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पम्पों की क्षमता बढ़ाई जाने के बावजूद मल गंगा जल में बहाया जा रहा है:श्रीकुंज


भारत जागृति मिशन के अध्यक्ष अंशुल श्री कुंज ने कहा कि केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना गंगा जल को प्रदूषण मुक्त बनाने में नाकाम रही है। इस योजना पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा की हज़ारों करोड़ खर्च करने के बाद भी गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार नही हुआ है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ भारत

हरिद्वार। भारत जागृति मिशन के अध्यक्ष अंशुल श्री कुंज ने कहा कि केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना गंगा जल को प्रदूषण मुक्त बनाने में नाकाम रही है। इस योजना पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा की हज़ारों करोड़ खर्च करने के बाद भी गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार नही हुआ है। इसलिए मोदी सरकार को इस पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। प्रेस को जारी एक बयान में श्री कुंज ने कहा की हरिद्वार में गंगा जल की सतही सफाई के लिए इस योजना के तहत सरकार ने एक कंपनी को ठेका दिया था। इसमे दो स्थानों पर ट्रैश बूम लगाए गए थे व जल में प्रवाहित होने वाली गंदगी को इकट्ठा करने के लिए एक मोटर बोट चलाई जानी थी। उन्होंने कहा की अब न तो ट्रैश बूम मौजूद हैं और न ही बोट चल रही है। ऐसे ही 72 गंगा घाटों की सफाई के लिए एक कंपनी को 16 करोड़ में ठेका दिया गया था। सफाई के लिए उक्त कंपनी को मशीनें भी लगानी थी। लेकिन अधिकांश घाटों पर कोई सफाई नही हो रही है जबकि कंपनी को राशि का भुगतान हो रहा है। उन्होंने कहा की नमामि गंगे के तहत कई जगहों पर सीवेज शोधन पम्पों की क्षमता बढ़ाई जाने के बावजूद मल जल गंगा जल में बहाया जा रहा है। श्री कुंज ने कहा की इन सब घटनाओं से नमामि गंगे योजना पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। साथ ही पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद सरकारी रिपोर्ट गंगा जल की गुणवत्ता में कोई सुधार नही दर्शा रही हैं। उन्होंने कहा की ये जरूरी हो गया है की सरकार इस योजना पर श्वेत पत्र जारी करे। अंशुल ने कहा की माँ गंगा लोगों की आस्था का केंद्र हैं। सरकार गंगा भक्तों की आस्था से खेल रही है। प्रधानमंत्री एक तरफ खुद को गंगा का बेटा कहते हैं और दूसरी तरफ सरकार गंगा की ज़मीन पर उद्योग और आवास बनाना चाहती है, ये गंगा द्रोह है। उन्होंने कहा कि सरकार तय करे की उसे गंगा की सफाई करनी है या जहाज चलवाकर उससे कमाई करनी है।

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