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मुख्यमंत्री धामी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ कार्यक्रम में किया प्रतिभाग।


विभाजन की विभीषिका का दर्द सहने वाले 400 सेनानियों को स्मृति चिन्ह देकर किया सम्मानित। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को जेसिस पब्लिक स्कूल, गंगापुर रोड़, रुद्रपुर में उत्तरांचल पंजाबी महासभा द्वारा आयोजित ’विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

विभाजन की विभीषिका का दर्द सहने वाले 400 सेनानियों को स्मृति चिन्ह देकर किया सम्मानित। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को जेसिस पब्लिक स्कूल, गंगापुर रोड़, रुद्रपुर में उत्तरांचल पंजाबी महासभा द्वारा आयोजित ’विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने पाञ्चजन्य द्वारा विभाजन की विभीषिका पर आधारित खून के आसूं नामक पुस्तक का विमोचन एवं विभाजन विभीषिका पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने विभाजन की विभीषिका का दर्द सहने वाले 400 सेनानियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया एवं उनकी दीर्घायु की कामना की। सेनानियों को सम्मानित किए जाने पर उन्होंने कहा कि वह खुद को गौरवान्वित, भाग्यशाली एवं स्वयं को सम्मानित होते महसूस कर रहे हैं। उन्होंने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को आने वाले सालों में और भव्य रूप दिए जाने की बात कही। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम में आए विभाजन विभीषिका सेनानियों का अभिनंदन किया, उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से विभाजन विभीषिका दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी, यह दिवस उन सभी सेनानियों एवं विभाजन के दौरान अपने परिवार जनों से बिछड़े लोगो के बलिदान को याद करने का दिवस है। उन्होंने बताया हाल ही में हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों को विभाजन की विभीषिका दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम किए जाने एवं विभाजन के दौरान मौजूद लोगों से बात किए जाने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विभाजन विभीषिका के दौरान कई परिवारो ने अपनी जान हथेली में लेते हुए रेलगाड़ी बैलगाड़ी एवं अन्य माध्यमों से पलायन किया। विभाजन विभीषिका में लंबे संघर्ष के बावजूद लोगों ने समाज के विकास में अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा विभाजन विभीषिका की पीड़ा सह चुके लोगों ने उत्तराखण्ड के तराई क्षेत्र को बसाने में अहम योगदान दिया। आज भी यह लोग उत्तराखंड के विकास में अपना अहम योगदान दे रहे हैं।

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