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परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने किया हेमाद्रि संकल्प


परमार्थ निकेतन गंगा तट पर आज प्रातःकाल श्रावणी पर्व पर द्विजत्व के संकल्प का नवीनीकरण किया गया। श्रावणी पर्व स्वाध्याय, ज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का पर्व है। सद्ज्ञान, बुद्धि, विवेक और धर्म की वृद्धि के लिए इस पावन पर्व को मनाया जाता है। ऋषि परम्परा के अनुसार श्रावणी पर्व को गंगा स्नान, ध्यान और वेद पारायण कर आरंभ करते है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 12 अगस्त। परमार्थ निकेतन गंगा तट पर आज प्रातःकाल श्रावणी पर्व पर द्विजत्व के संकल्प का नवीनीकरण किया गया। श्रावणी पर्व स्वाध्याय, ज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का पर्व है। सद्ज्ञान, बुद्धि, विवेक और धर्म की वृद्धि के लिए इस पावन पर्व को मनाया जाता है। ऋषि परम्परा के अनुसार श्रावणी पर्व को गंगा स्नान, ध्यान और वेद पारायण कर आरंभ करते है। श्रावणी पर्व के अंतर्गत आध्यात्मिक उच्चतम आदर्शों की परिकल्पना निहित है। ऋषियों की दिनचर्या, स्वाध्याय और शाकाहार की परम्पराओं को आत्मसात कर जीवन जीने की शिक्षा हमें श्रावणी पर्व देता है। श्रावणी पर्व पर पुराना यज्ञोपवीत परिवर्तित किया जाता है और नया धारण जाता है। इस अवसर पर प्रायश्चित्त संकल्प करते हैं। श्रावणी पर्व ऋषित्व, सद्ज्ञान एवं सत्कर्म के अभिवर्धन का पर्व है। परमार्थ गंगा तट पर आज प्रातःकाल वेदमंत्रो के साथ हेमाद्रि संकल्प, दशस्नान, यज्ञोपवीत नवीनीकरण कर परम्परागत रूप से श्रावणी उपाकर्म का क्रम पूरा किया गया। इस अवसर पर श्री रामअनन्त तिवारी, आचार्य प्रेमचन्द्र नवानी, आचार्य दीपक शर्मा, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार उपस्थित थे।

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