जी ने कहा, भगवान विष्णु-राम-कृष्णजी ने जिस ‘तत्त्वज्ञान’ को अपने समर्पित-शरणागत भक्त-सेवकों को देकर परमेश्वर के जिस विराटरूप का साक्षात् दर्शन कराया था, आज सन्त ज्ञानेश्वर जी ने अपने भक्त-सेवकां को उसी तत्त्वज्ञान को ही देकर जीव-आत्मा-परमात्मा का आमने-सामने बातचित के साथ साक्षात दर्शन कराया है । महात्मा जी ने आगे कहा की उस तत्त्वज्ञान में यह स्पष्ट दिखलाई दिया की श्री विष्णु-राम-कृष्ण के शरीर में अवतरित हो कर जिस परमतत्त्वम ने कार्य किया था , आज सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस के शरीर में अवतरित होकर उसी परमतत्त्वम ने धर्म संस्थापन का कार्य किया है । महात्मा जी ने कहा कि इस संस्था का एकमात्र उद्देश्य धर्म-धर्मात्मा-धरती की रक्षा ही है । असत्य-अधर्म-अन्याय-अनीति को समूल समाप्त कर सत्य-धर्म-न्याय-निति को समाज में लागू करने हेतु सन्त ज्ञानेश्वर जी के सकल शिष्य समाज संकल्पित एवं समर्पित है।

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