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हरिद्वार तीर्थ नगरी में कोरोनावायरस नहीं भूख से अधिक मर रहे हैं संत?


हरिद्वार तीर्थ नगरी में कोरोनावायरस नहीं भूख से अधिक मर रहे हैं संत बहुमूल्य के नाम से विख्यात तीर्थ नगरी की पहचान है लेकिन अब तीर्थ नगरी में रहने वाले संत कोरोना वायरस के चलते सभी आश्रम व अन्नक्षेत्रों में भोजन वितरण का कार्य बंद हो चुका है जिसकी वजह से परेशान संत भूख से मर रहे हैं उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है कि आपने भोजन किया कि नहीं किया बल्कि वह भोजन मांगने जाते हैं तो घरवाले उन्हें दूर-दूर करके भगा देते हैं।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार तीर्थ नगरी में कोरोनावायरस नहीं भूख से अधिक मर रहे हैं संत बहुमूल्य के नाम से विख्यात तीर्थ नगरी की पहचान है लेकिन अब तीर्थ नगरी में रहने वाले संत कोरोना वायरस के चलते सभी आश्रम व अन्नक्षेत्रों में भोजन वितरण का कार्य बंद हो चुका है जिसकी वजह से परेशान संत भूख से मर रहे हैं उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है कि आपने भोजन किया कि नहीं किया बल्कि वह भोजन मांगने जाते हैं तो घरवाले उन्हें दूर-दूर करके भगा देते हैं। भोजन के बारे में पूछने पर बताया कि हमने 2 दिन से भोजन नहीं किया है । ऐसे ही अपना समय पास कर रहे हैं किसी के यहां मांगने जाते हैं तो कोई हमें भोजन नहीं देता इसलिए गंगा किनारे पेड़ों के नीचे अपना समय पास कर रहे हैं अगर भगवान चाहेगा तो हमें भोजन मिल जाएगा अन्यथा यह सही प्राण त्याग देंगे यह बातें सुनकर संतों ने जीने की आस छोड़ दी है संतों का कहना है कि कोरोना वायरस से कम भूख से ही हम लोग मर एक मजदूर ने बताया कि उन्हें काम तो मिल नहीं रहा लेकिन भोजन भी नहीं मिल रहा है और उसने यह भी बताया कल दो संत भूख से मर गए हैं । हरिद्वार के संत भोजन न मिलने की वजह से बहुत उदास है उनके गले से आवाज भी नहीं निकल पा रही है। ऐसे में अगर सरकार ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो तीर्थ नगरी में कोरोना वायरस से इतनी मौतें नहीं होगी जितनी के भूख से हो जाएंगी गीता कुटीर अन्नक्षेत्र के प्रबंधक शिवदास से बात करने पर बताया कि संत गंगा के किनारे रहने वाले संत 2 दिन से भूखे हैं उन्हें खाने को कुछ भी नहीं मिल रहा है ऐसे में गीता कुटीर अन्नाक्षेत्र ने सोचा है कोराना वायरस को ध्यान में रखते हुए पूरी सुरक्षा के बीच उन्हें उन्हीं के बर्तन में एक-एक कर भोजन वितरण करेंगे जिससे यह संत भूखे न रह सकें क्योंकि तीर्थ नगरी संतों की ही है अगर इन्हें यहां भी भोजन नहीं मिला तो अन्य शहरों में भी नहीं मिल पाएगा।

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