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स्थाई कुलपति बनने से उत्तराखंड बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र की उम्मीदें भी गढ़वाल विश्वविद्याल


विश्वविद्यालय समाज का अन्नय हिस्सा होते हैं। समाज ही विश्वविद्यालयों को बनाता है और विश्वविद्यालय उस समाज की बेहतरी के लिए काम करते हैं।सदियों से ही विश्वविद्यालय समाज को दशा और दिशा देने का काम करते आ रहे हैं।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

विश्वविद्यालय समाज का अन्नय हिस्सा होते हैं। समाज ही विश्वविद्यालयों को बनाता है और विश्वविद्यालय उस समाज की बेहतरी के लिए काम करते हैं।सदियों से ही विश्वविद्यालय समाज को दशा और दिशा देने का काम करते आ रहे हैं।इसी लिए विश्वविद्यालयों की शिक्षा और शोध का असर समाज पर भी दिखता है। गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना जन आंदोलनों के बाद हुई है। लोगों को उम्मीद थी कि यह विश्वविद्यालय खुलेगा तो न केवल उनके बच्चों के लिए शिक्षा के द्वार खुलेंगे बल्कि पहाड़ के विकास में भी यह विश्वविद्यालय अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा। अपनी स्थापना से लेकर केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने तक के सफर में विश्वविद्यालय ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन विश्वविद्यालय उन आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया जो आंदोलन के दौर में लोगों की थी। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद अपने आसपास के समाज के प्रति गढ़वाल विश्वविद्यालय की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं लेकिन अव्यवस्थाओं के कारण यह नहीं हो पाया । अब 2 साल बाद स्थाई कुलपति बनने के बाद प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल के प्रयासों से न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र की उम्मीदें भी गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रति बढ़ गई हैं। यहाँ का समाज विश्वविद्यालय को उम्मीद की नजरों से देख रहा है । इसका कारण भी विश्वविद्यालय की हिमालयी क्षेत्रों के समाज और उनकी समस्याओं के विषय में "हिमालयी राज्यों के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के संघ "की स्थापना की कोशिशों को दिया जाता है। पहाड़ों की समस्याओं के समाधान के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हिमालयी राज्यों के 13 केंद्रीय विश्वविद्यालयों का एक फोरम गठित करने की पहल की। हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल को इसके नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है। फोरम में हिमालयी राज्यों के पर्यावरण को देखते हुए इको- फ्रेंडली पर्यटन विकास, जल संरक्षण हार्वेस्टिंग स्टडीज व महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार जैसे विषयों पर शोध किया जाएगा और समस्याओं के निदान के लिए समाधान भी प्रस्तुत किए जाएंगे। फोरम में पहाड़ के पहाड़ जैसे जीवन से निजात पाने के लिए शोध किए जाएंगे और पहाड़ में सुविधाओं के उपाय तलाश कर पर्वतीय जीवन को आसान और खुशहाल बनाने की कोशिश की जाएगी। इस फोरम में गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा शोध एवं अकादमिक गतिविधियों को सभी हिमालयी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ साझा किया जाएगा और उन्हें भी अकादमिक गतिविधियों व अपनी विशेषज्ञताओं को साझा करने हेतु अनुरोध किया जाएगा। इसके पश्चात सहयोग के नए क्षेत्रों को चिन्हित कर सभी विश्वविद्यालय उन बिंदुओं पर मिलकर काम करेंगे। इस फोरम से लोगों की उम्मीदें गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रति बढ़ना लाजमी है। क्योंकि अभी तक हुई दो बैठकों के परिणाम सकारात्मक रहे हैं और गढ़वाल विश्वविद्यालय के काम को सराहा भी गया है। नीति आयोग के साथ हुई बैठक में हिमालयी राज्यों के केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों की बैठक में गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल के प्रेजेंटेशन को नीति आयोग ने सराहा है। साथ ही इसे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा भी पसंद किया गया है । इससे इस फोरम के भविष्य में बेहतरीन परिणाम आने की उम्मीद न केवल छात्रों बल्कि हिमालयी राज्यों के निवासियों की आंखों में भी दिखने लगी है। गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल की इस पहल से विश्वविद्यालय को शैक्षिक गतिविधियों में नई ऊँचाई मिलेगी और विश्वविद्यालयों द्वारा समाज को नई दिशा व दशा देने की जिम्मेदारी भी पूरी होगी।

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