Latest News

“ साधना से नहीं होती है परमात्मा की प्राप्ति’--सन्त ज्ञानेश्वर


सत्संग शंका-समाधान कार्यक्रम में सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द परमहंस के शीष्य महात्मा कमल ने कहा, परमात्मा-परमेश्वर-परमब्रम्ह या खुदा-गॉड-भगवान न तो जप-तप, नेम-व्रत, होम-यज्ञ, तीर्थ-स्नान अथवा त्याग-सन्यास से मिलता है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ भारत

आज 18 जनवरी, माघ मेला प्रयाग। सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के प्लॉट नं 91 सेक्टर नं 2 स्थित पण्डालमें चलरहे सत्संग शंका-समाधान कार्यक्रम में सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द परमहंस के शीष्य महात्मा कमल ने कहा, परमात्मा-परमेश्वर-परमब्रम्ह या खुदा-गॉड-भगवान न तो जप-तप, नेम-व्रत, होम-यज्ञ, तीर्थ-स्नान अथवा त्याग-सन्यास से मिलता है और न ही योग-साधना आदि के सहारे से ही प्राप्त होता है । परमात्मा की प्राप्ती तत्त्वज्ञान से होता है । उन्होंने कहा कि जीव को ही आत्मा या ईश्वर और आत्मा या ईश्वर को ही परमात्मा या परमेश्वर मानने वाले मिथ्या धारणा के लोग साधना से परमात्मा-परमेश्वर या खुदा-गॉड-भगवान को प्राप्त कर लेने की घोषणा करते हैं , जबकि जीव एवं ईश्वर (आत्मा) और परमेश्वर (परमात्मा) तीनों हर मा.मले में अलग-अलग हैं । वास्तव में योग-साधना या अध्यात्म से हम जिसे प्राप्त करते हैं, वह परमात्मा-परमेश्वर नहीं बल्कि आत्मा-ईश्वर है और आत्मा-ईश्वर परमात्मा-परमेश्वर का अंश है। उस आत्मा या ईश्वर का मायावी दोष-गुण से युक्त होने को ही जीव कहते है । तीनों ही एक दूसरे से हर मामले में सर्वथा भिन्न-भिन्न होते हैं जिन्हें तत्त्वज्ञान रूप भगवद्ज्ञान के अन्तर्गत यथावत् साक्षात् देखा जाता है तथा बातचीत करते हुये उनका परिचय-पहचान भी प्राप्त किया जाता है । गीता वाले विराटरूप को भी सामने ही देखने का सुअवसर तत्त्वज्ञान के अन्तर्गत ही हर भगवद् समर्पित-शरणागत जिज्ञासु को प्राप्त होता है जैसा कि वर्तमान में सन्त ज्ञानेश्वर जी से हजारों-हजार प्राप्त कर चुके हैं ।

Related Post