सर्वविदित है की" निर्मल संप्रदाय"देश में "श्रीगुरु ग्रंथ"जी के प्रचार प्रसार के साथ साथ संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में भी अपना अहम योगदान देकर श्रीगुरु नानक देव जी और श्री गुरु गोविंद सिंह जी की सामाजिक सद्भाव परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. लेकिन इसके विपरित" धर्म की आड़"लेकर असामाजिक व अराजक तत्व और उनके कथित संगठन देश का माहौल खराब करने पर तुले हैं इससे विदेश में भी हमारे भारत की छवि धूमिल हो रही है और कानून व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं.
रिपोर्ट - अजय शर्मा
हरिद्वार: सर्वविदित है की" निर्मल संप्रदाय"देश में "श्रीगुरु ग्रंथ"जी के प्रचार प्रसार के साथ साथ संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में भी अपना अहम योगदान देकर श्रीगुरु नानक देव जी और श्री गुरु गोविंद सिंह जी की सामाजिक सद्भाव परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. लेकिन इसके विपरित" धर्म की आड़"लेकर असामाजिक व अराजक तत्व और उनके कथित संगठन देश का माहौल खराब करने पर तुले हैं इससे विदेश में भी हमारे भारत की छवि धूमिल हो रही है और कानून व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं. प्रश्न यह उठता है: कि क्या पुलिस राजनीतिक दबाव में काम कर रही है? इस समय हमारे देश में जो चल रहा है सब देख रहे हैं""" ""यहां हम बात करते हैं "निर्मल पंचायती अखाड़ा" की आप जानते हैं की इस" गंभीर प्रकरण" में दो गुट आमने-सामने हैं. एक पक्ष "माफिया का विरोध" कर रहा है तो दूसरा पक्ष "माफिया के हित" में खड़ा है. एक गुट के प्रमुख चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं के दूसरा पक्ष भू माफियाओं के साथ मिलकर अखाड़े की संपत्तियों को ठिकाने लगाना चाह रहा है और अखाड़े के मुख्यालय पर कब्जा कर अखाड़ा प्रमुख की हत्या करना चाहता है। वे बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं और लगातार गहरी साजिश की जानकारी देश के प्रधानमंत्री से लेकर उत्तराखंड प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित पुलिस के आला अधिकारियों को इस बात की जानकारी दे रहे हैं लेकिन इसके बाद भी पुलिस की कार्यप्रणाली दर्शाती है की "मित्र पुलिस किसके दबाव में काम कर रही है और किससे मित्रता निभा रही है? प्रश्न यह भी उठता है :की पुलिस असामाजिक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रही निर्मल अखाड़े की संपत्तियों को ठिकाने लगाने की साजिश में अनेक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है पुलिस उन पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं करती? अखाड़े के मुख्यालय पर दिनदहाड़े कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर जबरन कब्जे का प्रयास किया जाता है यहां तक की यह भी आरोप हैं की अखाड़े में घुसकर अखाड़े के प्रमुख को बंधक बनाने का प्रयास किया गया लेकिन पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं करती क्यों? सवाल यह भी उठता है: कि माननीय न्यायालय आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करती है इसके बाद भी पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाती आखिर क्यों? सवाल यह भी उठता है :कि पुलिस आखिर ऐसे" गंभीर प्रकरणों" में कोई रुचि क्यों नहीं लेती और जब पीड़ित पक्ष न्यायालय की शरण में जाता है और जब न्यायालय आदेश पारित करती है तो उन आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कौन कराएगा? श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा की शिकायत पर माननीय न्यायालय ने 100 से अधिक लोगों पर अखाड़े के प्रमुख को बंधक बनाने व अखाड़ा के मुख्यालय पर कब्जा करने के प्रयास के संगीन आरोपों पर हरिद्वार पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया है लेकिन पारित आदेश के बाद भी पुलिस आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई ऐसा क्यों? स्पष्ट है पुलिस दबाव में काम कर रही है किसके दबाव में हैं मित्र पुलिस?