बसनà¥à¤¤ पंचमी के अवसर पर à¤à¥‚मा निकेतन में माठबगलामà¥à¤–ी महायजà¥à¤ž सà¥à¤¥à¤² पर वीर हकीकत राय को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की गयी आज महायजà¥à¤ž आरमà¥à¤ करने से पहले विधि विधान से वीर हकीकत राय की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की।बसनà¥à¤¤ पंचमी के दिन सन 1734 में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• शरीयत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° केवल 13 वरà¥à¤· की अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में वीर हकीकत राय को फाà¤à¤¸à¥€ पर लटका दिया गया था।
रिपोर्ट - आल नà¥à¤¯à¥‚ज à¤à¤¾à¤°à¤¤
आज बसनà¥à¤¤ पंचमी के अवसर पर à¤à¥‚मा निकेतन में माठबगलामà¥à¤–ी महायजà¥à¤ž सà¥à¤¥à¤² पर वीर हकीकत राय को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की गयी।आज महायजà¥à¤ž आरमà¥à¤ करने से पहले विधि विधान से वीर हकीकत राय की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की।बसनà¥à¤¤ पंचमी के दिन सन 1734 में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• शरीयत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° केवल 13 वरà¥à¤· की अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में वीर हकीकत राय को फाà¤à¤¸à¥€ पर लटका दिया गया था। अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वीर हकीकत राय के बारे में बताते हà¥à¤ यति नरसिंहाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी महाराज ने कहा की पंजाब के सियालकोट में सनॠ1721 में जनà¥â€à¤®à¥‡à¤‚ वीर हकीकत राय जनà¥â€à¤® से ही कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के बालक थे। यह बालक 4-5 वरà¥à¤· की आयॠमें ही इतिहास तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ आदि विषय का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥â€à¤¤ अधà¥â€à¤¯à¤¯à¤¨ कर लिया था। 10 वरà¥à¤· की आयॠमें फारसी पढ़ने के लिये मौलबी के पास मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में à¤à¥‡à¤œà¤¾ गया, वहॉं के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ छातà¥à¤° हिनà¥â€à¤¦à¥‚ बालको तथा हिनà¥â€à¤¦à¥‚ देवी देवताओं को अपशबà¥â€à¤¦ कहते थे। बालक हकीकत उन सब के कà¥à¤¤à¤°à¥à¤•à¥‹ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ करता और उन मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वाद-विवाद में पराजित कर देता। à¤à¤• दिन मौलवी की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने हकीकत राय को खूब मारा पीटा। बाद में मौलवी के आने पर उनà¥â€à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हकीकत की शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दिया है। यह बाद सà¥à¤¨ कर मौलवी बहà¥à¤¤ नाराज हà¥à¤ और हकीकत राय को शहर के काजी के सामने पà¥à¤°à¤¸à¥â€à¤¤à¥à¤¤ किया। बालक के परिजनों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लाख सही बात बताने के बाद à¤à¥€ काजी ने à¤à¤• न सà¥à¤¨à¥€ और निरà¥à¤£à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ कि शरियत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इसके लिये मृतà¥à¤¯à¥à¤¦à¤£à¥à¤¡ है या बालक मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन जाये। माता पिता व सगे समà¥â€à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कहने के यह कहने के बाद कि मेरे लाल मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन जा तू कम से कम जिनà¥â€à¤¦à¤¾ तो रहेगा। किनà¥â€à¤¤à¥ वह बालक अपने निशà¥â€à¤šà¤¯ पर अडि़ग रहा और बंसत पंचमी सन 1734 को जलà¥â€à¤²à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ ने उसे फॉंसी दे दी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह à¤à¥€ कहा की जिस बालक ने अपने देवी देवताओं के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£ दे दिà¤,उससे बड़ा à¤à¤—वान का à¤à¤•à¥à¤¤ कौन हो सकता है।सनातन धरà¥à¤® के सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯à¥‹ को सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤à¤¿ से वीर हक़ीक़त राय को à¤à¤•à¥à¤¤ शिरोमणि घोषित करके à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· की राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ और धरà¥à¤®à¤¨à¤—री हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में उनका à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• बनाना चाहिये ताकी हमारी आने वाली पीढियां à¤à¤¸à¥€ महान आतà¥à¤®à¤¾ से शिकà¥à¤·à¤¾ ले सके। शà¥à¤°à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ महासà¤à¤¾ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ अधीर कौशिक जी ने à¤à¥€ इसका समरà¥à¤¥à¤¨ करते हà¥à¤ कहा की यदि संत समाज à¤à¤¸à¥€ पहल करता है तो शà¥à¤°à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ महासà¤à¤¾ अपनी समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ के साथ उनका सहयोग करेगी। महायजà¥à¤ž के उपरांत वीर हकीकत राय को दो मिनट का मौन रखकर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की गयी। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने वालो में हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¤• अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बाबा परमेनà¥à¤¦à¥à¤° आरà¥à¤¯,यति सतà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µà¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€,यति रामसà¥à¤µà¤°à¥‚पानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, यति सेवानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€,यति à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ सनोज शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€,डॉ गजेंदà¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी,बृजमोहन सिंह,पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ हरिकिशन शरà¥à¤®à¤¾,विजयपाल तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी,मà¥à¤•à¥‡à¤¶ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी,सà¥à¤¶à¥€à¤² यादव तथा अनà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤à¤—ण उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।