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उ0सं0वि0वि0 व इण्डियन एसोसिएशन आॅफ योग के संयुक्त दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी


योग विज्ञान विभाग, उ0सं0वि0वि0 व इण्डियन एसोसिएशन आॅफ योग के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शीर्षक ‘‘साइको-स्प्रीच्यूल एप्रोच टू योगा (योग का आध्यात्मिक-मनोविज्ञानिक दृष्टिकोण)’’ का शुभारम्भ।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज़ भारत

हरिद्वार दिनांक 22 फरवरी 2020, योग विज्ञान विभाग, उ0सं0वि0वि0 व इण्डियन एसोसिएशन आॅफ योग के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शीर्षक ‘‘साइको-स्प्रीच्यूल एप्रोच टू योगा (योग का आध्यात्मिक-मनोविज्ञानिक दृष्टिकोण)’’ का शुभारम्भ प्रो0 देवी प्रसाद त्रिपाठी (मुख्य अतिथि) विशिष्ट अतिथि प्रो0 मीरा शर्मा (लंदन), प्रो0 दीप्ति सूरी (शिकागो), प्रो0 बी0 आर0 शर्मा, प्रो0 के0कृष्ण शर्मा, प्रो0 जी0डी0 शर्मा, डाॅ0 पाॅल मदान, डाॅ0 एम0 शाह, डाॅ0 विषद त्रिपाठी ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। आयोजन समिति के अध्यक्ष डाॅ0 कामाख्या कुमार ने स्वागत भाषण दिया इसके बाद अतिथियों का माल्यार्पण एवं स्वागत किया गया। अपने विशिष्ट उद्बोधन में शिकागो (अमेरिका) से आयी प्रो0 दीप्ति सूरी ने कहा कि हम विदेशों में भारतीय संस्कृति के ध्वज समवाहक के रूप में कार्य कर रहे हैं हम अपने देश से दूर जरूर हैं पर वहाँ रहकर भी हम भारतीयता के सबसे करीब हैं अपने बच्चों को भी हम भारतीय संस्कृति को अपनाने का कहते हैं। यही नहीं वहां के समुदाय को भारतीय संस्कृति की ओर उन्मुख करने का काम कर रहे हैं। लंदन से आयी प्रो0 मीरा शर्मा ने कहा कि भारतीय योग ने विश्व मानव समुदाय पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। आज विश्व, योग ही नहीं अपितु भारतीय प्राचीन ग्रन्थों को आत्मसात कर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहें है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वि0वि0 के कुलपति प्रो0 देवी प्रसाद त्रिपाठी जी ने कहा कि जिस विश्वास के साथ विश्व ने भारतीय योग विद्या को अपनाया है अब उस विश्वास को बनाए रखने का दायित्व भारतीय योग मनीषियों तथा आने वाले शोधार्थियों का है योग की सभी विधाओं को प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। योग की बहुत सी विधाऐं हैं जिन पर गहन शोध की आवश्यकता है। योग की विशेषताओं पर अपने उद्बोधन को केन्द्रित करते हुए कहा कि योगसूत्र के प्रणेता महर्षि पातंजलि ने योग के माध्यम से रोगों का निवारण किया है। योग सूत्र के तत्कालीन रचित सूत्रों की उपादेयता आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितने अपनी उदय काल में रही होगी। कार्यक्रम में प्रो0 बी0आर0 शर्मा को उनके योग क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ‘लाईफटाइम एचीवमंेट एवार्ड’ से सम्मानित किया गया। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में देश-विदेश से लगभग 1000 विषय विशेषज्ञ तथा शोधार्थी प्रतिभाग कर रहें हैं। अष्टांग योग का वर्णन करते हुए कहा कि इन्द्रियों को आराना देना, आधुनिक समय में अतिआवश्यक है और चित्त को संयमित करने का एक मात्र उपाय योग है। प्रो0 बी0आर0शर्मा ने पतंजलि योग सूत्र की अवधारणाओं को परिभाषित किया। कार्यक्रम में मंच संचालन डाॅ0 लक्ष्मीनारायण जोशी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से चयनित 27 उत्कृष्ट कोटी के शोधपत्रों का द्वितीय सत्र में वाचन किया गया। संगोष्ठी के दूसरे दिन लगभग 100 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया जायेगा। कार्यक्रम में डाॅ0 प्रतिभा शुक्ला, राजेन्द्र नौटियाल, डाॅ0 शुधांशु वर्मा, डाॅ0 शिवोम आचार्य, विपुल जायसवाल, अनूप बहुखण्डी, ललित शर्मा, शिवचरण नौडियाल, अनुपम कोठारी, रितेश कुमार, आशीष सेमवाल, विपिन ध्यानी, रश्मि, दृष्टि बौराई, प्रज्ञा, सुमन नौड़ियाल, अमिता पाटिल, शोभित दीक्षित, प्रदीप बेलवाल, आशीष नौटियाल आदि उपस्थित रहें।

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