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आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए मिला सम्मान


पतंजलि द्वारा आयुर्वेद के संरक्षण, संवर्धन एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आज नई दिल्ली में Interactive Forum on Indian Economy द्वारा पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी जी के कर-कमलों से बालकृष्ण को। "Champions of Change Award 2019" से सम्मानित किया गया।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ भारत

हरिद्वार, 20 जनवरी। पतंजलि द्वारा आयुर्वेद के संरक्षण, संवर्धन एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आज नई दिल्ली में Interactive Forum on Indian Economy द्वारा पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी जी के कर-कमलों से बालकृष्ण को। "Champions of Change Award 2019" से सम्मानित किया गया। इस अवार्ड के लिए विशिष्ट ज्यूरी उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन एवं उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा जी द्वारा आचार्य को चयनित किया गया। इस अवसर पर नंदन कुमार झा, अध्यक्ष- Interactive forum of Indian economy उपस्थित थे। पुरस्कार प्राप्त कर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमें प्रसन्नता है कि लाखों कर्मठ कर्मयोगी भाई-बहनों के अथक प्रयासों, समर्पित स्वयंसेवकों व शिक्षकों के पुरुषार्थ से स्वामी के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ ने हमारी ऋषियों की परम्परा योग एवं आयुर्वेद को पुनर्जागृत व स्थापित करने का महत प्रयास किया है। यह आप सबके सहयोग एवं सत् प्रयासों से ही सम्भव हो पाया है। आचार्य ने कहा कि आज योग-आयुर्वेद के नाम पर कोई भी सम्मान या अवार्ड प्राप्त होता है तो वह उन ऋषियों की महानता एवं पतंजलि के कर्मठ कर्मयोगी भाई-बहनों, समर्पित स्वयंसेवकों व शिक्षकों की कर्मठता एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। अतः इस सम्मान को भी मैं आप सभी को समर्पित करता हूँ। उन्होंने कहा कि हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं कि ईश्वर ने हमें इस महान् कार्य में निमित्त मात्र बनने का अवसर दिया है। आज आप सबके सहयोग से पतंजलि न केवल भारतवर्ष में अपितु सम्पूर्ण विश्व में चिकित्सा एवं अनुसंधान की दृष्टि से अग्रणी संस्था बनी है। सर्वविदित है कि आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठापित करने में चर्य का अभुतपूर्व योगदान है। चाहे आयुर्वेद में अनुसंधान का विषय हो या प्राचीन पाण्डुलिपियों के संग्रह व प्रकाशन का या औषधीय आयुर्वेदिक पादपों की पहचान व उनके वर्गीकरण का कार्य, पूज्य आचार्य जी सभी क्षेत्रें में आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठा दिलाने हेतु पूर्ण संकल्पित हैं। आचार्य के मार्गदर्शन में पतंजलि के माध्यम से तीन विश्वस्तरीय लैब संचालित की जा रही हैं जहाँ सैकड़ों वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य में अहर्निश कार्यरत हैं। वहीं पाण्डुलिपियों के संरक्षण व उनके नवीन प्रकाशन का बड़ा कार्य किया जा रहा है। सम्पूर्ण विश्व में पौधों की 3.6 लाख प्रजातियाँ हैं किन्तु उनमें से औषधीय पौधों की पूरी गणना अभी तक मौजूद नहीं है। इनकी पहचान तथा वर्गीकरण का कार्य WHO ने प्रारम्भ किया था किन्तु कार्य की जटिलता तथा चुनौतियों के कारण उन्होंने इसे बीच में ही छोड़ दिया। आचार्य के अथक प्रयासों से पहली बार पतंजलि ने अनुसंधान कर एक चेकलिस्ट बनाई जिसके अनुसार दुनिया में करीब 62 हजार औषधीय पौधे हैं। पतंजलि के प्रयासों से ही विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य पत्रिकाओं जैसे नेचर इत्यादि में प्रथम बार आयुर्वेद को स्थान मिला है। आचार्य जी के मार्गदर्शन में आज आयुर्वेद विज्ञानसम्मत पैरामीटर पर स्थापित हो गया है। ज्ञात हो कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए पहले भी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।

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