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एम्स ऋषिकेश को मिला ’आयुष्मान सम्मान’ पुरस्कार आयुष्मान योजना में अब तक 79 हजार से अधिक लोगों का किया इलाज


पिछले 4 वर्षों के दौरान आयुष्मान भारत योजना के तहत एम्स ऋषिकेश ने 79, 721 मरीजों का उपचार किया है। इस उपलब्धि के लिए हाल ही में राज्य सरकार की ओर से एम्स, ऋषिकेश को ’आयुष्मान सम्मान’ से नवाजा गया। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने इस उपलब्धि के लिए आयुष्मान भारत योजना की टीम को बधाई दी है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

ऋषिकेश ने 79, 721 मरीजों का उपचार किया है। इस उपलब्धि के लिए हाल ही में राज्य सरकार की ओर से एम्स, ऋषिकेश को ’आयुष्मान सम्मान’ से नवाजा गया। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने इस उपलब्धि के लिए आयुष्मान भारत योजना की टीम को बधाई दी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत सितम्बर- 2018 में हुई थी। इस स्वास्थ्य योजना के तहत बीते 4 वर्षों के दौरान उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश सहित देश के कई अन्य राज्यों के 79 हजार से अधिक मरीजों का एम्स ऋषिकेश में सफल उपचार किया गया। योजना के सफलतम 4 वर्ष पूर्ण होने व इस योजना का बेहतर संचालन करने पर राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग द्वारा एम्स संस्थान को ’आयुष्मान सम्मान पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। देहरादून में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज उप्रेती ने इस उपलब्धि के लिए एम्स ऋषिकेश को सम्मानित किया। एम्स की ओर से यह सम्मान आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी व बर्न एवं प्लास्टिक शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल मागो ने प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि पिछले संस्थान में योजना के प्रारंभ से 26 जुलाई- 2022 तक एम्स में उत्तराखंड के अलावा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, केरल और जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के कुल 79, 721 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। इनमें से सर्वाधिक 56 हजार 872 मरीज उत्तराखंड राज्य के निवासी हैं। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित इस योजना का उद्देश्य गरीब व जरुरतमंद लोगों को सरकारी खर्च पर निशुल्क उपचार उपलब्ध करवाना है। आयुष्मान भारत योजना में तेजी लाने के लिए एम्स संस्थान प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है और यहां अधिकाश लोग आर्थिक तौर से कमजोर हैं। ऐसे में गरीबों के निःशुल्क इलाज हेतु यह योजना भविष्य में और अधिक सफल साबित होगी। खासतौर से वह लोग जिन्हें गंभीर बीमारियों की वजह से डायलेसिस और कीमोथेरेपी करवाने हेतु नियमिततौर पर अस्पताल आना पड़ता है, उनके लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं।

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