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राणा सांगा क्षत्रियों की वीरता के परिचायक थे


राणा सांगा एक बहादुर योद्वा एवं कुशल शासक थे जिन्होने मांडू के सुल्तान महमूद को युद्व मे हराकर उसे बन्दी बनाकर अपने किले मे ले गये जहाॅ उसका उपचार एवं देखभाल करने के उपरान्त उसे छोड दिया। राणा सांगा जिनका नाम राणा संग्राम सिंह था। उन्होने 16-वी शताब्दी में मेवाड पर शासन किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार-30 जनवरी, 2020 राणा सांगा एक बहादुर योद्वा एवं कुशल शासक थे जिन्होने मांडू के सुल्तान महमूद को युद्व मे हराकर उसे बन्दी बनाकर अपने किले मे ले गये जहाॅ उसका उपचार एवं देखभाल करने के उपरान्त उसे छोड दिया। राणा सांगा जिनका नाम राणा संग्राम सिंह था। उन्होने 16-वी शताब्दी में मेवाड पर शासन किया। राणा सांगा एक आॅख खराब होने, एक हाथ कट जाने एवं युद्व मे धुटना तीर से धायल होने के बाद भी अपनी वीरता के बल पर चारो ओर प्रसिद्व थे। देश के ऐसे महान सपूत को एक ओर जहाॅ पूरा देश नमन कर रहा है वही ऐसे वीरता के परिचायक, मानवीय मूल्य से ओत-प्रोत तथा दुखियों के प्रति जिनमे आदर भाव एवं उसकी सहायता करना जीवन का आदर्श था ऐसे शासक से प्रेरणा लेकर हम सभी को आगे बढना चाहिये। ये विचार अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के महासचिव डाॅ0 शिवकुमार चैहान ने कनखल स्थित राजपूत धर्मशाला कार्यालय पर आयोजित बलिदान दिवस कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किये। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की ओर से राणा सांगा के बलिदान दिवस 30 जनवरी पर उनका स्मरण करते हुये एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे वक्ताओं ने राणा सांगा के जीवन वृत्त पर अपने विचार प्रस्तुत किये। इतिहासकार रोहिताश्व कुवंर चैहान ने कहाॅ कि मेवाड की धरती वीर राजपूतों की जननी है जहाॅ ऐसे योद्वाओं ने जन्म लिया है जिन्होने मानवता की रक्षा के लिये अपने प्राणों की बाजी लगा दी। उन्होने राणा सांगा के जीवन को मानवीय मूल्यों का आदर्श बताया। शिक्षाविद्व लोकेन्द्र पाल सिंह ने कहाॅ कि महाराणा प्रताप के वंशज राणा सांगा ने 1557 ई0 में भरतपुर के पास स्थित खानुआ के युद्व मे बाबर को हराकर मेवाड की रक्षा की। ऐतिहासिक काव्य वीर विनोद मे उनकी वीरता का भरपूर वर्णन मिलता है। एक आॅख खराब होने पर भी वे दुश्मन की आॅख मे आॅख डालकर युद्व मे डटे रहते थे। क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह राणा ने कहाॅ कि राणा संागा की वीरता का कोई सानी नही था। पानीपत युद्व विजय के कारण बाबर का मनोबल बहुत ऊॅचा था। परन्तु 1557 के खानुआ युद्व से पहले राजपूती सेना की युद्व कुशलता के सामने बाबर की सेना मे खलबली मच गई थी। विचार गोष्ठी मे प्रो0 भारत भूषण, डाॅ0 बिजेन्द्र सिंह चैहान, स्वतंत्रता सेनानी धनश्याम सिंह, योगेन्द्र राठौर आदि ने भी विचार व्यक्त किये। विचार गोष्ठी का शुभारम्भ राष्ट्रगान के साथ प्रारम्भ हुआ तथा समापन वन्दे मातरम से साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन अजय कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर महेन्द्र सिंह नेगी, मनवीर सिंह विजयपाल सिंह राणा, प्रेम सिंह राणा, आर0के0 चैहान, बी0एस0 नेेगी, नरेन्द्र पाल सिंह चैहान, अंकित चैहान, तनुज शेखावत, राजीव चैहान, विक्रान्त पुण्डीर, सतपाल सिंह, योगेन्द्रपाल सिंह, संजीव चैहान, राजेश चैहान, मदनपाल सिंह, मुनेश राणा, अशोक लता, सुमि़़त्रा देवी, आदि उपस्थित रहे।

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