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किशोरी दास वाजपेयी की पुण्यतिथि पर कनखल चैक बाजार में पुण्प अर्पित किये।


आचार्य किशोरी दास वाजपेई जी की पुण्यतिथि के अवसर पर प्रेस क्लब हरिद्वार के अध्यक्ष राजेश कुमार महासचिव महेश पारीक सहित वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडे सहित सभी सदस्यों ने किशोरी दास वाजपेई जी की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

रिपोर्ट  - 

आज कनखल चौक बाजार में आचार्य किशोरी दास वाजपेई जी की पुण्यतिथि के अवसर पर प्रेस क्लब हरिद्वार के अध्यक्ष राजेश कुमार महासचिव महेश पारीक सहित वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडे सहित सभी सदस्यों ने किशोरी दास वाजपेई जी की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा ने कहा आचार्य किशोरीदास वाजपेयी के साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध व्याकरणाचार्य भी थे हिन्दी की खड़ी बोली के व्याकरण की निर्मिति में पूर्ववर्ती भाषाओं के व्याकरणाचार्यो द्वारा निर्धारित नियमों और मान्यताओं का उदारतापूर्वक उपयोग करके इसके मानक स्वरूप को वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पन्न करने का गुरुतर दायित्व पं॰ किशोरीदास वाजपेयी ने निभाया। इसीलिए उन्हें 'हिन्दी का पाणिनी' कहा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे लोकसभा क्षेत्र के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक अब वहां केंद्रीय मंत्री हैं हमारे प्रेस क्लब का एक प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलकर आचार्य किशोरी दास बाजपेई जी के नाम से डाक टिकट वह किसी विश्वविद्यालय में आचार्य किशोरी दास वाजपेई जी के नाम से अलग से पीठ का नाम कराया जाए की मांग को लेकर उनसे मिलेगा। इस अवसर पर प्रेस क्लब के महासचिव महेश पारीक ने कहा आचार्य किशोरी दास बाजपेई अपनी तेजस्विता व प्रतिभा से उन्होंने साहित्यजगत को आलोकित किया और एक महान भाषा के रूपाकार को निर्धारित किया। सभी पत्रकारों ने श्रद्धांजलि देते हुए एक-एक कर अपने विचार रखते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने का आग्रह किया क्योंकि आचार्य किशोरीदास बाजपेयी ने हिन्दी को परिष्कृत रूप प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वह हम सभी के प्रेरणा स्रोत हैं आचार्य किशोरी दास वाजपेई जी अपने अथक प्रयास एवं ईमानदारी से भाषा का परिष्कार करते हुए व्याकरण का एक सुव्यवस्थित रूप निर्धारित कर भाषा का परिष्कार तो किया ही साथ ही नये मानदण्ड भी स्थापित किये। स्वाभाविक है भाषा को एक नया स्वरूप मिला। अत: हिन्दी क्षेत्र में आपको "पाणिनि' संज्ञा से अभिहित किया जाने लगा।

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