शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² पंचायती अखाड़े में संत महापà¥à¤°à¥‚षों ने अखाड़े की हथिनी पवनकली की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में शांतिपाठका आयोजन कर à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि दी इस दौरान बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत समाज ने हथिनी पवनकली को मानव हितेषी व संतों की पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बताया। अखाड़े की ओर से दिवंगत हथिनी पवनकली को साधà¥à¤µà¥€ का दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में समाधि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की घोषणा à¤à¥€ की।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 18 मारà¥à¤šà¥¤ शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² पंचायती अखाड़े में संत महापà¥à¤°à¥‚षों ने अखाड़े की हथिनी पवनकली की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में शांतिपाठका आयोजन कर à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि दी। इस दौरान बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत समाज ने हथिनी पवनकली को मानव हितेषी व संतों की पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बताया। अखाड़े की ओर से दिवंगत हथिनी पवनकली को साधà¥à¤µà¥€ का दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में समाधि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की घोषणा à¤à¥€ की। शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा निरà¥à¤®à¤² के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ ंिसंह महाराज ने कहा कि सदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ओं के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ गणेश के सà¥à¤µà¤°à¥‚प में हथिनी पवनकली निरà¥à¤®à¤² अखाड़े को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ थी। लंबे समय तक शहर में होने वाले विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• आयोजनों की शान रही पवनकली जीवातà¥à¤®à¤¾ के रूप में सदैव विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहेगी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि संतों के सानिधà¥à¤¯ में जो à¤à¥€ जीव जंतॠआ जाता है वह à¤à¥€ मानवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि 1974 में बाल अवसà¥à¤¥à¤¾ में अखाड़े में आयी पवनकली कई महाकà¥à¤‚ठमेले और अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤•à¥à¤‚ठमेले के दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई में आकरà¥à¤·à¤£ का मà¥à¤–à¥à¤¯ केंदà¥à¤° रहती थी। अखाड़े के संतों की अतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ रही पवनकली के निधन से संत समाज गमगीन है। कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के लोग à¤à¥€ पवनकली से बेहद सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि à¤à¤—वान गणेश का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प समà¤à¥€ जाने वाली पवनकली का संत समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ योगदान कà¤à¥€ à¤à¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ नहीं जा सकता है। कोठारी महंत जसविनà¥à¤¦à¤° सिंह महाराज ने कहा कि हथिनी पवनकली हमेशा ही अखाड़े की शान रही है। वरà¥à¤·à¥‹ से पवनकली शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤“ं व अनà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• आयोजनों में मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¥€ रही है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि जीव जनà¥à¤¤à¥à¤“ं के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से मानव को सीख लेनी चाहिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि कà¥à¤‚ठको देखते हà¥à¤ जलà¥à¤¦ ही पवनकली की बहन के रूप में à¤à¤• अनà¥à¤¯ हथिनी को अखाड़े में लाया जाà¤à¤—ा। पवनकली हमेशा ही सà¤à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जीवंत रहेगी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि जीव जनà¥à¤¤à¥à¤“ं से सà¤à¥€ को पà¥à¤°à¥‡à¤® करना चाहिà¤à¥¤ जीव जंतॠà¤à¥€ मानव हितेषी होते हैं। पवनकली इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। महंत पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ सिंह व महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि पवनकली की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जीवंत बनाठरखने के लिठनिरà¥à¤®à¤²à¤¾ छावनी में उसकी समाधि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की जाà¤à¤—ी। हथिनी पवनकली को à¤à¥‚समाधि दिठजाने पर संतों का जनसैलाब उमड़ आया था। जो पवनकली के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संतों के पà¥à¤°à¥‡à¤® को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। संत समाज सदैव ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ में अपना योगदान देता चला आ रहा है। महंत सतनाम सिंह ने बताया कि à¤à¤• बार वन विà¤à¤¾à¤— के अधिकारी पवनकली को जंगल में छोड़ आठथे। लेकिन जंगल में पवनकली ने खाना पीना तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया। इस पर वन विà¤à¤¾à¤— के अधिकारी पà¥à¤¨à¤ƒ उसे निरà¥à¤®à¤²à¤¾ छावनी में छोड़ कर गà¤à¥¤ पवनकली के अखाड़े में लौटने की खà¥à¤¶à¥€ में संतों ने पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ वितरण किया। इस अवसर पर महंत गà¥à¤°à¤®à¥€à¤¤ सिंह, महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸, महंत सतनाम सिंह, महंत शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¤‚द, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दिनेशदास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत सूरज दास, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ अरूण दास, महंत जमनादास, महंत खेमसिंह, महंत सà¥à¤–मन सिंह, महंत दलजीत सिंह, संत रोहित सिंह, संत विषà¥à¤£à¥ सिंह, संत तलविनà¥à¤¦à¤° सिंह, संत जसकरण सिंह, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ जैल सिंह à¤à¤¾à¤°à¤¤ साधू समाज के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महामंतà¥à¤°à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व मिडिया पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ दिनेशदास शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ आदि सहित बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महापà¥à¤°à¥‚ष मौजूद रहे।