Latest News

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नागरिकों का सपना पूरा हो :प्रधानमंत्री


73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर बार की तरह इस बार भी लाल क़िले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा फहराया और क़रीब डेढ़ घंटे का भाषण दिया.

रिपोर्ट  - 

73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हर बार की तरह इस बार भी लाल क़िले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा फहराया और क़रीब डेढ़ घंटे का भाषण दिया. पीएम मोदी ने अपने भाषण क्या कहा? प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के शुरुआत में देश को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं और देश में बाढ़ की स्थिति पर चिंता जताते हुए आज़ादी के लिए बलिदान दिए लोगों को याद किया. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सबसे पहले कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 का ज़िक्र किया. इसके बाद उन्होंने शपथ लेने के 10 हफ़्ते के भीतर तीन तलाक़ का क़ानून बनाना, आतंक से जुड़े क़ानूनों में बदलाव कर उसे मजबूत करने का काम, किसानों को 90 हज़ार करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का काम, किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए पेंशन, अलग जलशक्ति मंत्रालय, मेडिकल की पढ़ाई से जुड़े क़ानून की बात की. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत कैसा हो इसे देखते हुए आने वाले पांच सालों के कार्यकाल का खाका तैयार किया जा रहा है. इस्लामिक देशों ने तीन तलाक़ क़ानूनों को ख़त्म कर दिया था लेकिन यह देश इस पर कदम उठाने से कतराता रहा. दो तिहाई बहुमत से आर्टिकल 370 हटाने का क़ानून पारित कर दिया. इसका मतलब है कि हर किसी के दिल में यह बात थी लेकिन आगे कौन आए. लेकिन सुधार करने का आपका इरादा नहीं था. 70 साल हर सरकारों ने कुछ न कुछ प्रयास किया लेकिन इच्छित परिणाम नहीं मिले. ऐसे में नए सिरे से सोचने की ज़रूरत होती है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नागरिकों का सपना पूरा हो यह हमारी दायित्व है. 130 करोड़ की जनता को इस ज़िम्मेदारी को उठाना है. पिछले 70 सालों में वहां आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद, भ्रष्टाचार की नींव को मजबूत करने का काम किया गया है. लाखों लोग विस्थापित हो कर आए उन्हें मानविक अधिकार नहीं मिले. पहाड़ी भाइयों की चिंताएं दूर करने की दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं. भारत की विकास यात्रा में जम्मू-कश्मीर बड़ा योगदान दे सकता है. नई व्यवस्था नागरिकों के हितों के लिए काम करने के लिए सीधे सुविधा प्रदान करेगी. 'सबका साथ, सबका विकास' का मंत्र लेकर हम चले थे लेकिन 5 साल में ही देशवासियों ने 'सबका विश्वास' के रंग से पूरे माहौल को रंग दिया. समस्यों का जब समाधान होता है तो स्वावलंबन का भाव पैदा होता है, समाधान से स्वालंबन की ओर गति बढ़ती है. जब स्वावलंबन होता है तो अपने आप स्वाभिमान उजागर होता है और स्वाभिमान का सामर्थ्य बहुत होता है. आज हर नागरिक कह सकता है 'वन नेशन, वन कंस्टीट्यूशन' आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए का हटना, सरदार पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में अहम कदम. जो लोग इसकी वकालत करते हैं उनसे देश पूछता है अगर ये इतनी महत्वपूर्ण थी तो 70 साल तक इतना भारी बहुमत होने के बाद भी आप लोगों ने उसे स्थायी क्यों नहीं किया. आज देश में आधे से अधिक घर ऐसे हैं जिनमें पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है. उनके जीवन का बहुत हिस्सा पानी लाने में खप जाता है. इस सरकार ने हर घर में जल, पीने का पानी लाने का संकल्प किया है. आने वाले दिनों में जल जीवन मिशन को लेकर आगे बढ़ेंगे. इसके लिए केंद्र और राज्य मिल कर साथ काम करेंगे. साढ़े तीन लाख करोड़ से भी ज़्यादा इस पर खर्च करने का संकल्प किया है. वर्षा के पानी को रोकने, समुद्री पानी, माइक्रो इरिगेशन, पानी बचाने का अभियान, सामान्य नागिरक सजग हो, बच्चों को पानी के महत्ता की शिक्षा दी जाए, 70 साल में जो काम हुआ है अगले पांच वर्षों में उससे पांच गुना अधिक काम हो, इसका प्रयास करना है. भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमें ग़रीबी से मुक्त होना ही है और पिछले 5 वर्षों में ग़रीबी कम करने की दिशा में, ग़रीबों को ग़रीबी से बाहर लाने की दिशा में बहुत सफल प्रयास हुए हैं. देश को नई ऊंचाइयों को पार करना है, विश्व में अपना स्थान बनाना है और हमें अपने घर में ही ग़रीबी से मुक्ति पर बल देना है और ये किसी पर उपकार नहीं है. जैन मुनि महुड़ी ने लिखा है- एक दिन ऐसा आएगा जब पानी किराने की दुकान में बिकता होगा. 100 साल पहले उन्होंने यह लिखा. आज हम किराने की दुकान से पानी लेते हैं. न हमें आगे बढ़ने से हिचकिचाना है. जल संचय का यह अभियान सरकारी नहीं बनना चाहिए, जन सामान्य का अभियान बनना चाहिए. अब हमारा देश उस दौर में पहुंचा है जिसमें बहुत सी बातों को लेकर अपने को छुपानी की ज़रूरत नहीं है. वैसा ही एक विषय है- हमारे यहां बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा करता है. हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है जो इस बात को भली भांति समझता है. वो अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले सोचता है कि उसकी मानवीय आवश्यकता को पूरा कर पाउंगा या नहीं. वो लेखा जोखा करके एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित करके अपने परिवार का भला करता है और देश के लिए योगदान देता है. छोटा परिवार रख कर भी वो देशभक्ति का काम करता है. यह परिवार लगातार आगे प्रगति करता है, उनसे हम सीखें. किसी भी शिशु के आने से पहले यह सोचें की उसे वह कैसी भविष्य देंगे. जनसंख्या विस्फोट की चिंता करनी ही होगी. राज्य, केंद्र सभी को यह दायित्व निभानी होगी. व्यवस्था चलाने वाले लोगों के दिल-दिमाग में बदलाव आवश्यक है तभी इच्छित परिणाम मिलते हैं. आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहे हैं. मैं अपने अफसरों के बीच बार बार कहता हूं कि क्या आज़ादी के इतनी वर्षों बाद सामान्य नागरिकों के जीवन में सरकारी दखल को ख़त्म नहीं कर सकते. लोग मनमर्जी से अपने परिवार की भलाई के लिए, देश की तरक्की के लिए इको सिस्टम बनाना होगा. सरकार का दबाव नहीं हो लेकिन अभाव भी नहीं होना चाहिए. सपनों को लेकर आगे बढ़ें, सरकार साथी के रूप में हर पल मौजूद हो. क्या उस प्रकार की व्यवस्था हम विकसित कर सकते हैं. गत पांच वर्षों में मैने प्रतिदिन एक गैर ज़रूरी क़ानून ख़त्म किए. 1450 क़ानून ख़त्म किए. अभी 10 हफ़्ते में ही हमने कई क़ानून ख़त्म कर दिए हैं. इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के क्षेत्र में हमने बहुत काम किया है. यह एक पड़ाव है, मेरी मंज़िल है इज़ ऑफ़ लीविंग. हमारा देश आगे बढ़े, लेकिन इंक्रिमेंटल प्रोग्रेस के लिए अब और इंतज़ार नहीं किया जा सकता. भारत को ग्लोबल बेंचमार्किंग में लाने की दिशा में प्रयास के लिए हमने तय किया है कि 100 लाख करोड़ रुपये आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लगाए जाएंगे. सागरमाला, भारतमाला, आधुनिक रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, अस्पताल, विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में प्रयास करना चाहते हैं. आज हर नागरिक वंदे भारत एक्सप्रेस की बात करता है, हवाई अड्डे की बात करता है. कभी रेल के एक स्टॉप की बात से संतुष्ट होने वाले देश के नागरिकों की सोच बदल चुकी है. वो फोर लेन की बात करता है, वो 24 घंटे बिजली की बात करता है, आज वो डेटा की स्पीड पूछता है. बदलते हुए मिजाज को समझना होगा. अब तक सरकार ने किस इलाके, किस वर्ग, किस समूह के लिए क्या किया है, कितना दिया, किसको दिया, किसको मिला, उसी के आसपास सरकार और जनमानस चलते रहे. लेकिन अब हम सब मिल कर देश के लिए क्या करेंगे, उसको लेकर जीना, जूझना और चल पड़ना देश की मांग है. इसिलिए पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का सपना संजोया है. 130 करोड़ नागरिक छोटी छोटी चीज़ों को लेकर आगे चलें तो यह संभव हो सकता है. हम एक्सपोर्ट हब बनने की दिशा में क्यों नहीं सोचें. हमारे देश के एक एक ज़िले की कुछ न कुछ पहचान है. किसी ज़िले के पास इत्र की पहचान हैं, तो किसी के पास साड़ियों की पहचान है, किसी की मिठाई मशहूर है तो किसी के बर्तन. इस विविधता को दुनिया से परिचित कराते हुए उनको बल देंगे तो रोज़गार मिलेगा. माइक्रो इकोनॉमी के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होगा. हमें पर्यटकों का हब बनने की दिशा में काम करना होगा. टूरिस्ट डेस्टिनेशन बढ़ाने की बात हो. आज हमारी राजनीतिक स्थिरता को गर्व के साथ देख रहा है. आज व्यापार करने के लिए विश्व उत्सुक है. हमने महंगाई को नियंत्रित करते हुए विकास दर को बढ़ाने की दिशा में काम किया है. हमारी अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स बहुत मज़बूत हैं और ये हमें आगे ले जाने का भरोसा दिलाती है. जो देश के वेल्थ क्रिएशन की दिशा में काम कर रहे हैं उनका मान सम्मान किया जाना चाहिए. वेल्थ क्रिएट में लगे हैं वे भी हमारे देश की वेल्थ हैं. उनका सम्मान नई ताक़त देगा. आतंकवाद को पनाह देने वाले सारी ताक़तों को दुनिया के सामने उनके सही स्वरूप में पेश करना. भारत इसमें अपनी भूमिका पूरी करे, इस पर ध्यान देना है. भारत के पड़ोसी भी आतंकवाद से जूझ रहे हैं. हमारा पड़ोसी अफ़ग़ानिस्तान अपने आज़ादी के 100वें साल का जश्न मनाने वाला है. मैं उन्हें अनेक अनेक शुभकामना देता हूं. आतंकवाद का माहौल पैदा करने वालों को नेस्तनाबूद करने की हमारी नीति स्पष्ट है. सुरक्षाबलों, सेना ने उत्कृष्ट काम किया है. मैं उनको नमन करता हूं, उनको सैल्यूट करता हूं. सैन्य रिफॉर्म पर लंबे समय से चर्चा चल रही है. कई रिपोर्ट आए हैं. हम गर्व कर सकें ऐसी व्यवस्था हैं. वो आधुनिकता के प्रयास भी करते हैं. आज तकनीक बदल रही है. ऐसे में तीनों सेनाओं को एक साथ एक ही ऊंचाई पर आगे बढ़ें, विश्व में बदलते हुए सुरक्षा और युद्ध के अनुरूप हों. इसे देखते हुए अब हम चीफ़ ऑफ़ डीफेंस स्टाफ (सीडीएस) की व्यवस्था करेंगे. क्या हम इस 2 अक्तूबर को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त बना सकते हैं. हम प्लास्टिक को विदाई देने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. हाइवे बनाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. मैं सभी दुकानदारों से कहूंगा कि वो अपने दुकानों पर बोर्ड लगा दें- हमसे प्लास्टिक की थैली की अपेक्षा नहीं करें. दीवाली पर कपड़े का थैला गिफ़्ट करें. डायरी, कैलेंडर से आपका विज्ञापन भी होगा. हम तय करें कि मैं अपने जीवन में मेरे देश में जो बनता है वो प्राथमिकता होगी. हमने तो 'लकी कल के लिए लोकल प्रोडक्ट पर बल' देना है. हमारा रुपे कार्ड सिंगापुर में चल रहा है. हम क्यों न डिजिटल पेमेंट को बल दें. डिजिटल पेमेंट को हां, नकद को नां का बोर्ड लगाएं. बैंकिंग, व्यापार जगह को कहता हूं कि इस चीज़ों को बल दें. लाल क़िले से देश के नौजवानों के रोज़गार को बढ़ाने के लिए क्या आप तय कर सकते हैं कि 2022 से पहले हम अपने परिवार के साथ भारत के कम से कम 15 टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाएंगे. बच्चों को आदत डालें. 100 टूरिस्ट डेस्टिनेशन तैयार न करें. टारगेट करके तय करें. आज जहां कर जा कर आएंगे वहां नई दुनिया खड़ी करके आएंगे. हिंदुस्तान के लोग जाएंगे तो दुनिया के लोग भी वहां आएंगे. किसान भाइयों से आग्रह करता हूं, मांगता हूं कि क्या वो अपने खेतों में केमिकल फर्टिलाइज़र का इस्तेमाल कम कर सकते हैं, हो सके तो उसका इस्तेमाल रोक दें. देश के प्रोफ़ेशनल का लोहा दुनिया मानता है. चंद्रयान चांद पर पहुंचने की तैयारी में है. खेल के मैदानों में हम कम नज़र आते हैं. आज देश के खिलाड़ी नाम रौशन कर रहे हैं, देश को आगे बढ़ाने, बदलाव लाने के लिए, सरकार-जनता को मिलकर करना है. गांव में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर बनाने होंगे. हमने 15 करोड़ ग्रामीण घरों में पीने का पानी पहुंचाना है, सड़के बनानी हैं, स्टार्ट्अप का जाल बिछाना है, अनेक सपनों को लेकर आगे बढ़ना है. आइये हम महात्मा गांधी के 150 साल, संविधान के 70 साल, गुरुनानक देव के 550वें पर्व के मौके पर देश को आगे बढ़ाने का संकल्प करें. इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुबह सुबह देशवासियों को शुभकामनाएं दीं.

Related Post